समग्र समाचार सेवा
वाराणसी, 29 अक्टूबऱ। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय 43वीं इंडियन जियोग्राफी कांग्रेस का शुभारंभ गुरुवार को भूगोल विभाग के प्रो. आरएल सिंह हॉल में हुआ। इस वर्ष का थीम जनसंख्या, पर्यावरण, स्वास्थ्य, सतत विकास लक्ष्य व उपयुक्त प्रौद्योगिकियों पोस्ट कोविड परिदृश्य है। कोविड प्रोटोकॉल के मद्देनज़र हाइब्रिड मोड में चल रहे इस आयोजन में देश भर से प्रतिभागी ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों माध्यमों से जुड़े। तीन दिन तक चलने वाले इस आयोजन में 400 ऐब्स्ट्रैक्ट प्रस्तुत किए जाएंगे।
तीन दिन चलने वाले इस कांफ्रेंस के प्रारंभ में कोरोना महामारी के दौरान अपने प्राण गंवाने वाले विभाग के प्राध्यापक प्रो. पी. आर. शर्मा, प्रो. रामविलास, प्रो. रवि सिंह सहित संकाय के पुरातन विद्यार्थियों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
इस दौरान भूगोल अध्ययन और शोध के क्षेत्र में अपने विशिष्ट योगदान के लिए नेशनल एसोसिएशन ऑफ जियोग्राफर्स, इंडिया (नागी) द्वारा प्रो. एच.एस. शर्मा को भूगोल रत्न व प्रोफेसर आभा लक्ष्मी को भूगोल वाचस्पति सम्मान दिया गया।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि केंद्रीय शिक्षा एवं विदेश राज्य राज्यमंत्री डॉ. आर. के. रंजन ने कांफ्रेंस को संबोधित किया। डॉ. रंजन ने इस इंडियन ज्योग्राफी कांग्रेस के आयोजन के लिए शुभकामनाएं दी। अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा, कि “मुझे सत्तर के दशक से नेशनल जियोग्राफर्स एसोसिएशन, इंडिया के साथ अपने दिन याद आ रहे हैं. तब सब से अबतक में काफी कुछ बदल गया है।
भूगोल अध्येताओं से बात करते हुए डॉ. रंजन ने कहा कि “मुझे पता है कि हमारे भूगोलविद एक समावेशी एवं मानव केंद्रित विश्व व्यवस्था के निर्माण की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। जो सतत पोषणीय विकास के मापदंडों का ख्याल रख कर मानव सभ्यता का भविष्य सुरक्षित करें।
कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो. आर. एस. यादव ने कार्यक्रम के रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि बीएचयू के भूगोल विभाग 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में 43वीं इंडियन जियोग्राफी कांग्रेस का आयोजन विभाग में होना हमारे लिए हर्ष का विषय है। विभागाध्यक्ष प्रो. वी. एन. शर्मा ने इस अवसर पर सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत किया।
मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. वी.के. शुक्ल ने बताया कि हाल ही में लंदन के संस्था द्वारा बीएचयू को रिसर्च साइटेशन के लिए सम्मानित किया गया है। उद्धाटन सत्र में प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि “स्कूल में मैंने जियोग्राफी तो पढ़ी है लेकिन मुझे नहीं पता था कि जियोग्राफी में अध्ययन का दायरा इतना विस्तृत है। पॉलिटिकल जियोग्राफी, ह्यूमन जियोग्राफी जैसे विशेषीकृत अध्ययन के क्षेत्र हैं। मैं यह सुझाव देना चाहूंगा कि बीएचयू जैसी संस्था जो रिसर्च साइटेशन के लिए लंदन में सम्मानित होती है।
इसके संसाधनों का पूर्ण रूप से इस्तेमाल करने के लिए भूगोल विभाग को अंतर्विषयक अध्ययन के दायरे को बढ़ाना चाहिए। हमारे पास 6 संस्थान, 14-15 संकाय और 140 से ज्यादा विभाग हैं।
