यूक्रेन पर रूसी हमला और भारत की द्विविधा
त्रिदीब रमण
‘वक्त की चुनौतियां भीमकाय हैं
और हमारे हौंसले रेत पर रेंगती चीटियों से
हर तरफ शोर बेशुमार है
और हमारी आत्मा गूंगी ऋचाओं सी
कुछ बदलना है तो अपने नपुंसक विचारों को बदलो
क्रांति कब बिकती है किसी बनिए की दुकान पर’
नेहरू…
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