समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 8दिसंबर। विश्व भर में 25 नवंबर महिलाओं के विरुद्ध हिंसा के उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसके साथ ही प्रति वर्ष 10 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। 25 नवंबर और 10 दिसंबर के बीच के 16 दिनों की अवधि को विभिन्न संस्थानों, संयुक्त राष्ट्रसंघ सहित सिविल सोसाइटी संगठनों द्वारा महिलाओं के विरुद्ध सभी प्रकार की हिंसा और भेदभाव को खत्म करने के बारे में जागरुकता पैदा करने के लिए मनाया जाता है जिससे कि महिलाओं की संरक्षा, सुरक्षा तथा समग्र अधिकारिता सुनिश्चित की जा सके और साथ ही साथ यह भी सुनिश्चित किया जा सके कि महिलाओं और लड़कियों के मूलभूत मानवाधिकारों का सभी द्वारा सम्मान किया जाए।
इस दिशा में, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में, भारत को एक जीवंत राष्ट्र बनाने के लिए, देश की महिलाओं को सशक्त बनाने हेतु जहां जेंडर आधारित भेदभाव का कोई स्थान न हो, केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री श्री किरेन रिजिजू और राज्य मंत्री प्रोफेसर एस पी सिंह बघेल के तत्वाधान में विधि एवं न्याय मंत्रालय के कानूनी मामले विभाग ने शास्त्री भवन में अधिकारियों और कर्मचारियों को संवेदनशील बनाने के लिए एक जागरुकता एवं संवेदीकरण कार्यशाला तथा नुक्कड़ नाटक आयोजित करने की परिकल्पना की।
कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न ( रोकथाम, निषेध और निवारण ) अधिनियम, 2013 पर जागरुकता एवं संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन 6 दिसंबर, 2022 को नई दिल्ली के शास्त्री भवन में किया गया। अपर सचिव डॉ. अंजु राठी राणा ने उपस्थित व्यक्तियों के समक्ष स्वागत भाषण देते हुए कार्यशाला का संचालन किया। विधि सचिव डॉ. नितिन चंद्रा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अपने संबोधन में संसाधन व्यक्ति अधिवक्ता ( सर्वोच्च न्यायालय ) श्री शशांक शेखर का भी स्वागत किया तथा संवादात्मक कार्यशाला की शुरुआत की। डॉ. अंजु राठी राणा, जो वर्तमान में कानूनी मामले विभाग की आंतरिक शिकायतों की प्रमुख हैं, ने आंतरिक समिति की संरचना और कार्यों के बारे में जानकारी दी तथा बताया कि यह किस प्रकार विभाग के साथ काम करने वाली महिला कर्मचारियों के कल्याण तथा शिकायत निवारण के लिए काम करती है।
विख्यात वक्ता तथा दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग ( डीसीपीसीआर ) के पूर्व सदस्य अधिवक्ता श्री शशांक शेखर को एक संसाधन व्यक्ति, कार्यस्थल पर महिलाओं द्वारा सामना किए जाने वाले मुद्दो पर एक विशेषज्ञ के रूप में आमंत्रित किया गया। उन्होंने श्रोताओं का प्रक्षेत्र स्तर के अनुभवों से ज्ञानवर्धन किया, कार्यस्थल तथा सामान्य रूप से श्रोताओं को समाज में प्रचलित मुद्वों के बारे में अवगत कराया और उनके समाधानों को रेखांकित किया। श्री शेखर का सामाजिक विकास क्षेत्र में विभिन्न कार्यक्षेत्रों के साथ काम करने का व्यापक अनुभव कार्यक्रम के दौरान उनके द्वारा दिए गए बुद्धिमत्तापूर्ण शब्दों से प्रतिध्वनित हुआ।
कार्यशाला के अतिरिक्त, कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न ( रोकथाम, निषेध और निवारण ) अधिनियम, 2013 पर दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर की कल्चर सोसाइटी के छात्रों द्वारा जागरुकता पैदा करने तथा समाज में महिलाओं के प्रति समान रूप से इज्जत और सम्मान की भावना उत्पन्न करने के लिए 7 दिसंबर, 2022 को नई दिल्ली के शास्त्री भवन में एक नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया। छात्रों ने दर्शकों के समक्ष जीवंत संदेशों को नवोन्मेषी तरीके से प्रदर्शित किया, उन्होंने दर्शाया कि किस प्रकार उत्पीड़न का मुद्वा अभी भी कार्यस्थलों, मेट्रो स्टेशनों, शैक्षणिक संस्थानों, अन्य सार्वजनिक स्थानों पर व्याप्त है तथा यौन शोषण और उत्पीड़न को रोकने के लिए विभिन्न तरीके निर्धारित किए। छात्रों ने दर्शकों से किसी भी समय कोई भी अप्रिय घटना होने पर कानूनी कार्रवाई करने का आग्रह किया।
शास्त्री भवन के अधिकारी और कर्मचारी कार्यस्थल पर महिलाओं के सामने आने वाली दिक्कतों तथा उसके लिए कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न ( रोकथाम, निषेध और निवारण ) अधिनियम, 2013 में दिए गए समाधानों और प्रावधानों से अवगत हुए।
विभाग के सोशल मीडिया प्रकोष्ठ ने आम लोगों के बीच इसकी पहुंच को विस्तारित करने के लिए एक समर्पित अभियान के माध्यम से सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न ( रोकथाम, निषेध और निवारण ) अधिनियम, 2013 के प्रावधानों को प्रसारित किया। इसके साथ साथ, कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम करने तथा जेंडर के आधार पर किसी भी प्रकार के भेदभाव को रोकने के संबंध में आम जनता को शिक्षित करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर सूचनात्मक वीडियो प्रसारित किए जाएंगे।