मैनपुरी से यह मेरे जीवन का आखिरी चुनाव है : नयी दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 यह मेरे राजनीतिक जीवन का आखिरी चुनाव है। मुझे खुशी है कि मुझे मैनपुरी से अपने राजनीतिक जीवन को अंतिम विदाई करने या अपनी जनता को नमस्कार करने का मौका मिल रहा है। मुलायम को संवारने सजाने विकसित करने मान सम्मान से अभिभूत करने में मैनपुरी का बड़ा योगदान है। इस धरती का मैं ऋणी हूं । मुलायम को मैनपुरी ने बनाया है। यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि मैं अपनी पारी का अंत भी यहीं से कर रहा हूं। यूपी के कई बार मुख्यमंत्री पूर्व केंद्रीय मंत्री और समाजवादी पार्टी के संस्थापक रहे मुलायम सिंह यादव ने समग्र भारत के साथ फोन पर बातचीत करते हुए भावुकता में प्रवाहित होते हुए उपरोक्त बातें कही मुलायम सिंह यादव ने कहा कि आजमगढ़ के बाद मै इस बार चुनाव मैदान में उतरने के लिए बिल्कुल इच्छुक नहीं था। आज से पहले जो भी चुनाव हुए तो उस टीम का कैप्टन मैनेजर खिलाड़ी अंपायर से लेकर कलेक्टर और सिलेक्टर भी मैं ही होता था। मगर इस चुनाव में मेरी भूमिका एक दर्शक या एक श्रोता की रह गयी है। जिसका काम देखने की या केवल सुनने की होती है। एक सवाल के जवाब में मुलायम ने कहा कि जब आपके करीबी लोग आपके बराबर हो जाएं तो सबसे अच्छा तरीका है कि उनसे उलझने की बजाय आप अपने आपको अलग कर लें। राजनीति के अलावा भी मेरा जीवन घर-आंगन परिवार है आप उनसे रिश्ते सुधारने की पहल करें। राजनीति तो एक अजगर की तरह सबसे सबको अलग-थलग कर देती है। उस समय किसी की परवाह नहीं करते हैं। सार्वजनिक जीवन में रहते हुए एक राजनीतिक आदमी अपना जीवन खो देता है। हम सब अभिशप्त जीवन के लिए विवश हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बुढ़ापा लाचारी का दूसरा नाम है। उम्र की लाचारी पर किसी का कोई अधिकार नहीं चलता है। क्या आप भी लाचार मान रहे हैं? इस पर जोर से मुस्कुराते हुए कहा कि मैनपुरी से चुनाव लडने का प्रस्ताव था, इस कारण मैं मना नहीं कर पाया। वैसे तो यूपी के कई सीटों से चुनाव लडा पर मैनपुरी मेरी आत्मा है इसके लिए मैं मना नहीं कर सका। सपा की हालत और आप अपनी पोजिशन पर क्या टिप्पणी करेंगे? इस पर हंसते हुए उन्होंने कहा बढ़िया हूं। मन की इच्छाओ को मार लेने के बाद तन-मन के दुःख समाप्त हो जाते हैं। इसबार चुनाव में क्या परिणाम होगा? इस पर मुलायम ने कहा कि बीजेपी के झूठ से विपक्ष का पार पाना आसान नहीं है। विपक्ष की एकता अबतक विश्वसनीय नहीं बन पाया है। लोगों को विपक्षी दलों पर भरोसा नहीं जागना सबसे बड़ी कमजोरी है। चुनाव परिणाम को लेकर विश्वास से मै कुछ नहीं कह सकता है। सपा- बसपा के बीच ढाई दशक के बाद फिर से गठबंधन हो जाने पर आपकी टिप्पणी? मैं अखिलेश के सौ गुनाह माफ कर सकता हूं। मायावती बहिन के साथ अखिलेश ने फिर से रिश्ता बनाकर बहुत अच्छा किया है। मेरे मन के आत्मधिक्कार बोध को कम कर दिया है। मैं सहजता के साथ अब मायावती बहिन से मिल सकता हूं । यही भावना मेरी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि सपा बसपा के तालमेल से भाजपा की उम्मीदों के झटका लगा है। एक सवाल के जवाब में मुलायम सिंह यादव ने कहा कि मोदी और अमित शाह को गठबंधन के मुकाबले अपनी ही पार्टी के शंट कर दिए गए नेताओं से ज्यादा कठिन चुनौती है। |