गोवा के प्रसिद्ध चित्रकार एंतोनियो जेवियर त्रिनदादे द्वारा बनाई गई पेंटिंग्स की प्रदर्शनी का उद्घाटन
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 25नवंबर। गोवा के प्रसिद्ध चित्रकार एंतोनियो जेवियर त्रिनदादे द्वारा बनाई गई पेंटिंग्स की एक प्रदर्शनी का उद्घाटन 24 नवंबर 2022 को नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट में संस्थान के महानिदेशक अद्वैत गडनायक और पुर्तगाल के राजदूत महामहिम कार्लोस परेरा मार्केस द्वारा किया गया। इस अवसर पर भारत और पुर्तगाल के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत नई दिल्ली में राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय में ओरिएंट फाउंडेशन (Fundação Oriente) प्रतिनिधिमंडल के निदेशक श्री पाउलो गोम्स भी उपस्थित थे।
यह प्रदर्शनी 24 नवंबर,2022 से 24 जनवरी,2023 तक जनता के देखने के खुली रहेगी। इस दौरान 37 उत्कृष्ट कृतियों का प्रदर्शन होगा, उनमें से तीन एनजीएमए के संग्रह से हैं, शेष को त्रिनदादे के संग्रह से लिया गया है। जिन्हें वर्ष 2004 में एस्थर त्रिनदादे ट्रस्ट द्वारा ओरिएंट फाउंडेशन को दान में दिया गया था।
एंतोनियो जेवियर त्रिनदादे का जन्म 1870 में गोवा के सांगुएम में हुआ था। जब बचपन में त्रिनदादे को उनकी कलात्मक प्रतिभा को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया गया तो उसके बाद, उन्होंने बंबई में सर जमशेदजी जीजीभॉय स्कूल ऑफ आर्ट एंड इंडस्ट्री में दाखिला लिया। यह संस्थान पेंटिंग, मूर्तिकला और डिजाइन के शिक्षण के लिए समर्पित एक प्रतिष्ठित कॉलेज है, जो दक्षिण केंसिंग्टन प्रणाली द्वारा व्यक्त यूरोपीय प्रकृतिवाद की परंपराओं का पालन करता था।
त्रिनदादे का सुविस्तृत कार्य 1920 के दशक और 1930 के दशक की शुरुआत में काफी लोकप्रिय हुआ। यह एक ऐसा समय था जब इस कलाकार ने मुख्य रूप से चित्र, परिदृश्य और स्थिर जीवन पर अपना ध्यान केंद्रित किया। उस अवधि के दौरान अपने पश्चिमी पालन-पोषण और यूरोपीय कलात्मक प्रवृत्तियों से प्रभावित त्रिनदादे को यह पता था कि इस विरासत को स्वाभाविक रूप से अपने चित्रों में कैसे एकीकृत किया जाए, या तो उनके द्वारा चुने गए विषयों से या फिर जिस तरह से उन्होंने उन चीजों को अपनाया था।
एंतोनियो जेवियर त्रिनदादे का कार्य भारतीय उपमहाद्वीप और पश्चिमी यूरोप के सांस्कृतिक विश्व को कुशलता से जोड़ता है, जिससे इस चित्रकार की अति प्रशंसा सुनिश्चित होती है और उच्चतम सम्मान मिलना किसी भी समय एक कलाकार की आकांक्षा हो सकती है।
एंतोनियो जेवियर त्रिनदादे पश्चिमी शैली के कलात्मक करियर को चुनने के बावजूद, हमेशा से भारत के लोगों और परिदृश्य के प्रति वफादार रहे।