नयी दिल्ली/ ईटानगर। लोकसभा चुनाव में भी टिकटों के वितरण को लेकर चौधराहट दिखाने का अंजाम अरूणाचल प्रदेश में देखने को मिला। जब 12 विधायकों समेत 15 भाजपा नेताओं ने अपना इस्तीफा भाजपा सुप्रीमो अमित शाह के सामने फेंककर पार्टी से नाता तोड लिया। अरुणाचल प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा को उस वक्त झटका लगा, जब दो मंत्रियों और 12 विधायकों सहित कुल 15 नेताओं ने मंगलवार को पार्टी छोड़कर नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) में शामिल होने का ऐलान कर दिया। इससे विधानसभा चुनाव में भाजपा को भारी नुक़सान का सामना करना पड़ सकता है।
लोकसभा चुनाव के साथ राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा द्वारा पार्टी के राज्य महासचिव जारपुम गामलिन, गृहमंत्री कुमार वाई, पर्यटन मंत्री जारकर गामलिन और कई विधायकों को टिकट से वंचित कर दिया गया था। अपने टिकट के कटने की पक्की खबर के साथ ही दो मंत्री के साथ 12 विधायकों ने एक साथ बड़े पैमाने पर पार्टी को अलविदा करके पलभर में ही एक झटके में छोड़ डाला। विधायकों की इस कार्रवाई से भाजपा के हाथ से तोते निकल गए। हालात को समझने समझाने और बागी होकर विधायकों को वापस खेमे में वापसी के लिए मैराथन चालू हो गया है। होली के बावजूद कई नेताओं को अरूणाचल की राजधानी ईटानगर भेजा जा रहा है। बागी होकर भाजपा छोड़ने वाले विधायकों ने कहा कि अब सुलह या वापसी की सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया है। छोटे से स्टेट के विधायकों की कोई केंद्र सरकार में पूछ ही नहीं थीं। आलाकमान जानबूझकर हमलोगों की उपेक्षा करता था। विधायकों का कहना है कि भाजपा जनप्रतिनिधियों को राज्य की जनता बाहरी मानने लगी है, जबकि लोकल दलों के नेता और उससे जुड़े नेताओं से जनता का भावनात्मक रिश्ता होता है। भाजपा से नाता तोड़कर हम सभी लोगों ने अपनी जमीन से जुड़ने की पहल की है। राज्य की 60 विधानसभा सीटों में से 54 के लिए प्रत्याशियों के नामों पर भाजपा के संसदीय बोर्ड ने रविवार को मुहर लगाई। राज्य में 11 अप्रैल को लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव भी होना हैं। सोमवार को जारपुम गामलिन ने भाजपा की अरुणाचल इकाई के अध्यक्ष तापिर गाओ को अपना इस्तीफा भेजा। वह सोमवार सुबह से ही गुवाहाटी में हैं, जहां मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने उनसे मुलाकात की।
एनपीपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘जारपुम, जारकर, कुमार वाई और भाजपा के 12 मौजूदा विधायकों ने एनपीपी महासचिव थामस संगमा से मंगलवार को मुलाकात की और एनपीपी में शामिल होने का फैसला किया।’ उन्होंने कहा कि इन नेताओं के आने से एनपीपी मजबूत होगी। सबों का स्वागत करते हुए एनपीपी ने इस बार सूबे में सरकार बनाने की उम्मीद जाहिर की है। निसंदेह इस बगावत से भाजपा का पलड़ा हल्का होता दिख रहा है।