धर्मेंद्र प्रधान ने मॉरीशस, तंजानिया, जिम्बाब्वे और घाना के अपने समकक्षों के साथ की कई द्विपक्षीय बैठकें

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 25नवंबर। केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुरूवार नई दिल्ली में मॉरीशस, तंजानिया, जिम्बाब्वे और घाना के अपने समकक्षों के साथ कई द्विपक्षीय बैठकें कीं।

मॉरीशस की उप-प्रधानमन्त्री और तृतीयक शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री महामहिम श्रीमती लीला देवी डुकुन- लचुमुन के साथ बैठक के दौरान, श्री प्रधान ने कहा कि भारत और मॉरीशस एक विशेष संबंध का आनंद लेते हैं और इतिहास, संस्कृति, भाषा और भारत हिन्द महासागर के माध्यम से एकजुट हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रधानमंत्री श्री ज्ञर नरेन्‍द्र मोदी ने मॉरीशस के साथ द्विपक्षीय संबंधों को और सुदृढ़ करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। उन्होंने आश्वासन दिया कि भारत मॉरीशस के साथ मिलकर काम करने और शिक्षा और कौशल विकास के सभी क्षेत्रों में क्षमता निर्माण में सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। श्री प्रधान ने आगे कहा कि अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया के ज्ञान और कौशल केंद्र के रूप में इसे स्थापित करने के लिए मॉरीशस के साथ काम करना भारत के लिए सौभाग्य की बात होगी। दोनों देश ज्ञान के क्षेत्र में अपने संबंधों को और गहरा करने और द्विपक्षीय साझेदारी को और अधिक जीवंत बनाने के लिए समग्र रूप से काम करने पर भी सहमत हुए।

ज़ांज़ीबार की शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण मंत्री, महामहिम सुश्री लीला मुहम्मद मूसा के साथ बैठक के दौरान, श्री प्रधान ने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) परियोजना के साथ तंजानिया की सहायता करके प्रसन्न है। तंजानिया में आईआईटी अफ्रीका में प्रौद्योगिकी शिक्षा का केंद्र बन सकता है। उन्होंने परियोजना के कार्यान्वयन के लिए आवश्यक समर्थन को सामने रखा और ज़ांज़ीबार में 21वीं सदी के कौशल केंद्र की स्थापना के लिए भारत की इच्छा को भी साझा किया। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) भारत में शिक्षा के नए मार्ग बना रही है। श्री प्रधान ने तंजानिया और अफ्रीकी छात्रों को भारत में अध्ययन के लिए आमंत्रित किया। महामहिम सुश्री लीला मुहम्मद मूसा ने शिक्षा और कौशल सहयोग को अधिक जीवंत बनाने और तंजानिया और ज़ांज़ीबार की समृद्धि के लिए सभी आवश्यक समर्थन का आश्वासन दिया। दोनों मंत्रियों ने अपने पारंपरिक रूप से घनिष्ठ और सौहार्दपूर्ण संबंधों को मजबूत करने एवं ज्ञान और कौशल साझेदारी को अपने द्विपक्षीय संबंधों का एक प्रमुख स्तंभ बनाने पर सार्थक बातचीत की।

प्रधान ने अपने कार्यालय में जिम्बाब्वे के उच्च और तृतीयक शिक्षा, नवाचार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास मंत्रालय में उप मंत्री महामहिम श्री रेमोर माचिंगुरा के साथ बैठक की। उन्होंने शिक्षा और कौशल विकास में दोनों देशों के बीच भागीदारी को और बढाने पर उपयोगी चर्चा की। भारत और अफ्रीका दोनों की साझा आकांक्षाएं और पारस्परिक प्राथमिकताएं हैं। श्री प्रधान ने शिक्षा, कौशल विकास और क्षमता निर्माण पर भारत और जिम्बाब्वे के बीच एक संयुक्त कार्य समूह गठित करने का सुझाव दिया। महामहिम श्री माचिंगुरा ने एक संयुक्त कार्यदल गठित करने की अपनी इच्छा को भी साझा किया। दोनों मंत्रियों ने आपसी समृद्धि और विकास के लिए स्कूल से अनुसंधान तक अपने संबंधों को और गहरा करने पर भी सहमति व्यक्त की। भारत को जिम्बाब्वे और अफ्रीका का विश्वसनीय भागीदार होने पर गर्व है।

धर्मेंद्र प्रधान ने घाना के उप शिक्षा मंत्री महामहिम श्री जॉन एनटिम फोर्डजौर के साथ अपनी बैठक के दौरान, आपसी प्राथमिकताओं को प्राप्त करने के लिए स्कूल –पूर्व से लेकर अनुसंधान तक भारत और घाना के बीच संस्थागत तंत्र तथा संयुक्त कार्य समूहों की स्थापना का प्रस्ताव रखा। महामहिम श्री जॉन ने इस विचार के प्रति अपनी सहमति व्यक्त की और शैक्षणिक संबंधों को मजबूत करने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की। दोनों मंत्रियों ने परस्पर मधुर एवं सौहार्दपूर्ण संबंधों को और अधिक जीवंत बनाने तथा शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर भी उपयोगी चर्चा की।

मॉरीशस, तंजानिया, जिम्बाब्वे और घाना के मंत्री यहां अभी चल रहे यूनेस्को इंडिया अफ्रीका हैकथॉन में भाग लेने के लिए आए हुए हैं।

एआईएसएचई डेटा (2019-20) के अनुसार, कुल 11083 अफ्रीकी छात्र भारत में अध्ययन कर रहे हैं।

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