श्री गणेशजी से जुड़े रहस्य जानिए…

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,14 अक्टूबर।

भारतीय धर्म और संस्कृति में भगवान गणेशजी सर्वप्रथम पूजनीय और प्रार्थनीय हैं। उनकी पूजा के बगैर कोई भी मंगल कार्य शुरू नहीं होता। कोई उनकी पूजा के बगैर कार्य शुरू कर देता है तो किसी न किसी प्रकार के विघ्न आते ही हैं। सभी धर्मों में गणेश की किसी न किसी रूप में पूजा या उनका आह्वान किया ही जाता है।
1. गणेश देव सभी देवों में वे अग्रपूज्य, गणों के ईश गणपति, स्वस्तिक रूप तथा प्रणव स्वरूप हैं।
2. माता-पिता : शिव और पार्वती।
3. भाई-बहन : कार्तिकेय और अशोक सुंदरी।
4.पत्नी : प्रजापति विश्वकर्मा की पुत्री ऋद्धि और सिद्धि।
5.पुत्र : सिद्धि से ‘क्षेम’ और ऋद्धि से ‘लाभ’ नाम के दो पुत्र हुए। लोक-परंपरा में इन्हें ही शुभ-लाभ कहा जाता है।
6. जन्म समय : अनुमानत: 9938 विक्रम संवत पूर्व भाद्रपद माह की चतुर्थी अर्थात आज से 12,016 वर्ष पूर्व।
7.प्राचीन प्रमाण : दुनिया के प्रथम धर्मग्रंथ ऋग्वेद में भी भगवान गणेशजी का जिक्र है। ऋग्वेद में ‘गणपति’ शब्द आया है। यजुर्वेद में भी ये उल्लेख है।
8.गणेश ग्रंथ : गणेश पुराण, गणेश चालीसा, गणेश स्तुति, श्रीगणेश सहस्रनामावली, गणेशजी की आरती, संकटनाशन गणेश स्तोत्र।
9.गणेश संप्रदाय : गणेश की उपासना करने वाला सम्प्रदाय गाणपतेय कहलाते हैं।
10.गणेशजी के 12 नाम : सुमुख, एकदन्त, कपिल, गजकर्णक, लम्बोदर, विकट, विघ्ननाशक, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचन्द्र, विघ्नराज, द्वैमातुर, गणाधिप, हेरम्ब, गजानन।
11.अन्य नाम : अरुणवर्ण, एकदन्त, गजमुख, लम्बोदर, अरण-वस्त्र, त्रिपुण्ड्र-तिलक, मूषकवाहन।
12.गणेश का स्वरूप : वे एकदन्त और चतुर्बाहु हैं। अपने चारों हाथों में वे क्रमश: पाश, अंकुश, मोदक पात्र तथा वरमुद्रा धारण करते हैं। वे रक्तवर्ण, लम्बोदर, शूर्पकर्ण तथा पीतवस्त्रधारी हैं। वे रक्त चंदन धारण करते हैं।
13. मोदक, लड्डू प्रिय है।
14. लाल रंग के पुष्प प्रिय है।
15. प्रिय वस्तु : दुर्वा (दूब), शमी-पत्र
16.अधिपति : जल तत्व के
17.प्रमुख अस्त्र : पाश, अंकुश
18. वाहन : मूषक
19.गणेशजी का दिन : बुधवार।
20.गणेशजी की तिथि : चतुर्थी।
21.ग्रहाधिपति : केतु और बुध

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