समग्र समाचार सेवा
नई दिलली, 27 जनवरी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 25 जुलाई 2022 को खत्म हो रहा है। पांच महीने बाद राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इससे पहले भारतीय जनता पीर्टी और आरएसएस (संघ) के भीतर राष्ट्रपति पद के प्रत्याशियों के नामों को लेकर मंथन शुरू हो चुका है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर के विधानसभा चुनाव के बाद नामों पर मंथन और तेज हो जाएगा।
इन नामों पर हो रहा है विचार
इस बीच राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी के लिए यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, केरल के गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान, कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू प्रमुखता से शामिल हैं।
आनंदी बेन पटेल हैं फिलहाल उप्र की राज्यपाल
आनंदी बेन पटेल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बेहद करीबी हैं, वे उप्र की राज्यपाल हैं। गुजरात की मुख्यमंत्री भी रह चुकी हैं। तर्क दिया जा रहा है कि एनडीए के पहले कार्यकाल में भाजपा ने वैज्ञानिक अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाया था, वे राष्ट्रपति भी बने। इसके जरिये भाजपा ने देश और दुनिया के मुस्लिमों को संदेश देने की कोशिश की थी।
आरिफ मोहम्मद खान का कहां तक दावा मजबूत?
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान उप्र के बुलंदशहर के रहने वाले हैं। शाहबानो केस को लेकर आरिफ ने राजीव गांधी सरकार में केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद वह सुर्खियों में आए थे। तीन तलाक, सीएए जैसे मामलों पर आरिफ हमेशा भाजपा के लिए ढाल बने रहे। भाजपा उन्हें प्रगतिशील विचारधारा का मानती है। ऐसे में भाजपा और संघ एक बार फिर से मुस्लिम चेहरे को राष्ट्रपति बनाकर न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में यह मैसेज देना चाहेंगे कि वे मुस्लिम विरोधी नहीं हैं, बल्कि तुष्टिकरण का विरोध करते हैं।
वेकैंया नायडू भी राष्ट्रपित की दौड़ में
उपराष्ट्रपति वेकैंया नायडू आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं और लंबे समय से भाजपा से जुड़े हैं। नायडू 2002 से 2004 तक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। वे अटल बिहारी सरकार में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री रहे। मोदी सरकार में शहरी विकास, आवास, शहरी गरीबी उन्मूलन, सूचना प्रसारण तथा संसदीय कार्य जैसे महत्वपूर्ण महकमे की कमान संभाली। नायडू अगस्त 2017 से उपराष्ट्रपति हैं। नायडू को राष्ट्रपति बनाकर भाजपा दक्षिण भारत में अपनी जमीनी पकड़ को मजबूत करने के लिए बड़ा सियासी संदेश दे सकती है। चौथा नाम थावर चंद गहलौत का है जो दलित समाज से ताल्लुक रखते हैं। उन्हें भी अगला दावेदार माना जा रहा है।