अनामी शरण बबल
अपनी उपेक्षा से आहत अन्ना की पीड़ा का कोई राखनहार नही
नयी दिल्ली। आंदोलनों और धरना देकर भूख हड़ताल करने वाले समाजसेवी अन्ना हजारे अपनी उपेक्षा से आहत हैं। लोकसभा चुनाव की शोर में विख्यात समाजसेवी अन्ना हजारे का धरना बेमानी होता जा रहा है। पिछले सात दिनों से लोकपाल की बहाली की मांग को लेकर वे अपने गांव रालेगण सिद्धि में ही हड़तालर पर बैठे हैं। इस बार सरकारी स्तर पर कोई हरक़त होते नही देखकर गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने ऐलान किया है, कि नौ फरवरी तक मांगे नहीं मानी गयी तो वे अपना पद्म विभूषण सम्मान लौटा देंगे। 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के दिन अन्ना अनशन पर बैठे थे।
मगर चुनावी गहमागहमी में इस बार सुर्खियां पाने बटोरने में भी अन्ना काफी पीछे रह गए हैं। महाराष्ट्र सरकार ने भी सिवाय हेल्थ चेकअप के लिए एक डाक्टर की ड्यूटी लगाकर भूल गयी है। भूख-हड़ताल के बावजूद आम नागरिकों की उदासीनता से अन्ना हजारे भीतर से उदास निराश हैं। अन्ना की निराशा अब साफ झलकने लगी है। अन्ना अब इस तरह पीड़ा बयान करने लगे हैं, कि आठ या नौ फरवरी तक मांगे नहीं मानी गयी तो को मेरे पद्मभूषण पुरस्कार को पद्म विभूषण सम्मान राष्ट्रपति को वापस करूंगा। समाज और देश सेवा करते हुए यह पुरस्कार आप ने मुझे दिया, लेकिन समाज और देश कि यह हालत होगी, तो मैं किस लिए यह पुरस्कार रखूं। अन्ना की इस चेतावनी के बाद भी कहीं कोई पता नहीं हिला और न ही कोई सरकारी अधिकारी मिलने ही आया। और तो और इनको लेकर धरना प्रदर्शन करने कराने वाले किसी नेता का भी कोई समर्थन हासिल नहीं हुआ। चुनावी व्यस्तता में आकर मिलने की बात करना तो बेमानी हीं है। अपने धरने के फ्लॉप शो को महसूस करके अन्ना ने अब सबको कोसना शुरू कर दिया है। सभी दलों और नेताओं को अन्ना ने मतलबी और स्वार्थी कहा। इनकी पीड़ा है कि सबों ने इनका इस्तेमाल किया।
अन्ना के तीन मुख्य बिंदु हैं, जिसमें केंद्र में लोकपाल, प्रत्येक राज्य में लोकायुक्त की नियुक्ति और किसानों का मुद्दा है। 1992 में अपने गांव को दूसरों के लिए एक मॉडल के रूप में स्थापित करने के प्रयासों के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण प्रदान किया था। इनके गांव में भी अन्ना हजारे की उपेक्षा का मलाल है। मगर ज्यादातर लोगों का मानना है कि इसके लिए अन्ना ने ग़लत समय और ग़लत जगह का चुनाव किया। जिससे इस बार इनकी जगहंसाई ज्यादा हो रही है।