चैत्र नवरात्रि: जानिएं नवरात्रि में कन्या पूजन महत्व और पूजन विधि

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 17अप्रैल।
13 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि चल रहे हैं। आज नवरात्रि का 5वां दिन है। पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। 9 दिन तक चलने वाला नवरात्रि व्रत के दौरान अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन का प्रचनल है। कन्या पूजन का हिंदू धर्म में काफी महत्व होता है।
कन्याओं को माता का ही रूप माना जाता है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार तीन वर्ष से लेकर नौ वर्ष की कन्याएं साक्षात माता का स्वरूप मानी जाती है।

नवमी में 9 कन्याओं को पूजने का महत्व-

नवमी के दिन 9 कन्याओं को पूजने का मतलब है एक कन्या की पूजा से ऐश्वर्य, दो की पूजा से भोग और मोक्ष, तीन की अर्चना से धर्म, अर्थ व काम, चार की पूजा से राज्यपद, पांच की पूजा से विद्या, छ: की पूजा से छ: प्रकार की सिद्धि, सात की पूजा से राज्य, आठ की पूजा से संपदा और नौ की पूजा से पृथ्वी के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है।
कंजक पूजन के लिए 02 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कन्याओं को आमंत्रित करना चाहिए। इसके साथ ही एक बालक को भी आमंत्रित करें। इन नौ कन्याओं को मां दुर्गा के नौ स्वरुप और बालक को बटुक भैरव का स्वरूप मानकर पूजन किया जाता है।

कन्या पूजन विधि

कन्याओं और बालक के घर पर पधारने पर सबसे पहले शुद्ध जल से उनके पैर धोएं।
इसके बाद कन्याओं को आसन पर बिठाकर सभी का कुमकुम और अक्षत से तिलक करें।
इसके बाद थोड़ा सा भोजन सबसे पहले भगवान को चढ़ाएं और फिर सभी कंजक और बालक के लिए भोजन परोसें।
सभी को भोजन कराने के पश्चात उनके पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करें।
इसके बाद सभी को फल भेंट करें और सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा देकर विदा करें।

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