भगवान शिव का विभिन्न द्रव्यों से स्नान और उनका फल!!!!!!!
समुद्र-मंथन से उत्पन्न कालकूट विष की ज्वाला से दग्ध संसार की रक्षा के लिए भगवान शिव ने स्वयं ही उस महाविष का हथेली पर रखकर आचमन कर लिया और नीलकण्ठ कहलाए ।
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