कल यानि मंगलवार को भौम प्रदोष व्रत, जानें व्रत कथा और पूजन विधि

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 21जून। भगवान शिव के भक्तों के लिए प्रदोष व्रत का खास महत्व है। इस व्रत को भगवान शिव-मां पार्वती के व्रतों में सर्वोत्तम माना गया है. इसे रखने वाले के जीवन में हर तरह के कष्ट दूर होते हैं।
कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में आने वाली त्रयोदिशी तिथि को ये व्रत किया जाता है। इस बार ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष त्रयोदशी यानी 22 जून 2021, मंगलवार को प्रदोष व्रत है।

भौम प्रदोष व्रत कथा-
एक नगर में वृद्धा रहती थी. उसका एक ही पुत्र था. वृद्धा की हनुमानजी पर गहरी आस्था थी. वह प्रत्येक मंगलवार को नियमपूर्वक व्रत रखकर हनुमानजी की आराधना करती थी. एक बार हनुमानजी ने उसकी श्रद्धा की परीक्षा लेने की सोची. हनुमानजी साधु का वेश धारण कर वृद्धा के घर गए और पुकारने लगे- है कोई हनुमान भक्त, जो हमारी इच्छा पूर्ण करे? पुकार सुन वृद्धा बाहर आई और बोली- आज्ञा महाराज. हनुमान (वेशधारी साधु) बोले- मैं भूखा हूं, भोजन करूंगा, तू थोड़ी जमीन लीप दे. वृद्धा दुविधा में पड़ गई. अंतत: हाथ जोड़कर बोली- महाराज, लीपने और मिट्टी खोदने के अतिरिक्त आप कोई दूसरी आज्ञा दें, मैं अवश्य पूर्ण करूंगी. साधु ने तीन बार प्रतिज्ञा कराने के बाद कहा- तू अपने बेटे को बुला. मैं उसकी पीठ पर आग जलाकर भोजन बनाऊंगा. यह सुनकर वृद्धा घबरा गई, परंतु वह प्रतिज्ञाबद्ध थी। उसने अपने पुत्र को बुलाकर साधु के सुपुर्द कर दिया. वेशधारी साधु हनुमानजी ने वृद्धा के हाथों से ही उसके पुत्र को पेट के बल लिटवाया और उसकी पीठ पर आग जलवाई. आग जलाकर दु:खी मन से वृद्धा अपने घर में चली गई. इधर भोजन बनाकर साधु ने वृद्धा को बुलाकर कहा- तुम अपने पुत्र को पुकारो ताकि वह भी आकर भोग लगा ले. इस पर वृद्धा बोली- उसका नाम लेकर मुझे और कष्ट न पहुंचाओ. लेकिन जब साधु महाराज नहीं माने तो वृद्धा ने अपने पुत्र को आवाज लगाई. अपने पुत्र को जीवित देख वृद्धा को बहुत आश्चर्य हुआ और वह साधु के चरणों में गिर पड़ी. हनुमानजी अपने वास्तविक रूप में प्रकट हुए और वृद्धा को भक्ति का आशीर्वाद दिया.

शुभ मुहूर्त-

प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जाती है. सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का समय प्रदोष काल कहा जाता है. 22 जून को शाम 07.22 बजे से रात्रि 09.23 बजे पर प्रदोष काल रहेगा।

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