समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 29जुलाई। ओडिशा के आदिवासी बहुल मयूरभंज जिले के पांच दर्जन लोगों के लिए यह एक सपने के सच होने जैसा था क्योंकि उन्हें राष्ट्रपति भवन में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ दोपहर का भोजन करने का अवसर मिला। मुर्मू के गृह जिले के सभी 60 लोग, जिन्हें देश के पहले आदिवासी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था, सुखद आश्चर्य में थे, जब अधिकारियों ने उनसे उनकी ‘मिट्टी की बेटी’ द्वारा आयोजित दोपहर के भोजन में शामिल होने का आग्रह किया।
मयूरभंज जिले की पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष सुजाता मुर्मू ने कहा, “हम संसद के सेंट्रल हॉल में राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होकर बहुत खुश थे, लेकिन हमने कभी नहीं सोचा था कि हमें राष्ट्रपति भवन में दोपहर के भोजन के लिए आमंत्रित किया जाएगा।” वह और कुछ अन्य महिला अतिथि संथाल पारंपरिक साड़ी पहनकर शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुई थीं।
ऐसा ही गयमणि बेशरा और डांगी मुर्मू का अनुभव था। दोनों लंबे समय से राष्ट्रपति के करीबी थे और उन्हें शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया गया था। उन्हें भी यह उम्मीद नहीं थी कि राष्ट्रपति भी उन्हें दोपहर के भोजन के लिए कहेंगे। मुर्मू के गृह जिले के निवासियों को राष्ट्रपति भवन का दौरा कराया गया और राष्ट्रपति कार्यालय दिखाया गया।
सुजाता मुर्मू ने कहा कि राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास से बाहर निकलने पर मेहमानों को मिठाई का एक पैकेट भी दिया गया, यह एक यादगार अनुभव था। लंच मेन्यू के बारे में पूछे जाने पर प्रतिभागियों ने कहा कि यह पूरी तरह से शाकाहारी है क्योंकि राष्ट्रपति मांसाहारी खाना नहीं खाती, यहां तक कि लहसुन और प्याज भी नहीं खाती ।
मेनू में स्वीटकॉर्न वेजिटेबल सूप, पालक पनीर, दाल अरहर तड़का, गोभी गाजर बीन्स, मलाई कोफ्ता, जीरा पुलाव, नान, ताजा हरा सलाद, बूंदी रायता, केसर रसमलाई और ताजे फल शामिल थे।