घर का भेदी और ढहता कांग्रेसी दुर्ग

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त्रिदीब रमण 
त्रिदीब रमण 

त्रिदीब रमण 
कांग्रेस के अंदर तूफान आने से पहले का सन्नाटा पसरा है कि जिन नेताओं को राहुल गांधी खुल्लमखुला गरिया चुके हैं उन्हें फिर से पार्टी में इतनी अहम जिम्मेदारियां कैसे मिल जाती है। पिछली बार के बिहार विधानसभा के चुनावी नतीजों से राहुल गांधी इतने आहत थे कि बिहार के कांग्रेसी नेताओं के समक्ष ही उन्होंने खम्म ठोक कर ऐलान कर दिया था कि ’उन्हें मालूम है कि बिहार में कांग्रेस के 20 से ज्यादा टिकट बिके हैं’ सजा के तौर बिहार की स्क्रीनिंग कमेटी के मेंबर अविनाश पांडे से तमाम जिम्मेदारियां वापिस ले ली गईं। अविनाश पांडे अब तक अपने राजनैतिक जीवन में सिर्फ एक चुनाव जीत पाए हैं। पर इस बार फिर से उन्हें वीरेंद्र राठौर के साथ उत्तराखंड की स्क्रीनिंग कमेटी की अहम जिम्मेदारी सौंप दी गई है यानी अविनाश पांडे उन्हीं वीरेंद्र राठौर के साथ मिल कर कांग्रेस का टिकट बांटेंगे जो राठौर हरियाणा में अब तक तीन चुनाव हार चुके हैं। वीरेंद्र राठौर पहले भी दिल्ली विधानसभा चुनाव की स्क्रीनिंग कमेटी में रह चुके हैं, दिल्ली में कांग्रेस का हश्र क्या हुआ यह सबके सामने है। दबी जुबान से दिल्ली में भी कांग्रेस का टिकट बिकने की चर्चा हुई थी। अब क्या उत्तराखंड में कांग्रेस अपना जीता-जिताया दांव गंवाना चाहती है?
जोर लगा के ममता
तृणमूल नेत्री ममता बनर्जी बंगाल में अपनी पार्टी के अभूतपूर्व प्रदर्शन से सातवें आसमान पर हैं। अब वह धीरे-धीरे अन्य राज्यों में भी अपने पांव पसारना चाहती हैं। ममता की पहली नज़र कांग्रेस पर है, जहां से वह असंतुष्ट नेताओं को तोड़ कर अपनी पार्टी में लाना चाहती है। ममता 2024 चुनावों में अपने को पीएम के एक वैकल्पिक चेहरे के तौर पर मजबूती से उभारना चाहती हैं। ममता के इस महत्वाकांक्षी योजना को परवान चढ़ाने का काम चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर कर रहे हैं, मुकुल संगमा ने भी इस बात का खुलासा कर दिया है। कीर्ति आजाद, पवन वर्मा से लेकर अशोक तंवर के मन में दीदी का फूल खिलाने के पीछे भी पीके ही हैं। सूत्रों की मानें तो ममता का अगला निशाना महाराष्ट्र है जहां के कद्दावर कांग्रेसी नेता चव्हाण को लुभाने की कवायद जारी है। विदर्भ के एक पुराने कांग्रेसी और राजीव ब्रिगेड में शामिल रहे नरेश पुगलिया भी तृणमूल के संपर्क में हैं। पुगलिया राज्यसभा और लोकसभा दोनों ही सदनों में कांग्रेस की नुमाइंदगी कर चुके हैं। वे कई ट्रेड यूनियनों से भी जुड़े रहे हैं, महाराष्ट्र के नवगठित जंबों कांग्रेस कमेटी में अपनी अनदेखी से नाराज़ पुगलिया लगता है कांग्रेस को बाई-बाई कर दीदी की पार्टी ज्वॉइन कर सकते हैं। आने वाले वक्त में पीके कांग्रेस में तोड़-फोड़ की यह कवायद और बढ़ा सकते हैं।
…और अंत में
अभी कांग्रेस सलमान खुर्शीद के ’पुस्तक बम’ के धमाके से उबर ही नहीं पाई थी कि जी-23 ग्रुप के एक और अहम नेता अपनी धमाकेदार पुस्तक ‘10 फ्लैश प्वांइट, 20 ईयर्स’ के साथ सामने आ गए हैं जिसमें 26/11 की घटना को लेकर अपनी सरकार पर निशाना साधा गया है। कैप्टन के कांग्रेस को अलविदा कहने के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि मनीष कैप्टन की नई पार्टी में शामिल हो सकते हैं। पर सूत्र बताते हैं कि मनीष उम्रदराज कैप्टन के साथ जाने के बजाए अरविंद केजरीवाल के साथ अपनी दोस्ती को नया आसमां मुहैया करा सकते हैं, सनद रहे कि 2019 के चुनाव में केजरीवाल ने मनीष को आम आदमी पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ने का आफर दिया था, पर तब कांग्रेस की आंख खुल गई थी और उन्हें पंजाब के श्री आनंदपुर साहिब से लोकसभा का टिकट दे दिया गया था। (एनटीआई-gossipguru.in)

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