स्मोक फ्री के बाद कचरा मुक्त (फ्री) शहर बना शिमला : क्या सच क्या झूठ / अनामी शरण बबल
शिमला। अपनी खूबसूरती, स्नो फॉल और मॉल रोड के लिए विख्यात शहर शिमला की अब एक नयी पहचान सामने है। स्मोक फ्री सिटी बनने के बाद अब शिमला शहर को कचरा मुक्त शहर भी घोषित कर दिया गया। शिमला नगर निगम के सदन की विशेष बैठक में आज़ बुधवार को पार्षदों की मंजूरी के बाद इसकी घोषणा की गई।निगमायुक्त पंकज राय ने इस मौके पर बताया कि इस दावे पर शहरवासियों की आपत्तियां मांगी थीं लेकिन एक भी आपत्ति नहीं आई। ऐसे में शहर को गारबेज फ्री सिटी घोषित किया जा रहा है। इससे स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग में भी शहर को बेहतर अंक मिलेंगे। शिमला देश का इकलौता शहर के रुप में आज़ प्रतिष्ठित हुआ है।
हालांकि, इस दौरान विकासनगर पार्षद रचना ने सवाल भी उठाए। कहा कि उनके वार्ड में सैकड़ों घरों से कचरा नहीं उठ रहा। जंगल और नाले कचरे से भरे पड़े हैं। कुछ पार्षदों ने भी कचरा फ्री सिटी पर आपत्ति की। पार्षदों ने कहा कि डिप्टी मेयर के वार्ड के भी यही हाल है। रोजाना कचरे का उठान नही हो रहा है। पार्षद रचना ने कहा कि लगातार कूड़े का निष्पादन नही होने से ज्यादातर लोग कूड़े को जंगलों में डालते हैं । पार्षद आरती मेहरा ने इन आरोपों की पुष्टि की। सुश्री आरती ने कहा कि शहरी क्षेत्र से लगे जंगली क्षेत्रों के नालें गंदगी से भरे लबालब गंधा रहे हैं। कई और पार्षदों ने भी कचरा फ्री सिटी की घोषणा करने से पहले शहरी हकीकत को अमली जामा पहनाने की जरूरत है। शहर के सभी सार्वजनिक शौचालयों का टेंडर निकाल कर नया आधुनिक चेहरा देने की कोशिश की जा रही है। नगर निगम की इस विशेष बैठक में महापौर उपमहापौर समेत केवल 18 पार्षद ही शामिल हुए।
पार्षदों की आपत्तियों पर निगमायुक्त ने कहा कि इसी रविवार तमाम इलाके का दौरा करके असली हालत का जायजा लेंगे। उन्होंने सभी हालत को बेहतर करने का भरोसा दिया। यानी शहरी हकीकत को जाने बिना केवल वाहवाही के लिए स्मोक और गार्बेज फ्री सिटी का ऐलान कराके सूबे की ठाकुर सरकार अपनी ही कहीं जगहंसाई तो नहीं कराएगी?