6000 एनजीओ की विदेशी फंडिंग को मिलेगी हरी झंडी

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 25 जनवरी। हजारों गैर-लाभकारी संस्थाओं के लिए विदेशों से धन प्राप्त करने के लिए जरूरी लाइसेंस को नवीनीकृत करने से केंद्र के इनकार के खिलाफ एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगी। अमेरिका स्थित गैर-सरकारी संगठन या एनजीओ ग्लोबल पीस इनिशिएटिव द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि लाइसेंस रद्द करने से कोविड-19 राहत प्रयासों को कमजोर कर सकता है क्योंकि देश कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर और इन 6,000 एनजीओ द्वारा किए गए कार्यों से अब तक लाखों भारतीयों को मदद मिली है।

लाईसेंस विस्तार की मांग की गई

याचिका में इन गैर-सरकारी संगठनों के लिए विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम या एफसीआरए लाइसेंस के विस्तार की मांग की गई है, जब तक कि केंद्र सरकार ने कोविड-19 महामारी को ‘राष्ट्रीय आपदा’ घोषित कर रखा है। याचिका में कहा गया है, “इन हजारों गैर-सरकारी संगठनों के एफसीआरए रजिस्ट्रेशन को अचानक और मनमाने ढंग से रद्द करना संगठनों और उनके कार्यकर्ताओं के साथ-साथ उन लाखों भारतीयों के अधिकारों का उल्लंघन है, जिनकी वे सेवा करते हैं।”

एनजीओ का एफसीआरए पंजीकरण अनिवार्य

एनजीओ ‘ग्लोबल पीस इनिशिएटिव’ द्वारा दायर याचिका न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई. विदेश से निधि प्राप्त करने वाली किसी भी संस्था या गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के लिये एफसीआरए पंजीकरण कराना अनिवार्य है। देश में 31 दिसंबर 2021 तक 22,762 एफसीआरए पंजीकृत संगठन थे। यह संख्या एक जनवरी को घटकर 16829 पर आ गई। इन्हें “जीवित” संगठन माना गया।

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