हिंदू धर्म में ‘ ब्रह्म मुहूर्त ‘ का है विशेष महत्व, जानिए- कब होता है शुरू?

सुबह के 4.24 बजे से 5.12 के मध्य के समय को ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं। 

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 29 जुलाई। 
हिंदू धर्म में मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। अक्सर देखा जाता है कि कुछ लोग किसी भा काम को शुरू करने से पहले मुहूर्त निकलवाते हैं। माना है कि हर काम के लिए कोई न कोई शुभ समय होता है, यही कारण है कि मुहूर्त निकलवाया जाता है। ज्योतिषियों के मुताबिक 24 घंटे में 30 मुहूर्त होते हैं। सूर्योदय के पहले दो मुहूर्त होते हैं। पहला मुहूर्त- विष्णु मुहूर्त होता है तो वहीं दूसरा मुहूर्त ब्रह्वा मुहूर्त कहलाता है।

 क्या होता है मुहूर्त :
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक ऐसी तालिका जिसमें खगोलिय आधार पर दिन के 24 घंटों की दशा को दर्शाया गया हो। 24 घंटों में 30 मुहूर्त होते हैं। दिन- रात के 30 वें भाग को मुहूर्त कहते हैं। एक मुहूर्त 2 घटी आ 48 मिनट का होता है।
सुबह के 4.24 बजे से 5.12 के मध्य के समय को ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं। ब्रह्म मुहूर्त के बारे में ज्योतिषियों का कहना है कि इस मुहूर्त में उठने से जातक की बुद्धि, बल, सौंदर्य और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इस मुहूर्त में वातावरण में ऑक्सीजन का स्तर अधिकतम रहता है। अगर इस समय व्यायाम किया जाता है तो शरीर को शुद्ध ऑक्सीजन मिलती है। फेफड़ों की शक्ति बढ़ती है, जिससे रक्त शुद्ध होता है। इस समय व्यायाम करने से शरीर को कई तरह के लाभ मिलते हैं।

ब्रह्म का अर्थ है ‘ज्ञान’ और मुहूर्त का अर्थ है ‘समय-अवधि’। ब्रह्म मुहूर्त, ज्ञान को समझने के लिए सबसे सही समय है।

 ब्रह्म मुहूर्त : आपका ‘अपना’ समय :
रोग मुक्त शरीर और जीवनकाल में वृद्धि के लाभ आकर्षक हैं। हालाँकि, ऋषियों एवं बड़े बुजुर्गों अपने शब्दों में, यह उनका ‘अपना समय’ है। उन्होंने मुझे समझाया। उन्होंने कहा कि सुबह से रात तक, हम दुनिया की मांगों का आदर कर रहे हैं। दिन व्यवसायी, सामाजिक और पारिवारिक जिम्मेदारियों को पूरा करने में व्यतीत होता है। रात में स्वयं के लिए थोड़ा समय बचा है।लेकिन उस अवधि में, आपकी ऊर्जा बहुत कम हो जाती है | एक ही समय जब आप तारो ताज़ा होते हैं, जागरूक होते हैं और आसानी से अपने भीतर जा सकते हैं,
वह है – ब्रह्म मुहूर्त, यह आपके लिए एक ‘विशेष’ समय है।

 ब्रह्म मुहूर्त में जागने के शोध लाभ :
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ योग एंड एलाइड साइंसेज के अनुसार, पूर्व-भोर अवधि के दौरान, वातावरण में नवजात ऑक्सीजन की उपलब्धता होती है। यह नवजात ऑक्सीजन आसानी से हीमोग्लोबिन के साथ मिलकर ऑक्सीहीमोग्लोबिन बनाता है, जिसके निम्नलिखित लाभ हैं:
– प्रतिरक्षा प्रणाली मज़बूत होती है |
– ऊर्जा स्तर बढ़ता है |
– रक्त पी-एच के संतुलन बना रहता है |
– दर्द, खराश और ऐंठन से राहत होती है|
– खनिज और विटामिन के अवशोषण बढ़ता है|

इस ‘अपने समय’ में करें , ये 5 चीजें :
हमारे पूर्वजों को लगा कि ब्रह्म मुहूर्त में की गई कुछ गतिविधियाँ स्वयं को संतुलित करने में मदद कर सकती हैं। ये गतिविधियाँ व्यक्तिगत और सांसारिक दोनों ही क्षेत्रों में इस समय को अपने लिए विशेष और फलदायी बनाने में मदद करती हैं। धर्मशास्त्र, हिंदू धर्मग्रंथों और ‘अष्टांग हृदय’ जैसे प्राचीन ग्रंथ निम्नलिखित सलाह देते हैं:

