समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 30मई। रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित माना जाता है। रविवार सूर्य देवता की पूजा का वार है। जीवन में सुख-समृद्धि, धन-संपत्ति और शत्रुओं से सुरक्षा के लिए रविवार का व्रत सर्वश्रेष्ठ है. रविवार का व्रत करने व कथा सुनने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं. पंचांग से जानें आज का शुभ और अशुभ मुहूर्त और जानें कैसी रहेगी आज ग्रहों की चाल।
धार्मिक मान्यता है कि अगर कोई सूर्य देव की पूजा हर रोज नही कर पाता है तो उसे केवल रविवार के दिन ही पूजा करनी चाहिए. ऐसा करने से उसे बाकी दिनों का भी फल मिलता है. घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है. इससे घर परिवार में शांत और निरोगी वातावरण बना रहता है. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, सूर्य देव की पूजा करने से बुद्धि, विवेक, बल और वैभव की भी प्राप्ति होती है. सूर्य देव को सरकारी नौकरी में सफलता और मान प्रतिष्ठा का कारक माना जाता है।
इस विधि से करें सूर्य की पूजा
सनातन परंपरा में प्रत्यक्ष देवता सूर्य की साधना-उपासना शीघ्र ही फल देने वाली मानी गई है। सूर्यदेव की पूजा के लिए सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें। इसके पश्चात् उगते हुए सूर्य का दर्शन करते हुए उन्हें ॐ घृणि सूर्याय नम: कहते हुए जल अर्पित करें। सूर्य को दिए जाने वाले जल में लाल रोली, लाल फूल मिलाकर जल दें। सूर्य को अर्घ्य देने के पश्चात्प लाल आसन में बैठकर पूर्व दिशा में मुख करके सूर्य के मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें।
सूर्यदेव की न सिर्फ उदय होते हुए बल्कि अस्त होते समय भी की जाती है। भगवान भास्कर की डूबते हुए साधना सूर्य षष्ठी के पर्व पर की जाती है। जिसे हम छठ पूजा के रूप में जानते हैं। इस दिन सूर्य देवता को अघ्र्य देने से इस जन्म के साथ-साथ, किसी भी जन्म में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं। अस्त हो रहे सूर्य को पूजन करने के पीछे ध्येय यह भी होता है कि — ‘हे सूर्य देव, आज शाम हम आपको आमंत्रित करते हैं कि कल प्रातःकाल का पूजन आप स्वीकार करें और हमारी मनोकामनाएं पूरी करें।
सूर्य के इस मंत्र से पूरी होगी मनोकामना
एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणाध्र्य दिवाकर।।
ॐ घृणि सूर्याय नमः।।
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पतेए अनुकंपयेमां भक्त्याए गृहाणार्घय दिवाकररू।।
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।।