समग्र समाचार सेवा
चंडीगढ़ ,27 नवंबर।भाजपा सरकार ने हरियाणा में गैरकानूनी धर्मांतरण रोकथाम विधेयक, 2022 का बचाव किया है, जो बड़े पैमाने पर दक्षिणपंथी समूहों के ‘लव जिहाद’ को संबोधित करता है. इसे राज्य विधानसभा ने मार्च में विपक्षी कांग्रेस के विरोध के बावजूद पारित कर दिया था. विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस के सांसदों ने एक विशेष धर्मांतरण विरोधी कानून बनाने की आवश्यकता पर सवाल उठाया, जब भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कार्रवाई करने के प्रावधान हैं. जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए दक्षिणपंथियों ने इसे लव जिहाद का नाम दिया है.
विधेयक के पारित होने को सही ठहराते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा था कि इसका उद्देश्य अपराध करने वालों में डर पैदा करना है. उन्होंने कहा था कि कोई व्यक्ति अपनी मर्जी से धर्म बदल सकता है, लेकिन किसी के साथ जबरन ऐसा नहीं होने दिया जाएगा. यदि धोखे से या किसी प्रकार का लालच देकर धर्म परिवर्तन करते हैं, तो ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इस विधेयक का उद्देश्य जबरन धर्म परिवर्तन को नियंत्रित करना है.
खट्टर ने विधानसभा को सूचित किया था कि पिछले चार वर्षों में धर्मांतरण के लिए 127 एफआईआर दर्ज की गईं. जबरन धर्मांतरण के अधिकांश मामले यमुनानगर, पानीपत, गुरुग्राम, पलवल और फरीदाबाद में थे, जो सभी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में स्थित हैं. कांग्रेस नेता और दो बार के मुख्यमंत्री हुड्डा ने एक नए कानून की आवश्यकता पर बल दिया था, खट्टर ने धर्मांतरण विरोधी कानून को और अधिक कठोर कहकर इसे उचित ठहराया.
हरियाणा 11वां भाजपा शासित राज्य बन गया है जहां इस तरह का कानून है. हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने 2019 में एक विधेयक पारित किया था जिसमें जबरन धर्म परिवर्तन को दंडनीय अपराध माना गया. हरियाणा विधानसभा में विधेयक के पारित होने से पहले, सत्तारूढ़ गठबंधन के महत्वपूर्ण सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने ‘लव जिहाद’ शब्द को शामिल करने का विरोध किया था. उन्होंने कहा था, ‘अगर कोई खुद धर्म बदलने को तैयार है तो कोई रोक नहीं होनी चाहिए.’
इससे भाजपा में खलबली मच गई और गृह मंत्री अनिल विज ने घोषणा की कि विधेयक में यह शब्द शामिल नहीं होगा. पिछले साल पानीपत निवासी पी.पी. कपूर द्वारा एक आरटीआई (सूचना का अधिकार) आवेदन से पता चला कि पिछले तीन वर्षों में अंबाला, नूंह और पानीपत जिलों में ‘लव जिहाद’ के चार मामले दर्ज किए गए थे. पुलिस ने दो मामलों में एफआईआर रद्द करने का कदम उठाया, तीसरे मामले में बरी कर दिया गया और चौथा मामला कोर्ट में है.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने शनिवार को आईएएनएस को बताया कि नया कानून लागू होने के बाद से जबरन धर्मांतरण का कोई मामला सामने नहीं आया है. पिछले साल बल्लभगढ़ में एक महिला की हत्या पर विधानसभा में प्रस्ताव पर जवाब देते हुए गृह मंत्री ने कहा था, ”कोई किसी से भी शादी कर सकता है, कोई किसी से भी प्यार कर सकता है. लेकिन अगर किसी को प्रेमजाल में फंसाकर धर्म परिवर्तन की साजिश रची जा रही है तो उस साजिश को रोकना बेहद जरूरी है. जो भी कदम उठाने की जरूरत होगी हम उठाएंगे.
अक्टूबर 2020 में फरीदाबाद जिले के बल्लभगढ़ में 21 वर्षीय निकिता तोमर की उसके कॉलेज के बाहर दिनदहाड़े हत्या कर दी गई. इसके साथ धमकियों के इस्तेमाल से धर्मांतरण को दंडित करने के लिए एक कठोर कानून लाने की मांग को बल मिला, जिसने देशव्यापी आक्रोश पैदा हो गया. अग्रवाल कॉलेज के बाहर उसके पूर्व सहपाठी तौसीफ ने प्वाइंट-ब्लैक रेंज में उसकी गोली मारकर हत्या कर दी थी. अपराध कैमरे में कैद हो गया. इस हत्याकांड की सुनवाई 1 दिसंबर, 2020 को शुरू हुई थी.
चार महीने से भी कम समय में, फरीदाबाद की एक फास्ट-ट्रैक अदालत ने मुख्य आरोपी तौसीफ और एक अन्य आरोपी रेहान को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और प्रत्येक पर 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया. पीड़िता के परिवार ने दावा किया था कि यह ‘लव जिहाद’ का मामला था, जहां आरोपी तौसीफ ने पीड़िता पर इस्लाम अपनाने और उससे शादी करने का दबाव डाला.
इस अपराध के बाद, राज्यव्यापी विरोध शुरू हो गया. अपराध की संवेदनशीलता को देखते हुए, मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने घटना की जांच के लिए पांच सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था. पीड़ित परिवार ने कहा कि उन्होंने 2018 में तौसीफ के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन बाद में मामला सुलझ गया था. निकिता के पिता ने कहा था कि अगर ‘लव जिहाद’ के खिलाफ कानून पहले बनाया गया होता तो उनकी बेटी को बचाया जा सकता था.