भूगोल के महत्ता और कोविड उपरांत इसकी भूमिका पर विज्ञान संस्थान के निदेशक और कार्यक्रम के संयोजक प्रो. ए. के. त्रिपाठी ने भी अपने विचार रखे. उन्होंने कहा, “भूगोल ऐसा विषय है जो तकरीबन सभी विषयों से सहज ही जुड़ सकता है। इस विश्वविद्यालय में करीब 140 विभाग हैं। अगर हम इस विश्वविद्यालय में सिर्फ अपने विषयों के दायरे में सिमट कर अध्ययन कार्य करेंगे, तो असल में अपने संस्थापक महामना मालवीय जी के दृष्टि के विपरीत कार्य करेंगे। इस विश्वविद्यालय की स्थापना ही अंतर्विषयक अध्ययन को बढ़ावा देने एक सम्पूर्ण मानवीय चेतना वाले ज्ञान के प्रसार के लिए हुआ था।
इस दौरान कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे नेशनल जियोग्राफी एसोसिएशन, इंडिया (नागी) के अध्यक्ष प्रो. राणा प्रताप ने अपने संबोधन में कहा कि बीएचयू के भूगोल विभाग ने देश दुनिया में अपनी मेधा का लोहा मनवाया है। यहाँ से निकले छात्रों ने सिर्फ अकादमिक जगत तक ही नहीं बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में यहाँ का मान बढ़ाया है. यहाँ के विद्यार्थियों से लेकर यहाँ के प्राध्यापकों तक के योगदान की एक लंबी लिस्ट है।
इस अवसर पर नेशनल जियोग्राफी एसोसिएशन, इंडिया (नागी) की निर्वाचित अध्यक्ष प्रो. बी. हेमा मालिनी ने सभी भावी भूगोलविदों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि “भूगोलविदों ने हमेशा से हमारी दुनिया, इसके पर्यावरण, इसके कार्य प्रणालियों को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज हमारे सामने हमारे अपने ग्रह और मानव सभ्यता के सामने तमाम ऐसे संकट उत्पन्न हो रहे हैं जिन्हें भूगोलविद ही समझ सकते हैं एवं उसके प्रभाव को कम करने की दिशा में सार्थक हस्तक्षेप कर सकते हैं।
इस अवसर पर नागी महासचिव प्रो. एस. सी. राय ने संगठन के वार्षिक गतिविधियों का रिपोर्ट प्रस्तुत किया। प्रो. राय ने देश भर के विभिन्न भूगोल संगठनों से अनुरोध किया कि वह अपने आयोजन की पूर्व सूचना नागी से साझा करते रहें. जिससे सभी संगठनों के बीच समन्वय के साथ कार्य हो सके।
इस अवसर पर कांग्रेस में प्रस्तुत होने वाले एबस्ट्रेक्ट की सीडी, राष्ट्रीय भौगौलिक पत्रिका एवं डॉ. शिव कुमार दुबे की किताब कांसेप्टुअल एंड मेथोडोलॉजिकल डाइमेंशन्स ऑफ़ इंडियन जियोग्राफी का विमोचन हुआ।
कार्यक्रम के अन्य सत्रों में प्रो. आर. एल. सिंह स्मृति व्याख्यान, कोविड-19 का प्रभाव, अनुकूलन और भविष्य की चुनौतियां : भौगोलिक परिप्रेक्ष्य विषय पर पैनल डिस्कशन के अलावा पांच तकनीकी सत्र आयोजित हुए। इन तकनीकी सत्रों में सतत विकास, मुद्दे और चिंताए, संसाधन मूल्यांकन और प्रबंधन, भूमि उपयोग और भूमि कवर, जलवायु और जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 सामाजिक-आर्थिक और स्वास्थ्य प्रभाव विषयों पर चर्चा एवं व्याख्यान का आयोजन हुआ।
इस अवसर पर कार्यक्रम में प्रो. ए. पी. मिश्रा, प्रो. बी.के. सिन्हा, प्रो. के. पी. गोस्वामी, प्रो. सरफ़राज़ आलम, प्रो. वी. के. त्रिपाठी, प्रो.गायत्री राय, प्रो. सीमा तिवारी व अन्य उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. शुभ्रा शर्मा एवं डॉ. कपिल गावस्कर ने किया। धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम के सह-संयोजक प्रो. वी. के. राय ने किया।