अहमदाबाद विस्फोट मामले में 38 दोषियों को फांसी की सजा, 11 को उम्रकैद

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समग्र समाचार सेवा

अहमदाबाद, 18 फरवरी। अहमदाबाद सीरियम बम ब्लास्ट केस में विशेष अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने 49 दोषियों में से 38 को फांसी की सजा सुनाई है। इसके अलावा अदालत ने 11 अन्य दोषियों को उम्र कैद की सजा सुनाई है। अदालत ने इन लोगों को पहले ही दोषी करार दे दिया था और आज इन लोगों की सजा का ऐलान होना था। 26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद में हुए 21 सीरियल ब्लास्ट ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। इन धमाकों की गूंज से हर कोई स्तब्ध था।

इंडियन मुजाहिदीन ने ली थी हमले की जिम्मेदारी, 14 साल चली सुनवाई

सरकारी अधिवक्ता अमित पटेल ने बताया कि स्पेशल जज एआर पटेल ने 49 में से 38 लोगों को फांसी की सजा सुनाई है। इसके अलावा 11 शेष दोषियों को उम्रकैद की सजा दी गई है। इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन ने ली थी। आतंकियों का कहना था कि हमने 2002 में हुए गुजरात दंगों का बदला लेने के लिए इस घटना को अंजाम दिया था। इस मामले में कुल 77 लोग आरोपी थे, जिनमें से 28 को अदालत ने बरी कर दिया था और बाकी 49 लोगों को दोषी करार दिया था। 14 सालों तक चले मामले के बाद यह सजा सुनाई गई है।

सभी दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग की गई

बता दें कि अभियोजन पक्ष की ओर से कोर्ट से सभी दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग की गई थी। वहीं बचाव पक्ष ने कम से कम सजा की अपील कोर्ट की थी। हालांकि अदालत ने 38 लोगों को फांसी की सजा सुनाई। इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। अहमदाबाद विस्फोट मामले में सत्र न्यायालय के न्यायाधीश एआर पटेल ने 8 फरवरी को फैसला सुनाते हुए 49 आरोपियों को दोषी करार दिया था। अदालत ने 77 में से 28 आरोपियों को बरी कर दिया था। आपको बता दें कि साल 2008 में अहमदाबाद में सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे। इस घटना में 56 लोगों की मौत हुई थी, साथ ही 200 लोग घायल हो गए थे।

गुजरात दंगों का बदला लेने के लिए ब्लास्ट

पुलिस ने आरोप लगाया था कि इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादियों ने गोधरा की घटना के बाद 2002 में गुजरात में हुए सांप्रदायिक दंगों का बदला लेने के लिए इन धमाकों की योजना बनाई। इन दंगों में अल्पसंख्यक समुदाय के कई लोगों की मौत हुई थी। अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार धमाकों के बाद पुलिस को सूरत के विभिन्न इलाकों में बम मिले थे जिसके बाद अहमदाबाद में 20 और सूरत में 15 प्राथमिकी दर्ज की गई थी। अदालत द्वारा सभी 35 प्राथमिकियों को एक साथ मिलाने के बाद मामले की सुनवाई हुई।

इतिहास में पहली बार 38 लोगों को सजा-ए-मौत

फांसी की सजा से जुड़े दो खास पहलुओं के बारे में। आखिर ऐसा क्यों है कि जितनी संख्या फांसी की सजा तो मिलती है, उतनी ज्यादा दी नहीं जाती? एक रिपोर्ट के अनुसार लगभग 488 लोग भारत की अलग-अलग जेलों में बंद हैं। वर्ष 2021 में 144 और 2020 में 77 और 2019 में 104 लोगों को देश के अलग अलग राज्यों में फांसी की सजा हुई। 2021 में फांसी की सजा पाए लोगों में 62 मर्डर के और 48 रेप आदि मामलों के दोषी थे।

16 साल में 1300 से अधिक को सुनाई जा चुकी है फांसी की सजा

–    सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 1947 के बाद से देश में अब तक कुल (निर्भया के दोषियों को मिलाकर) 61 लोगों को फांसी दी गई है।

–    अगर हम पिछले 16 साल की बात करें तो भारत में 1300 से अधिक लोगों को मौत की सजा सुनाई जा चुकी है।

–    नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक़, साल 2004 से 2013 के बीच भारत में 1303 लोगों को फांसी की सज़ा सुनाई गई, हालांकि इस दौरान केवल तीन लोगों को फांसी दी गई।

–    पूरे देश में यूपी  ऐसा राज्य है जहां अभी तक सबसे ज्यादा फांसियां दी गईं हैं. देश को आजादी मिलने के बाद से अभी तक यूपी में कुल 390 गुनहगारों को फांसी (Hanging) दी गई है।

70 मिनट के अंदर लाशों के लग गए थे ढेर

गौरतलब है कि 26 जुलाई 2008 को 70 मिनट के अंदर हुए सिलसिलेवार विस्फोटों में 56 लोग मारे गये थे और 200 से अधिक लोग घायल हो गये थे। दरअसल, ये भारत के इतिहास का पहला मौका है जब एक बार में सबसे ज्यादा लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई है। इससे पहले राजीव गांधी हत्या केस में लोअर कोर्ट ने 26 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी।

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