1. ध्यान करें
ध्यान खुद से मिलने का सबसे अच्छा तरीका है। और जब बाकी दुनिया सो रही है, तो ध्यान करने का बेहतर समय क्या है? यह वह समय है जब आपकी सजगता का स्तर सर्वोच्च हो | सर्वश्रेष्ठ ब्रह्म मुहूर्त ‘ध्यान’ में से एक है सहज समाधि ध्यान हैं।

2. ज्ञान पढ़ें या सुनें
‘अष्टांग हृदय’ के अनुसार, ब्रह्म मुहूर्त आध्यात्मिक ज्ञान और ज्ञान का अनुभव करने के लिए सबसे उपयुक्त समय है। प्राचीन शास्त्रों का अन्वेषण करें या ज्ञान के सरल सिद्धांतों को फिर से खोजें । धर्मशास्त्र के अनुसार, ब्रह्म मुहूर्त के दौरान शास्त्रों का अध्ययन मानसिक समस्याओं को कम करने में भी मदद करता है।

3. योजना
ब्रह्म मुहूर्त आपको जिस तरह का जागरूकता स्तर और ताजगी देता है, वह आपके जीवन में महत्वपूर्ण चीजों की योजना बनाने का सही समय है: यह काम हो, वित्त हो या कुछ और ।

4. आत्मनिरीक्षण करें
पिछले दिन के अपने कार्यों को याद करें। ईर्ष्या, क्रोध और लालच जैसी नकारात्मक भावनाओं में आपने कितनी बार याद किया। इन यादों में से किसी को भी आप अपराध बोध में न डूबने दें। बस उन क्षणों के बारे में पता करें। हर रोज ऐसा करने से अंततः इन भावनाओं को महत्त्व देने की आपकी प्रवृत्ति कम हो जाएगी।और अंततः बुरे कर्म कम हो जाएंगे।

5. अपने माता-पिता, गुरु और भगवान को याद करें
हमें अक्सर अपने जीवन में सबसे महत्वपूर्ण लोगों को याद करने का समय नहीं मिलता है। ऋषि शौनक कहते है : मानसिक रूप से अपने माता-पिता, गुरु, और जिस ऊर्जा को आप मानते हैं , उसको याद करे, उसे ईश्वर या सार्वभौमिक ऊर्जा कहते हैं।

 ब्रह्म मुहूर्त में ये चीज़ें नहीं करनी चाहिए –
1. न खाएं:
ब्रह्म मुहूर्त में भोजन करने से बीमारियां होती हैं।

2. तनावपूर्ण गतिविधि न करें :
ऐसा कुछ भी न करें जिसके लिए बहुत अधिक मानसिक कार्य की आवश्यकता हो। ऐसा करने से किसी की उम्र कम हो जाती है।

क्या सभी को ब्रह्म मुहूर्त में जागना चाहिए ?
अष्टांग हृदय के अनुसार, केवल एक स्वस्थ व्यक्ति को ब्रह्म मुहूर्त में जागना चाहिए। ग्रन्थ में ऐसा भी कहा गया है कि निम्नलिखित लोगों को ब्रह्म मुहूर्त में उठने पर कोई पाबंदी नहीं है –
– गर्भवती महिला
– बच्चे
– वृद्ध लोग जो शुरू से ही इस अवधि में नहीं जागे हैं
– किसी भी शारीरिक और मानसिक बीमारी से पीड़ित लोग
– जिन लोगों का रात का भोजन नहीं पचा

 जानिए कब और कैसे शुरु हुए यह परंपरा ? क्या हैं इसके फायदे ?
रात्रि के अंतिम प्रहर के तत्कालबाद का समय को ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं। हमारे ऋषि मुनियों ने इस मुहूर्त का विशेष महत्व बताया है। उनके अनुसार यह समय निद्रा त्याग के लिए सर्वोत्तम है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने से सौंदर्य, बल, विद्या, बुद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। सूर्योदय से चार घड़ी (लगभग डेढ़ घण्टे) पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में ही जग जाना चाहिये। इस समय सोना शास्त्र निशिद्ध है। प्रात: 4 से 5.30 बजे का समय ब्रह्म मुहूर्त कहा गया है।

