समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 20जनवरी।
गुरु गोबिन्द सिंह सिखों के दसवें गुरु थे। उनके पिता गुरू तेग बहादुर की मृत्यु के उपरान्त 11 नवम्बर सन 1675 को वे गुरू बने. वह एक महान योद्धा, कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक नेता थे. सन 1699 में बैसाखी के दिन उन्होने खालसा पन्थ की स्थापना की जो सिखों के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है. गुरू गोबिन्द सिंह ने सिखों की पवित्र ग्रन्थ गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा किया।
आज उनकी जयंती के मौके पर हम बताते हैं उनके अनमोल विचार-
– अपनी जीविका ईमानदारी पूर्वक काम करते हुए चलाएं.
– अपनी कमाई का दसवां हिस्सा दान करें.
– अपनी जीविका ईमानदारी पूर्वक काम करते हुए चलाएं.
– काम में खूब मेहनत करें और काम को लेकर किसी तरह की आलस्यपन छोड़ दें.
– अपनी जवानी, जाति और कुल धर्म को लेकर घमंडी न बने.
– दुश्मन का सामना करने से पहले साम, दाम, दंड और भेद का सहारा लें, और अंत में जरूरत पड़े तो युद्ध करें.
– कभी भी किसी की चुगली-निंदा न करें और किसी से ईर्ष्या भी न करें.
– हर दिन जरूरतमंद व्यक्तियों की मदद जरूर करें.
– अपने आपको सुरक्षित रखने के लिए नियमित व्यायाम और घुड़सवारी की अभ्यास जरूर करें.
– गुरु गोविंद सिंह का कहना है- किसी भी तरह के नशे और तंबाकू का सेवन भूल से भी न अपनाएं.