नीतीश भाजपा की मजबूरी क्यों हैं?
त्रिदीब रमण
’कहां तो हौसला था कि आसमां से सूरज उतार लाएंगे
तेरी जुल्फों में उलझे सावन से हम भी बहार लाएंगे
पर नए दौर का यह मौसम नया है
दोस्त मैं तुझमें हूं पर मुझमें तू कहां है’
भाजपा 2024 के आम चुनावों के लिए अभी से कमर कस चुकी…
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