कैबिनेट ने राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान को 01 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2026 तक जारी रखने के लिए दी मंजूरी
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 14अप्रैल। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने आज पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) की शासन संबंधी क्षमताओं को विकसित करने के लिए संशोधित केंद्र प्रायोजित योजना-राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (आरजीएसए) को 01 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2026 की अवधि (15वें वित्त आयोग की अवधि) के दौरान कार्यान्वयन जारी रखने की मंजूरी दे दी है।
इस योजना का कुल वित्तीय परिव्यय 5,911 करोड़ रुपये है, जिसमें केंद्र का हिस्सा 3,700 करोड़ रुपये और राज्य का हिस्सा 2,211 करोड़ रुपये है।
आरजीएसए की स्वीकृत योजना देश भर में पारंपरिक निकायों सहित 2.78 लाख से अधिक ग्रामीण स्थानीय निकायों को उपलब्ध संसाधनों के अधिकतम उपयोग पर केंद्रित करने के साथ समावेशी स्थानीय शासन के माध्यम से सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को लेकर काम करने के लिए शासन संबंधी क्षमता विकसित करने में मदद करेगी। एसडीजी के प्रमुख सिद्धांत, यानी किसी को पीछे नहीं छोड़ना, सबसे पहले दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुंचना और व्यापक कवरेज करना, लैंगिक समानता के साथ-साथ प्रशिक्षण, प्रशिक्षण मॉड्यूल और सामग्री सहित क्षमता निर्माण के सभी क्रियाकलापों को डिजाइन में शामिल किया जाएगा। राष्ट्रीय महत्व के विषयों, अर्थात्: (i) गरीबी मुक्त और आजीविका के संसाधनों में वृद्धि वाले गांव, (ii) स्वस्थ गांव, (iii) बच्चों के अनुकूल गांव, (iv) जल की पर्याप्त मात्रा वाले गांव (v) स्वच्छ और हरित गांव, (vi) गांव में आत्मनिर्भर बुनियादी ढांचा, (vii) सामाजिक रूप से सुरक्षित गांव, (viii) सुशासन वाला गांव, और (ix) गांव में महिला-पुरुष समानता आधारित विकास को मुख्य रूप से प्राथमिकता दी जाएगी।
चूंकि पंचायतों में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और महिलाओं का प्रतिनिधित्व होता है, और वे जमीनी स्तर के सबसे करीब संस्थान हैं, पंचायतों को मजबूत करने से सामाजिक न्याय और समुदाय के आर्थिक विकास के साथ-साथ समानता और समावेशन को बढ़ावा मिलेगा। पंचायती राज संस्थाओं द्वारा ई-गवर्नेंस के अधिक उपयोग से बेहतर सेवा वितरण और पारदर्शिता हासिल करने में मदद मिलेगी। यह योजना ग्राम सभाओं को नागरिकों, विशेष रूप से कमजोर समूहों के सामाजिक समावेशन के साथ प्रभावी संस्थानों के रूप में कार्य करने के लिए मजबूत करेगी। इससे पर्याप्त मानव संसाधन और बुनियादी ढांचे के साथ राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर पंचायती राज संस्थाओं के क्षमता निर्माण के लिए संस्थागत ढांचे की स्थापना होगी।
एसडीजी के लक्ष्य तक पहुंचने में पंचायतों की भूमिका को पहचानने और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना पैदा करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण मानदंडों के आधार पर प्रोत्साहन द्वारा पंचायतों को उत्तरोत्तर मजबूत किया जाएगा।
योजना के तहत कोई स्थायी पद सृजित नहीं किया जाएगा, लेकिन योजना के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए और योजना के तहत लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए राज्यों/ केंद्र-शासित प्रदेशों को तकनीकी सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से आवश्यकतानुसार अनुबंध आधारित मानव संसाधन का प्रावधान किया जा सकता है।
देश भर में पारंपरिक निकायों सहित ग्रामीण स्थानीय निकायों के लगभग 60 लाख निर्वाचित प्रतिनिधि, पदाधिकारी और अन्य हितधारक इस योजना के प्रत्यक्ष लाभार्थी होंगे।
केंद्र सरकार और राज्य सरकारें अपनी-अपनी भूमिकाओं के लिए स्वीकृत गतिविधियों को पूरा करने के लिए कार्रवाई करेंगी। राज्य सरकार अपनी प्राथमिकताओं और आवश्यकता के अनुसार केंद्र सरकार से सहायता प्राप्त करने के लिए अपनी वार्षिक कार्य योजना तैयार करेगी। इस योजना को मांग आधारित प्रारूप में लागू किया जाएगा।