 ब्रह्ममुहूर्त की निद्रा से होता है पुण्य का नाश :
सिख मत में इस समय को बेहद सुन्दर माना गया है। इसे अमृत वेला ईश्वर भक्ति के लिए यह महत्व स्वयं ही साबित हो जाता है। ईश्वर भक्ति के लिए यह सर्वश्रेष्ठ समय है। इस समय उठने से मनुष्य को सौंदर्य, लक्ष्मी, बुद्धि, स्वास्थ्य आदि की प्राप्ति होती है। उसका मन शांत और तन पवित्र होता है। ब्रह्म मुहूर्त में उठना हमारे जीवन के लिए बहुत लाभकारी है। इससे हमारा शरीर स्वस्थ होता है और दिनभर स्फूर्ति बनी रहती है। स्वस्थ रहने और सफल होने का यह ऐसा फार्मूला है जिसमें खर्च कुछ नहीं होता। केवल आलस्य छोडऩे की जरूरत है।

पौराणिक महत्व :
बाल्मीकि रामायण के अनुसार श्रीहनुमान ब्रह्ममुहूर्त में ही अशोक वाटिका पहुंचे। जहां उन्होंने वेद मंत्रो का पाठ करते माता सीता को सुना। ब्रह्म मुहूर्त और प्रकृति का गहरा नाता है। इस समय में पशु-पक्षी जाग जाते हैं। उनका मधुर कलरव शुरू हो जाता है। कमल का फूल भी खिल उठता है। एक तरह से प्रकृति भी ब्रह्म मुहूर्त में चैतन्य हो जाती है। यह प्रतीक है उठने, जागने का। प्रकृति हमें संदेश देती है ब्रह्म मुहूर्त में उठने के लिए।

ब्रह्म मुहूर्त में जगने से मिलती है सफलता व समृद्धि :
आयुर्वेद के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त में उठकर टहलने से शरीर में संजीवनी शक्ति का संचार होता है। यही कारण है कि इस समय बहने वाली वायु को अमृततुल्य कहा गया है। इसके अलावा यह समय अध्ययन के लिए भी सर्वोत्तम बताया गया है क्योंकि रात को आराम करने के बाद सुबह जब हम उठते हैं तो शरीर तथा मस्तिष्क में भी स्फूर्ति व ताजगी बनी रहती है। ब्रह्ममुहूर्त के धार्मिक, पौराणिक व व्यावहारिक पहलुओं और लाभ को जानकर हर रोज इस शुभ घड़ी में जागना शुरू करें तो बेहतर नतीजे मिलेंगे।

शरीर और मन रहता है स्वस्थ :
ब्रह्म मुहूर्त में उठने वाला व्यक्ति सफल्, सुखी और समृद्ध होता है,, क्योंकि जल्दी उठने से दिनभर के कार्यों और योजनाओं को बनाने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है। इसलिए न केवल जीवन सफल होता है। शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने वाला हर व्यक्ति सुखी और समृद्ध हो सकता है। कारण वह जो काम करता है उसमें उसकी प्रगति होती है। विद्यार्थी परीक्षा में सफल रहता है। बिजनेसमैन अच्छी कमाई कर सकता है। बीमार आदमी की आय तो प्रभावित होती ही है, उल्टे खर्च बढऩे लगता है। सफलता उसी के कदम चूमती है जो समय का सदुपयोग करे और स्वस्थ रहे।

वेदों में भी है उल्लेख :
सुबह सूर्य उदय होने से पहले उठने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। इसीलिए बुद्धिमान लोग इस समय को व्यर्थ नहीं गंवाते। सुबह जल्दी उठने वाला व्यक्ति स्वस्थ, सुखी, ताकतवाला और दीर्घायु होता है। व्यक्ति को सुबह सूर्योदय से पहले शौच व स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद भगवान की उपासना करना चाहिए। इस समय की शुद्ध व निर्मल हवा से स्वास्थ्य और संपत्ति की वृद्धि होती है।

व्यावहारिक महत्व
व्यावहारिक रूप से अच्छी सेहत, ताजगी और ऊर्जा पाने के लिए ब्रह्ममुहूर्त बेहतर समय है। क्योंकि रात की नींद के बाद पिछले दिन की शारीरिक और मानसिक थकान उतर जाने पर दिमाग शांत और स्थिर रहता है।

आलेख एवं निवेदक :
मानसपुत्र [ पंडित ] संजय कुमार झा

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