विधानसभा चुनावी तारीखों से ममता दीदी गुस्से में,तो भाजपा व अन्य दलों में शांति..

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kumar rakesh
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*कुमार राकेश

केन्द्रीय चुनाव आयोग द्वारा पांच राज्यों में विधानसभा चुनावो की घोषणा से तृणमूल कांग्रेस उग्र हैं,जबकि भाजपा व अन्य दलों में शांति  हैं.इस शांति व उग्रता के उहापोह में तृणमूल कांग्रेस की सर्वेसर्वा ममता बनर्जी काफी गुस्से में हैं.आयोग पश्चिम बंगाल में  इस बार 8 चरणों में चुनाव करवाने जा रहा हैं,वही असम में तीन चरणों में.उसके अलावा तमिलनाडु,केरल और पुडूचेरी में एक साथ एक चरण में ही 6 अप्रैल को चुनाव होंगे.

ममता बनर्जी का आरोप हैं कि चुनाव आयोग ने भाजपा के हिसाब से उनके राज्य पश्चिम बंगाल में  तारीखों की घोषणा की है ,लेकिन उनके तथाकथित आरोपों को वैधानिक नहीं कहा जा सकता .ज्ञातव्य हैं चुनाव आयोग के संवैधानिक व स्वतंत्र निकाय हैं.इसलिए आयोग पर विला वजह किसी भी दल द्वारा अनर्गल आरोपों से उस दल की संकीर्ण मानसिकता का पता चलता हैं.

पश्चिम बंगाल में 294 ,असम में 126,तमिलनाडु में 234,केरल में 140 और पुडूचेरी में 30 सीटों के लिए विधान सभा चुनाव होंगे.सबका चुनाव परिणाम एक साथ 2 मई को घोषित किये जायेंगे.

पश्चिम बंगाल में 27 मार्च से 29 अप्रैल तक  आठ चरणों में सम्पन्न हो जायेंगे.एक साथ,एक बार में सिर्फ 30-40 सीटों को ही चुनाव तारीखों के साथ जोड़ा गया हैं .वही 3 राज्यों-तमिलनाडु ,केरल व पुडुचेरी में एक साथ ,एक ही तारीख में 6 अप्रैल को चुनाव संपन्न होगे.असम में 27 मार्च,1 अप्रैल और 6 अप्रैल को चुनाव होंगे.

देश में इस बार सबसे रोचक व रोमाचक चुनाव पश्चिम बंगाल में होगा.एक एक सीट ,एक एक प्रत्याशी पर सभी दल गंभीर हैं और होंगे.ये लडाई जहाँ ममता दीदी के लिए जीवन-मरण का सवाल बताया जा रहा हैं वही भाजपा के लिए आत्म सम्मान व प्राण प्रतिष्ठा का.भाजपा  का नारा है सोनार बांग्ला ,जबकि ममता दीदी का नारा है हमार बांगला.इस बार देखना है कि बंगाल की जनता हमार और सोनार में  से किसको चुनती हैं .

पश्चिम बंगाल में 294 सीटों पर चुनाव होंगे.अभी संख्या बल के मद्देनजर सबसे मज़बूत  स्थिति तृणमूल कांग्रेस की हैं .उनकी सरकार भी हैं .परन्तु  तृणमूल के दस साला राज के बाद प्रदेश की जनता काफी परेशान बताई जा रही है.ममता दीदी और उनके समर्थको में भय व आतंक साफ़ तौर पर देखा जा रहा हैं.ममता दीदी के कई मंत्री ,कट्टर समर्थक उनका साथ छोड़ चुके हैं.दूसरी तरफ भाजपा का मनोबल काफी ऊँचा हो गया है.वह दिन ब दिन ऊँचाई की तरफ जा रहा हैं .प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी,भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के ताबड़तोड़ बंगाल दौरे से ममता दीदी आपादमस्तक हिल गयी लगती हैं .

ये बात दीगर है कि कई चुनावो में अपने तथाकथित प्रबंधन के स्वयंभू नेता प्रशांत किशोर की दुकान अब  बंगाल चुनाव के बाद बंद हो सकती हैं .पांचो राज्यों का चुनावी नतीजे 2 मई को घोषित हो जायेंगे.केन्द्रीय चुनाव आयुक्त सुनील अरोरा ने पूरी चुनाव प्रक्रिया को लेकर 26 फ़रवरी को दिल्ली में बताया.

