वट सावित्री 2021: 10 जून को वट सावित्री व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 25मई। वट सावित्री व्रत का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। ये व्रत पति की लंबी आयु और संतान के उज्जवल भविष्य के लिए रखा जाता है।
कहते है इस दिन सावित्री ने सत्यवान के प्राण यमराज से वापस लिए थे, तभी से ये व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखा जाने लगा। इस व्रत में वट वृक्ष की पूजा का महत्व होता है। इस दिन सुहागिन स्त्रियां वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ का पूजन करती है और उसकी परिक्रमा लगाती हैं। बरगद के पेड़ की 7,11,21,51 या 101 परिक्रमा लगाई जाती है। पेड़ पर सात बार कच्चा सूत लपेटा जाता है।

हर वर्ष ज्येष्ठ माह की अमावस्या को ये व्रत रखा जाता है। इस साल ये व्रत 10 जून 2021 को मनाया जाएगा। इस साल ज्येष्ठ अमावस्या तिथि 09 जून को दोपहर 01:57 बजे से शुरू हो जाएगी और 10 जून को शाम 04:20 बजे तक रहेगी।

पूजन विधि –
इस दिन सुबह उठकर स्नान करें। साफ वस्त्र पहनें। हो सके तो नए वस्त्र धारण करें। बांस की टोकरी लें और उसमें सत अनाजा भर दें।इसके ऊपर ब्रह्माजी, सावित्री और सत्यवान की मूर्ति रखें। ध्यान रहे कि सावित्री की मूर्ति ब्रह्माजी के बाईं ओर हो और सत्यवान की दाईं ओर।

वट वृक्ष को जल चढ़ाएं और फल, फूल, मौली, चने की दाल, सूत, अक्षत, धूप-दीप, रोली आदि से वट वृक्ष की पूजा करें. बांस के पंखे से सावित्री-सत्यवान को हवा करें और बरगद के एक पत्ते को अपने बालों में लगाएं.

वट वृक्ष के नीचे सावित्री और सत्यवान की कथा सुनें. अखंड सुहाग की कामना करें और सूत के धागे से वट वृक्ष की तीन बार परिक्रमा करें. आप 5,11, 21, 51 या 108 बार बरगद के पेड़ की परिक्रमा कर सकती हैं. जितनी ज्यादा परिक्रमा करेंगी उतना अच्छा होगा.

परिक्रमा करने के बाद बांस के पत्तल में चने की दाल और फल, फूल नैवैद्य आदि डाल कर दान करें और ब्राह्मण को दक्षिणा दें. पूजा संपन्न होने के बाद जिस बांस के पंखे से सावित्री-सत्यवान को हवा किया था, उसे घर ले जाकर पति को भी हवा करें। फिर प्रसाद में चढ़े फल आदि ग्रहण करने के बाद शाम के वक्त मीठा भोजन करें।

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