समग्र समाचार सेवा
देहरादून, 14मई। इस बार अधिक मास के कारण तिथियां घटने-बढ़ने के कारण अक्षय तृतीया का पर्व दो सप्ताह देरी से आ रहा है। यही कारण है कि मौजूदा साल की तुलना में इस बार चार धाम यात्रा कपाट खोलने के मुहूर्त पीछे खिसक हैं। अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोले जाने की प्राचीन परंपरा है। इसके बाद केदारनाथ धाम और अंत में बदरीनाथ धाम के कपाट खोले जाने की परंपरा है।
गत 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक अधिकमास (मल मास) रहने के कारण तिथियां घटने-बढ़ने के कारण इस साल अक्षय तृतीया एक पखवाड़े से भी अधिक देरी से आया है। दरअसल, हिंदू नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होता है। हिंदू पंचागों में चंद्र चक्र के आधार पर महीने की गणना होती है। जबकि अंगे्रजी कैलेंडर में सूर्य चक्र के आधार पर महीने की गणना होती है। चंद्र चक्र के आधार पर महीने में 15 दिन कृष्ण पक्ष और और 15 दिन शुक्ल पक्ष का होता है। चंद्र चक्र के आधार पर कैलेंडर 354 दिन के और सूर्य चक्र के आधार पर 365 दिन के होते हैं। दोनों पद्धतियों में एक साल में 11 दिनों का अंतर पड़ता है। इस अंतर को पाटने के लिए हर तीसरे वर्ष मे अधिक मास होता है। सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश को संक्रांति होना कहते हैं। सौर मास 12 और राशियां भी 12 होती हैं। जिस चंद्र मास में सूर्य संक्रांति नहीं होती, वह अधिक मास कहलाता है। गत आश्विन माह में अधिक मास होने के कारण त्योहार 15 से 20 दिन की देरी से आए हैं। इस वजह से अक्षय तृतीया तिथि मौजूदा साल की तुलना में बीस दिन देरी से आने से चार धाम यात्रा भी देरी से शुरू हो रही है।
इनसेट आईटम।
जानिए पिछले सालों में कब आया है अक्षय तृतीया
2020 में अक्षय तृतीया का पर्व 26 अप्रैल को आया। 2019 में यह पर्व 7 मई को आया था, वहीं 2018 में तृतीया 18 अप्रैल को आई थी। जबकि 2017 में यही तिथि 28 अप्रैल को पड़ी।