कोवैक्सीन में गाय के बछड़े के सीरम का होता है इस्तेमाल? इस दावें को केंद्र सरकार ने किया खारिज कही ये बात

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 16जून। कोरोना के स्वदेशी टीके कोवैक्सीन को लेकर सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलाई जा रही हैं इस वैक्सीन में गाय के नवजात बछड़े के खून को मिलाया गया है। सोशल मीडिया पर कोवैक्सीन को लेकर इस तरह के कई दावे किए जा रहे हैं। लेकिन बता दें इन दावों को केंद्र सरकार ने सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के बयान के मुताबिक नवजात बछड़े के सीरम का इस्तेमाल केवल वेरो सेल्स को तैयार करने और विकसित करने के लिए किया जाता है।

बता दें कि कांग्रेस पार्टी के सोशल मीडिया विभाग के राष्ट्रीय संयोजक गौरव पंथी ने एक RTI जवाब का हवाला देते हुए ट्वीट कर आरोप लगाया कि कोवैक्सीन बनाने के लिए 20 दिन के बछड़े की हत्या की जाती है। मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि दुनियाभर में वीरो सेल्स की ग्रोथ के लिए अलग अलग तरह के गोवंश और अन्य जानवरों के सीरम का इस्तेमाल किया जाता रहा है। यह एक ग्लोबल मानक प्रक्रिया है।

मंत्रालय ने कहा कि वीरो सेल्स को डिवलेप किए जाने के बाद कई बार पानी और केमिकल्स से धोया जाता है। इस प्रक्रिया को बफर कहते हैं. इसके बाद वेरो सेल्स को वायरल ग्रोथ के लिए कोरोना वायरस से संक्रमित कराया जाता है. इस प्रक्रिया मेम वेरो सेल्स पूरी तरह नष्ट हो जाता है. इसके बाद नए वायरस को निष्क्रिय किया जाता है। इस खत्म हुए वायरस का इस्तेमाल ही वैक्सीन के निर्माण में दोबारा किया जाता है। अंतिम राउंड में बछड़े के सीरम का इस्तेमाल गलत साबित होती है।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.