समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 12अक्टूबर। भारत की 1983 विश्व कप विजेता टीम के सदस्य रहे रोजर बिन्नी ने मंगलवार को BCCI अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भर दिया। माना जा रहा है कि बिन्नी इस शीर्ष पद के लिए निर्विरोध चुने जाएंगे। वहीं दूसरी ओर जय शाह अभी सचिव के पद पर बने रह सकते हैं। बीसीसीआई उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने यह जानकारी दी है। एक सूत्र ने बताया कि पिछले एक सप्ताह से चल रही गहमागहमी के बाद यह फैसला किया गया कि बिन्नी बोर्ड के 36वें अध्यक्ष होंगे। बेंगलुरू के रहने वाले 67 वर्षीय बिन्नी पद के लिए नामांकन भरने वाले अब तक एकमात्र उम्मीदवार हैं और अगर कोई और उम्मीदवार दावेदारी पेश नहीं करता है तो 18 अक्टूबर को मुंबई में होने वाली बोर्ड की वार्षिक आम बैठक (AGM) में वह सौरव गांगुली की जगह बीसीसीआई अध्यक्ष बनेंगे।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह ने भी नामांकन दायर किया है। अगर कोई और उम्मीदवार मैदान में नहीं उतरता है तो वह लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए बीसीसीआई सचिव बने रहेंगे। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (BCCI) के बोर्ड में भी गांगुली की जगह भारतीय प्रतिनिधि बनने की उम्मीद है।
बीसीसीआई उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने संवाददाताओं से कहा कि ‘रोजर बिन्नी ने अध्यक्ष पद, मैंने उपाध्यक्ष पद, जय शाह ने सचिव, आशीष शेलार ने कोषाध्यक्ष और देवजीत सैकिया ने संयुक्त सचिव पद के लिए नामांकन भरे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘अरूण धूमल आईपीएल संचालन परिषद के प्रमुख होंगे और अविषेक डालमिया भी उस परिषद का हिस्सा होंगे। खेरुल जमाल (मामुन) मजूमदार शीर्ष परिषद का हिस्सा होंगे। अब तक इन्हीं लोगों ने नामांकन भरा है और सभी निर्विरोध हैं।’नामांकन भरने का अंतिम दिन बुधवार है। उम्मीदवार 14 अक्टूबर तक नामांकन वापस ले सकते हैं। विभिन्न पदों के लिए उम्मीदवारों की अंतिम सूची 15 अक्टूबर को प्रकाशित होगी।
सूत्रों ने कहा,‘सौरव को आईपीएल के चेयरमैन पद की पेशकश की गई थी लेकिन उन्होंने बड़ी शालीनता से इसे नामंजूर कर दिया। उनका तर्क था बीसीसीआई अध्यक्ष बने रहने के बाद वह उसकी उप समिति का प्रमुख नहीं बन सकते। उन्हें पद पर बने रहने में दिलचस्पी दिखाई थी।’ धूमल के मामले में निर्णयकर्ताओं ने गांगुली के फैसले का इंतजार किया और जब उन्होंने आईपीएल चेयरमैन बनने से इनकार कर दिया तो उन्होंने हिमाचल प्रदेश के रहने वाले धूमल को यह पद सौंप दिया। गांगुली के हटने के बाद अब पूर्वी क्षेत्र के प्रतिनिधि को लेकर फैसला असम के मुख्यमंत्री बिस्वा सरमा के हाथों में था क्योंकि उन्हें पिछली बार भी इसमें अहम भूमिका निभाई थी।