चेन्नई के 42वें दीक्षांत समारोह में बोलें पीएम मोदी, भारत ने आत्मविश्वास से अनभिज्ञता की स्थिति का सामना किया
"प्रौद्योगिकी के लिए रुचि है, जोखिम लेने वालों में विश्वास और सुधार के लिए मिजाज है"
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 30जुलाई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुक्रवार को चेन्नई में अन्ना विश्वविद्यालय के 42वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर तमिलनाडु के राज्यपाल श्री आर. एन. रवि, मुख्यमंत्री श्री एम. के. स्टालिन, केंद्रीय मंत्री श्री एल. मुरुगन भी उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री ने सभा को संबोधित करते हुए छात्रों को डिग्री मिलने पर बधाई दी। उन्होंने कहा, “अन्ना विश्वविद्यालय के 42वें दीक्षांत समारोह में आज उत्तीर्णता प्राप्त करने वाले सभी लोगों को बधाई। आपने अपने दिमाग में पहले से ही अपने लिए एक भविष्य बना लिया होगा। इसलिए आज का दिन न केवल उपलब्धियों का बल्कि आकांक्षाओं का भी है।” प्रधानमंत्री ने उन्हें कल का नेता बताते हुए, माता-पिता के त्याग और विश्वविद्यालय के शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के समर्थन के बारे में भी चर्चा की।
प्रधानमंत्री ने भारत के युवाओं की संभावनाओं के बारे में विवेकानन्द के शब्दों को याद किया, जो उन्होंने 125 साल पहले मद्रास के नाम से जाने वाले इस नगर में कहा था। प्रधानमंत्री ने कहा कि “पूरी दुनिया भारत के युवाओं को आशा के साथ देख रही है। क्योंकि आप देश के विकास के इंजन हैं और भारत दुनिया का विकास इंजन है।”
प्रधानमंत्री ने अन्ना विश्वविद्यालय के साथ पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के जुड़ाव को भी याद किया। प्रधानमंत्री ने कहा, “उनके विचार और मूल्य आपको हमेशा प्रेरित करते रहेंगे।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी एक अभूतपूर्व त्रासदी थी। यह सदी में एक बार आने वाला संकट था जिसके लिए किसी के पास कोई यूजर मैन्युअल नहीं थी। इसने हर देश की परीक्षा ली। उन्होंने कहा कि प्रतिकूलताएं बताती हैं कि हम किस चीज से बने हैं। अपने वैज्ञानिकों, स्वास्थ्य पेशेवरों और आम लोगों की बदौलत भारत ने आत्मविश्वास से अनभिज्ञता की स्थिति सामना किया। उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप भारत में हर क्षेत्र एक नए जीवन के साथ गतिमान रहा है। उद्योग, निवेश, नवाचार अथवा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार जैसे सभी क्षेत्रों में भारत को सबसे आगे देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत पिछले साल दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन का उत्पादक था। नवाचार जीवन का एक तरीका बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि केवल पिछले 6 वर्षों में मान्यताप्राप्त स्टार्ट-अप की संख्या में 15,000 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को पिछले साल 83 अरब डॉलर से अधिक का रिकॉर्ड एफडीआई प्राप्त हुआ था। हमारे स्टार्ट-अप्स को भी महामारी के बाद रिकॉर्ड फंडिंग मिली। इन सबसे ऊपर, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की गतिशीलता में भारत अब तक की सबसे अच्छी स्थिति में है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि तकनीक आधारित व्यवधानों के इस युग में, भारत के पक्ष में तीन महत्वपूर्ण कारक हैं। पहला कारक यह है कि प्रौद्योगिकी के लिए एक रुचि है। प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के साथ आराम की भावना बढ़ रही है। गरीब से गरीब व्यक्ति भी इसे अपना रहा है। “दूसरा कारक जोखिम लेने वालों में विश्वास है। पहले सामाजिक अवसरों पर एक नौजवान के लिए यह कहना मुश्किल था कि वह एक उद्यमी है। लोग उन्हें ‘सेटल हो जाने’ यानी वेतनभोगी नौकरी पाने के लिए कहते थे। अब स्थिति इसके विपरीत है। तीसरा कारक है: सुधार के लिए मिजाज है।” प्रधानमंत्री ने समझाते हुए कहा, “पहले एक धारणा थी कि एक मजबूत सरकार का मतलब है कि उसे सब कुछ और सभी को नियंत्रित करना चाहिए। लेकिन हमने इसे बदल दिया है। एक मजबूत सरकार सब कुछ या सभी को नियंत्रित नहीं करती है। यह क्रियाकलाप के लिए सिस्टम के आवेग को नियंत्रित करती है। एक मजबूत सरकार प्रतिबंधात्मक नहीं है, लेकिन उत्तरदायी है। एक मजबूत सरकार हर क्षेत्र में नहीं जाती है। यह खुद को सीमित करती है और लोगों की प्रतिभा के लिए जगह बनाती है।” उन्होंने जोर देते हुए कहा कि “एक मजबूत सरकार की ताकत यह स्वीकार करने की विनम्रता में निहित है कि वह सब कुछ नहीं जान सकती या नहीं कर सकती।” यही कारण है कि सुधार हर जगह लोगों और उनकी प्रतिभा के लिए अधिक जगह बना रहे हैं। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति द्वारा युवाओं को प्रदान की गई स्वतंत्रता और लचीलेपन का उदाहरण दिया और कारोबारी सुगमता के लिए 25,000 अनुपालनों को समाप्त किया। उन्होंने कहा, “एंजेल टैक्स को हटाना, पूर्वव्यापी कर को हटाना और कॉरपोरेट टैक्स में कमी – निवेश और उद्योग को प्रोत्साहित कर रहे हैं। ड्रोन, अंतरिक्ष और भू-स्थानिक क्षेत्रों में सुधार नए रास्ते खोल रहे हैं।”
प्रधानमंत्री ने युवाओं और राष्ट्र की प्रगति के बीच की कड़ी के बारे में चर्चा की। अंत में, उन्होंने कहा, “आपका विकास भारत का विकास है। आपकी सीख भारत की सीख है। आपकी जीत भारत की जीत है।”
कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने 69 स्वर्ण पदक विजेताओं को स्वर्ण पदक और प्रमाणपत्र प्रदान किए। अन्ना विश्वविद्यालय की स्थापना 4 सितंबर, 1978 को हुई थी। इसका नाम तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री सी.एन. अन्नादुरई के नाम पर रखा गया है। इसमें तमिलनाडु में फैले हुए 13 मान्यताप्राप्त कॉलेज, 494 संबद्ध कॉलेज और 3 क्षेत्रीय परिसर- तिरुनेलवेली, मदुरै और कोयंबटूर शामिल हैं।