संजित कुमार
जिसपर था सर्वस्व लुटाया,
मेरा वो अरमान कहां है?
बोलो नेहरू बोलो गांधी,
मेरा हिन्दुस्तान कहां है?
सैंतालीस में भारत बांटा,
‘उनको’ पाकिस्तान दे दिया;
“दो गालों पे थप्पड़ खा लो”
मुझे फालतू ज्ञान दे दिया;
मुझे बताओ यही ज्ञान तुम,
‘उनको’ भी तो दे सकते थे;
नहीं बंटेगी भारत माता,
ये निर्णय तुम ले सकते थे;
मगर देश को छिन्न-भिन्न कर,
दुनिया भर की सीख दे गए,
हिन्दू को दो-फाड़ कर दिया,
आरक्षण की भीख दे गए!
एक अरब हिन्दू लावारिस,
कहो हमारा मान कहां है?
बोलो नेहरू बोलो गांधी,
मेरा हिन्दुस्तान कहां है?
‘सेकुलर’ राष्ट्र बनाना था तो,
बिन बंटवारे भी संभव था;
छद्म-धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र,
बिन भारत हारे भी संभव था;
‘उन्हें’ पालना ही था तो,
क्यों टुकड़े भारत के कर डाले?
मुझे बताओ किस की ख़ातिर,
डाके अपने ही घर डाले?
एक चीन क्या कम दुश्मन था,
बाजू पाकिस्तान बिठाया;_
कदम-कदम पर इसी पाक से,
हम सब ने फिर धोखा खाया;
जितनी सस्ती जान हमारी,
उतनी सस्ती जान कहां है?
बोलो नेहरू बोलो गांधी,
मेरा हिन्दुस्तान कहां है?
मुस्लिम की ज़िद पूरी कर दी,
हिन्दू का अधिकार भुलाया;
भूले सावरकर की पीड़ा,
और बोस का प्यार भुलाया;
धूल-धूसरित, जग में लज्जित,
भारत का सम्मान कर दिया;
दो लोगों की पदलोलुपता,
पे भारत बलिदान कर दिया !
उधम सिंह को पागल बोला,
मरने दिया भगत को तुमने;
चापलूस के हैं पौ-बारह,
दिखला दिया जगत को तुमने;
जो जीते उनको हरवाया,
‘वल्लभ’ का सम्मान कहाँ है?
बोलो नेहरू बोलो गांधी,
मेरा हिन्दुस्तान कहां है?
टूटा -फूटा जैसा भी था,
सैंतालिस में भारत पाया;
पर मुझको भी हक़ मिल जाये,
ये तुमको हरगिज़ ना भाया;
मुल्लों की तनख्वाह बांध दी,
मंदिर लूटे तुमने जी भर;
सेकुलर की परिभाषा गढ़ दी,
उन्हें सब्सिडी हिन्दू पे कर !
ना पुराण ना वेद पढ़ाये,
जाने क्या बकवास पढ़ाया;
शिक्षा में घोटाला कर के,
अधकचरा इतिहास पढ़ाया;
पूछे गौरव इस भारत में,
हिन्दू की पहचान कहां है?
बोलो नेहरू बोलो गांधी,
मेरा हिन्दुस्तान कहां है?