CJI रमना कार्यकाल के आखिरी दिन इन पांच केस में देंगे फैसला

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 27 अगस्त।सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना के कार्यकाल का आज आखिरी दिन है. जस्टिस यूयू ललित देश के नए सीजेआई होंगे. कार्यकाल के आखिरी 48 घंटों में चीफ जस्टिस रमना ने कई बड़ों मामलों में सुनवाई की. इनमें बिलकिस बानो केस पंजाब में पीएम मोदी की सुरक्षा में चूक पेगासस मामला और ईडी के अधिकारों की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई शामिल हैं.

इसके साथ ही सीजेआई की अध्यक्षता वाली बेंच आज भी 5 मामलों में फैसला सुनाएगी. इन मामलों में चुनाव में फ्रीबीज, 2007 गोरखपुर दंगे, कर्नाटक माइनिंग, राजस्थान माइनिंग लीजिंग और बैंकरप्सी केस शामिल हैं. खास बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट जस्टिस एनवी रमना के कार्यकाल के अंतिम दिन कार्यवाही का लाइव स्ट्रीम कर रहा है.

मुफ्त चुनावी घोषणाएं

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की बेंच राजनीतिक दलों द्वारा इलेक्शन फ्रीबीज पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर फैसला सुनाएगी. बता दें, यह जनहित याचिका दिल्ली बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है. इससे देश में एलेक्शन फ्रीबीज पर बड़ी बहस शुरू कर दी है. बीते बुधवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए CJI ने राजनीतिक दलों से पूछा था कि मुफ्त को कैसे परिभाषित किया जाए.

2007 गोरखपुर दंगा मामला

सुप्रीम कोर्ट 2007 के गोरखपुर दंगों में सीएम योगी आदित्यनाथ और अन्य के खिलाफ कथित भड़काऊ भाषण के आरोप में मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार करने वाली यूपी सरकार को चुनौती देने वाली याचिका पर आज अपना फैसला सुनाएगा. इस मामले में चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने 24 अगस्त को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. शीर्ष अदालत में इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा कथित भड़काऊ भाषण की जांच की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया गया था. इस मामले में राज्य सरकार ने पिछले साल आदित्यनाथ योगी को अभियुक्त बनाने से ये कहकर मना कर दिया था और कहा था कि उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं हैं.

बता दें कि 11 साल पहले 27 जनवरी 2007 को गोरखपुर में सांप्रदायिक दंगा हुआ था. इस दंगे में दो लोगों की मौत और कई लोग घायल हुए थे. इस दंगे के लिए तत्कालीन सांसद व मौजूदा सीएम योगी आदित्यनाथ, विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल और गोरखपुर की तत्कालीन मेयर अंजू चौधरी पर भड़काऊ भाषण देने और दंगा भड़काने का आरोप लगा था. कहा गया था कि इनके भड़काऊ भाषण के बाद ही दंगा भड़का था.

दिवालिया कानून

सुप्रीम कोर्ट एबीजी शिपयार्ड के आधिकारिक परिसमापक द्वारा राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) द्वारा पारित आदेश के खिलाफ दायर एक याचिका पर फैसला सुनाएगा. कोर्ट फैसला करेगा कि क्या एक सफल बोलीदाता द्वारा भुगतान के लिए भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (IBBI) द्वारा प्रदान किए गए 90 दिन की खिड़की में परिसमापन विनियम 2016 के परिसमापन प्रक्रिया विनियम पूर्वव्यापी रूप से लागू होंगे. क्या उन मामलों में भी जहां परिसमापन प्रक्रिया 2019 में संशोधित दिशानिर्देशों के प्रभावी होने की तारीख से पहले शुरू हुई थी.

राजस्थान माइनिंग लीज केस

सुप्रीम कोर्ट 2016 के राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ राजस्थान सरकार की अपील पर फैसला सुनाएगा, जिसने अल्ट्राटेक सीमेंट कंपनी को भूमि में अपना चूना पत्थर खनन पट्टा जारी रखने की अनुमति दी थी. राज्य सरकार का दावा है कि वहां “जोहड़” या जल निकाय था. पिछले हफ्ते अदालत के समक्ष बहस के दौरान, राजस्थान सरकार ने तर्क दिया कि जिस क्षेत्र में चूना पत्थर की खदान स्थित है वह एक “मौसमी जल निकाय” है जो वर्षा जल एकत्र करता है. जल निकाय कई वर्षों से सूखा पड़ा है क्योंकि इस क्षेत्र में वर्षा नहीं हुई है. हालांकि, यदि खनन की अनुमति दी जाती है, तो वर्षा होने की स्थिति में आसपास के क्षेत्र का पारिस्थितिक संतुलन गड़बड़ा जाएगा.

कर्नाटक में लौह अयस्क खदानों में बड़े पैमाने पर अवैध खनन के कारण 2009 में एक एनजीओ समाज परिवर्तन समुदाय ने जनहित याचिका दायर की थी, जिसके बाद खनन को बंद कर दिया गया था. हालांकि 2013 में कड़ी शर्तों के तहत कुछ खानों को फिर से खोलने की अनुमति दी गई और लौह अयस्क और छर्रों के निर्यात पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया. शीर्ष अदालत में विभिन्न खनन कंपनियों द्वारा लौह अयस्क के निर्यात पर एक दशक पुराना प्रतिबंध और लौह अयस्क के खनन पर जिला स्तर की सीमा हटाने के लिए कई याचिकाएं दायर की गई थीं. खान मंत्रालय ने कर्नाटक के बाहर लौह अयस्क के निर्यात की अनुमति देने की मांग का समर्थन किया है. सरकार की ओर से तर्क दिया है कि देश को 192 मिलियन टन से अधिक लोहे की आवश्यकता है, लेकिन लगभग 120 मिलियन टन का उत्पादन होता है।

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