पंजाब के कई स्कूलों में पढ़ाया जा रहा किसान आंदोलन, शिक्षा बोर्ड की नहीं ली अनुमति

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समग्र समाचार सेवा

चंडीगढ़, 8 अप्रैल।  पंजाब में कुछ निजी स्‍कूलों में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चले किसान आंदोलन के बारे में विद्यार्थियों को पढ़ाया जा रहा है और यह सब पंजाब शिक्षा बोर्ड की मंजूरी लिए बिना किया जा रहा है। एक साल से ज्यादा समय तक चले किसान आंदोलन को पंजाब के कई निजी स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।

निजी प्रकाशक की छठी की पंजाबी की पुस्तक में शामिल है पाठ

एक निजी प्रकाशक की छठी कक्षा की पंजाबी की पुस्तक में इसे जगह दी गई है। हालांकि इस पुस्तक को लेकर पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड से अनुमति नहीं ली गई है। ‘मोह दिया तंदा’ नामक पंजाबी पुस्तक में किसान आंदोलन को पांच पृष्ठ में एक चैप्टर के रूप में शामिल किया गया है।

पुस्तक को निजी प्रकाशक ग्लोबल लर्निंग सोल्यूशन ने प्रकाशित किया

पुस्तक के लेखक व फेडरेशन आफ प्राइवेट स्कूल्स एंड एसोसिएशन पंजाब के अध्यक्ष डा. जगजीत सिंह धूरी का कहना है कि पुस्तक को निजी प्रकाशक ग्लोबल लर्निंग सोल्यूशन ने प्रकाशित किया है। पिछले दो दशकों से पंजाबी पाठ्य पुस्तकों की सामग्री को संशोधित नहीं किया गया है। इसलिए इस पुस्तक को सिलेबस में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह इस किताब को पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के पाठ्यक्रम में शामिल करवाने के लिए जल्द मुख्यमंत्री भगवंत मान से मिलेंगे।

दावा100 से ज्यादा स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल हुई पुस्तक

पुस्तक के लेखक डा. जगजीत सिंह धूरी का दावा है कि पुस्तक को 100 से ज्यादा निजी स्कूलों ने अपने पाठ्यक्रम में शामिल किया है। जगराओं के स्प्रिंग ड्यू स्कूल, तलवंडी कलां के एमएलडी स्‍कूल, सेंट जीडीएस कान्वेंट स्कूल, गोल्डन अर्थ कान्वेंट स्कूल सहित कुछ अन्य स्कूलों में यह पुस्तक बच्चों को पढ़ाई जा रही है। स्प्रिंग डयू स्कूल के प्रिंसिपल नवनीत चौहान ने कहा कि ‘मोह दिया तंदा’ पुस्तक स्कूल में पढ़ाई जा रही है।

पीएसईबी से जुड़ा स्कूल बिना इजाजत लागू नहीं कर सकता

पंजाब स्कूल एजूकेशन बोर्ड (पीएसईबी) के चेयरमैन प्रो. योगराज का कहना है कि बोर्ड अपनी पुस्तकें प्रकाशित करता है। यदि कोई लेखक अपनी पुस्तक, निबंध, कहानी आदि बोर्ड के सिलेबस में शामिल करना चाहता है, तो उस पर अकादमी विंग में पैनल डिसक्शन होती है। उन्‍होंने कहा कि इस पर ध्यान रखा जाता है कि इससे किसी की धार्मिक आस्था या राष्ट्रीय एकता को ठेस न पहुंचे। पूरी जांच व नियमों के बाद ही उसे सिलेबस में शामिल किया जाता है। बिना इजाजत पीएसईबी का कोई सरकारी या निजी स्कूल किसी पुस्तक को लागू करता है तो उस पर एक्शन होता है।

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