राहुल ने बांधे सोनिया गांधी के जूतों के फीते तो सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस, लोग बोले- मोदी करें तो ‘स्टंट’, कांग्रेस करे तो ‘प्यार’ कैसे?

कांग्रेस के ट्वीट पर सियासी घमासान छिड़ गया. कांग्रेस समर्थकों ने जहां इसे मां-बेटे का प्यार करार दिया तो वहीं विरोधियों ने इस पॉलिटिकल स्टंट बता डाला.

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली , 6अक्टूबर।  राहुल ने बांधे सोनिया गांधी के जूतों के फीते तो सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस, लोग बोले- मोदी करें तो ‘स्टंट’, कांग्रेस करे तो ‘प्यार’ कैसे?

कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के 29वें दिन में आज राहुल गांधी के साथ सोनिया गांधी भी कदम से कदम मिलाती नजर आईं. कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष की मौजूदगी से कांग्रेस के नेताओं में उत्साह देखने को मिला. इस यात्रा के दौरान एक ऐसी तस्वीर कैमरे में कैद हो गई जो इन दिनों सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई है. यात्रा के दौरान सोनिया गांधी के जूते का फीता खुल गया, वह उसे बांधने का प्रयास करतीं कि उससे पहले राहुल गांधी ने फीते को बांध दिया. इस पल को वहां मौजूद कैमरामैनों ने अपने लेंस में कैद कर लिया. जिसे कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया.

इस ट्वीट पर सियासी घमासान छिड़ गया. कांग्रेस समर्थकों ने जहां इसे मां-बेटे का प्यार करार दिया तो वहीं विरोधियों ने इस पॉलिटिकल स्टंट बता डाला. कई यूजर्स ने पीएम मोदी की मां संग खींची गई तस्वीरों को साझा कर पूछा कि जब पीएम मोदी ऐसा करते हैं तो उसे स्टंट करार दिया जाता है तो कांग्रेस नेता के इस काम को प्यार किस आधार पर बताया जा रहा है. वहीं कांग्रेस समर्थकों का दावा है कि पीएम ऐसा करने से पहले कैमरपर्सनों को बुलाते हैं जबकि राहुल गांधी बिना किसी लाग लपेट के ऐसा कर रहे हैं.

समय बढ़ने के साथ सोनिया गांधी और राहुल गांधी की तस्वीर पर बहस तेज होती चली गई. @coolfunnytshirt नाम के यूजर्स ने पूछा कि क्या बीजेपी के नेता कभी ऐसा कर सकते हैं. वहीं @Aafrin7866 ने कहा कि अब बीजेपी के समर्थक इसे ट्रोल करने के लिए अब जूतों की कीमत पर सवाल उठाए हैं. इन सबके अलावा @arpitalokmishra ने कहा कि आप इसे राजनीति कह सकते हैं लेकिन सच यही है कि मां के बराबर कोई नहीं….

वहीं इस तस्वीर की आलोचना करते हुए @gaabrutaau नाम के यूजर ने लिखा कि देखिए मां तो पूजने के योग्य होती हैं और यह देख कर अच्छा भी लगा. लेकिन कांग्रेस का यहीं मापदण्ड अलग हो जाता हैं जब प्रधानमंत्री जी अपनी मां की सेवा करते हैं. उसे पब्लिसिटी स्टंट् बताया जाता है. @MadanMo73308910 ने लिखा कि जूता पहनाने और चरण धोने (पखारने) का भेद साफ़ दिख रहा है. मां के प्रति सेवा समर्पण का भाव जूता नहीं तय कर सकता.

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