ताज़ा स्थिति के अनुसार,इन पांच राज्यों में सिर्फ असम में  भाजपा की सरकार हैं,जबकि पुडूचेरी में कांग्रेस की सरकार थी.जो अपने कुर्कर्मो से बेघर हो गयी हैं.पुडूचेरी में पूर्व मुख्यमंत्री वी नारायणसामी की निम्न सोच व दूर दृष्टि नीति के अभाव  में   कांग्रेस को सत्ता से बाहर होना पड़ा.इस राज्य में अब राष्ट्रपति शासन की छांव में विधान सभा चुनाव होगे.

केरल में वाम दलों की सरकार है ,कांग्रेस पार्टी वहां विपक्ष की भूमिका में हैं .इसके बावजूद वही वाम दल,पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं .इसलिए कई नेता भ्रमित लगे.उन नेताओ का एक समग्र सवाल हैं कांग्रेस  व वाम दल का ये अजीबोगरीब रिश्ता क्या कहलाता हैं!

राजनीतिक तौर पर देखा जाये तो भाजपा ने अपनी पूरी शक्ति पश्चिम बंगाल पर झोंक दी  हैं.पश्चिम बंगाल अब भाजपा के लिए बड़ी प्रतिष्ठा का सवाल बन गया हैं .वही तमिलनाडु में भाजपा के खाते खुल सकते हैं यहाँ पर भाजपा पिछले दो वर्षो से कई नए प्रयोगों में जुटी हुयी हैं.अभी वहां पर अन्नाद्रमुक की सरकार है ,इसलिए द्रमुक पार्टी के पौ बारह दिख रहे हैं ,परन्तु भाजपा की नयी रणनीति की वजह से इस राज्य में कुछ नया चुनावी परिदृश्य देखने को मिल सकता हैं .

केरल में भी इस बार कई प्रकार के चुनावी रंग देखने को मिल रहे हैं .वाम दल की स्थिति इस बार संतोषजनक नहीं बताई जा रही हैं .कांग्रेस व वाम दल एक दुसरे के आमने सामने हैं .वही बंगाल में नूरा कुश्ती मुद्रा में हैं ..तमिलनाडु में कांग्रेस भी दया पात्र के भाव में हैं .

असम में भाजपा की सरकार हैं .मौजूदा मुख्यमंत्री सर्वानन्द सोनोवाल की स्थिति संतोषजनक तो हैं लेकिन दमदार नहीं बताई जा रही हैं .वैसे सोनोवाल के बारे में कहा जाता हैं कि वे बेचारे मुख्यमंत्री हैं ,क्योकि उनके पास काम करने वाले योग्य लोगों की कमी हैं .फिर भी भाजपा के लिए यह राज्य फायदा देने वाला है .क्योकि इस राज्य में कांग्रेस छोड़कर भाजपा को अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले मंत्री हेमंत विस्वा सरमा ने पूरी चुनावी कमान संभाल रखी हैं .कहा जाता है हेमंत का एक ही स्वप्न हैं-असम का मुख्यमंत्री बनना .अब ये देखने वाली बात हैं कि भाजपा उनके इस स्वप्न को पूरा करती हैं या नहीं.

इन पाचों राज्यों में देखा जाये तो ऐसा लग रहा है भाजपा को हर हाल में हर राज्य में लाभ होता दिख रहा हैं .वैसे कई साल पहले भाजपा के लिए ऐसी स्थिति नहीं थी .पहले देश की राजनीति कांग्रेस बनाम सभी दल भाव में हुआ करती थी,अब भाजपा पासा पलट गया है .देश के राजनीतिक केंद्र में भाजपा आ गयी हैं .कारण स्पष्ट हैं –नरेन्द्र भाई मोदी .2014 में श्री  मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनका जादू सबके सर पर चढ़कर बोल रहा है .कहते हैं मोदी हैं तो सब मुमकिन हैं .

*कुमार राकेश

 

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