संस्कृति- राष्ट्रीय संगोष्ठी – भारत की एकात्मता और जन जातीय संस्कृति (8)

अमृतमहोत्सव वर्ष में राष्ट्रपति के रूप में श्रीमती द्रोपदी मुर्मू का चुना जाना हमारा गौरव है - श्रीमती रेणुका सिंह

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पार्थसारथि थपलियाल। सभ्यता अध्ययन केंद्र, जन जातीयकार्य मंत्रालय, भारत सरकार और वनवासी कल्याण आश्रम के संयुक्त आयोजन दो दिवसीय संगोष्ठी के दूसरे दिन 7 अगस्त 2022 को संगोष्ठी की मुख्य अतिथि थी जन जातीयकार्य राज्यमंत्री श्रीमती रेणुका सिंह सरुता। मंच पर विराजमान थे डॉ. लक्ष्मण सिंह मरकम उपसचिव, मुख्यमंत्री कार्यालय मध्यप्रदेश और श्री रविशंकर निदेशक सभ्यता अध्ययन केंद्र।

स्वागत सम्मान के बाद अतिथियों का वाणी से स्वागत करते हुए अपने बीजवक्तव्य में श्री रविशंकर ने इतिहास के उस पहलू पर विचार रखा, जिसमें जनजातियों के योगदान को भुला दिया गया। उस योगदान को उजागर करना इस संगोष्ठी के उद्देश्य है।
संगोष्ठी की मुख्य अतिथि केंद्रीय जन जातीयकार्य राज्यमंत्री श्रीमती रेणुका सिंह सरुता ने कहा आज़ादी के अमृतमहोत्सव वर्ष में हमें बहुत बड़ा तोहफा मिला। राष्ट्रपति के रूप में श्रीमती द्रोपदी मुर्मू का सर्वोच्च पद पर विरजमान होना हम सब के लिए गौरव की बात है।

उन्होंने कहा सरकारी योजनाओं में जन जातीय समाज के लिए बहुत सी योजनाएं हैं हमें उन अवसरों का लाभ उठाना चाहिए ताकि जन जाति समाज का उत्थान हो सके। हम कब तक दलित बने रहेंगे। भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी ने जनजाति कार्य मंत्रालय स्थापित किया। श्रीमती रेणु सिंह ने कई उल्लेखनीय विवरण प्रस्तुत किये। उन्होंने बताया देश मे 700 से अधिक जनजातियां है इनकी संख्या 10 करोड़ से अधिक है। वर्तमान में जनजातिकार्य मंत्रालय का बजट 87,000 करोड़ है जबकि 2014 में लगभग 19 करोड़ रुपये था। शिक्षा के क्षेत्र में आवासीय छात्रावासों के माध्यम से क्रन्तिकारी परिवर्तन समाज में आ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में अनेक जड़ी बूटियों और अन्य कृषि उत्पाद हैं जिन्हें बंधन केंद्रों के माध्यम से बिक्री के लिए उपलब्ध कराया जा रहा हैं। 27 राज्यो में जनजातीय शोध संस्थान केंद्र और अध्ययन की व्यवस्थाएं हैं। 20 हज़ार से अधिक वन अधिकार पत्र जारी किए गए है। प्रधानमंत्री आवास योजना से 34 हज़ार से अधिक जान जातीय लोगों को आवास मिल चुके हैं 2024 तक सभी इच्छुक आवेदन कर्ताओं को आवास दे दिए जाएंगे।

देश मे जनजातीय क्ष्रेत्र में 1 करोड़ 72 हज़ार से अधिक शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है। आज़ादी के अमृतमहोत्सव वर्ष के दौरान 2021 में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने महान आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों व क्रांतिकारियों को सम्मान देने के उद्देश्य से 15 नवंबर को प्रतिवर्ष “जन जातीय गौरव” दिवस मनाने की घोषणा की। 15 नवंबर को स्वतंत्रता सेनानी व क्रांतिकारी बिरसा मुंडा जी का जन्म दिन होता है। जन जातीय समाज मे बिरसा मुंडा जी को भगवान माना जाता है।

श्रीमती रेणुका सिंह ने बताया सरकार ने निश्चय किया है कि 9 स्थानों पर जनजाति के स्वतन्त्रता सेनानियों की स्मृति में स्मारक और संग्रहालय स्थापित किये जा रहे हैं। श्रीमती रेणुका सिंह ने बताया कि कुछ लोग जनजाति वर्ग के हितों के दुरूपयोग कर रहे हैं, यह सरकार की दृष्टि में है। विगठनकारी शक्तियों के प्रति को जागरूक होने की आवश्यकता है। उन्होंने भारत की एकात्मता तथा जनजाति संस्कृति पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त की और संगोष्ठी की सफलता की शुभकामनाएं व्यक्त की।

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