राज्य सरकार की लापरवाही के कारण छत्तीसगढ़ में आदिवासियों का आरक्षण कम हुआ है- सांसद गोमती

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समग्र समाचार सेवा
रायगढ़, 23दिसंबर। सांसद गोमती साय ने आज सदन में मात्रात्मक त्रुटि संसोधन विधयेक पर बोलते हुए कहा कि अध्यक्ष महोदय सर्वप्रथम तो मैं आपको हृदय से धन्यवाद देती हूं कि आपने जनजाति समुदाय के लोगों को हित पहुंचाने वाले संशोधन विधेयक में मुझे बोलने का अवसर प्रदान किया मैं आदरणीय प्रधानमंत्री जी एवं माननीय जनजाति मंत्री जी द्वारा लाये गए संशोधन विधेयक के समर्थन में संक्षिप्त में अपनी बात रखना चाहती हूं।

अध्यक्ष महोदय, जिस राज्य से मैं चुन कर आई हूं वह छत्तीसगढ़ एक आदिवासी राज्य है, यहां बस्तर से सरगुजा तक आदिवासियों की बसाहट है। राज्य की कुल जनसंख्या का 30 प्रतिशत हिस्सा आदिवासियों का ही है। इनमें से 5 आदिवासियों को केंद्र सरकार ने अति पिछड़ा जनजाति में शामिल किया गया है. इसके अलावा राज्य सरकार ने 2 जनजातियों को अति पिछड़ा माना है। लेकिन इसके बाद भी राज्य के कई जातिय समुदाय आदिवासी होने के बाद भी केवल जाति के नाम पर मात्रात्मक त्रुटि के कारण सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता था। जनजाति समुदाय के लोगों को हित पहुंचाने वाले संशोधन विधेयक से मात्रा की त्रुटी के कारण अपने अधिकार से वंचित 20 लाख से ज्यादा आदिवासियों को हक मिल सकेगा।

अध्यक्ष महोदय मैं एक वनवासी बाहुल क्षेत्र की सांसद हूँ, आज जो संशोधन विधेयक पर चर्चा हो रही है ऐसी 12 जनजातियाँ उसमें भारिया भूमिया धनुहार सावरा एवं विशेषकर नगेसिया समाज के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन होने वाला है।

ये समाज जब से संविधान में आरक्षण का प्रावधान हुआ है तब से लेकर आज तक मात्रा त्रुटि अथवा अन्य कारणों से आरक्षण के लाभ से वंचित रहे हैं इस विधेयक के पारित होने से उनके जीवन में कितनी खुशहाली आयेगी उसकी कल्पना नहीं की जा सकती है।

इन जाति समुदायों के अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल होने के बाद इन्हें सरकार की अनुसूचित जनजातियों के लिए संचालित योजनाओं का लाभ मिलने लगेगा। छात्रवृति, रियायती ऋण, अनुसूचित जनजातियों के बालक-बालिकाओं के छात्रावास की सुविधा मिलेगी। वहीं सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का भी लाभ मिल सकेगा।

अध्यक्ष महोदय, आरक्षण का प्रश्न केवल शिक्षा, रोजगार, सक्षमीकरण तक ही सीमित नहीं है, बल्कि आज यह विषय अपने अस्तित्व के साथ भी जुड़ा हुआ है। आदिवासी मूलतः प्राकृतिक का उपासक है वो जंगल, नदी, पहाड़, पर्वत एवं मातृभूमि को अपना देवता मानते हैं। हमारे संविधान निर्माताओं ने दूरस्थ वनों में रहने वाले सुविधाओं से वंचित लोगों के लिए संविधान में आरक्षण का प्रावधान किया गया था। अतः अंत में मैं भारत सरकार के जनजाति मंत्री जी को हृदय से धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने भारिया भूमिया धनुहार नगेसिया एवं अन्य समाज के लोगों के लिए जो संशोधन विधेयक लाया है इन सभी समाज की ओर से उनके प्रति आभार प्रकट करते करते हुए प्रस्तावित संशोधन विधायक का समर्थन करती हूं। और वर्तमान में कुछ और जनजाति है जो मात्रा त्रुटि के कारण उनको लाभ नहीं मिल पा रहा है मैं आपके माध्यम से उन जनजातियों के लिये कार्य किया जाये चाहती हूँ।

अध्यक्ष महोदय, प्रस्ताव का समर्थन करते हुए मैं इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षण भी करना चाहती हूं कि हमारे क्षेत्र में अत्यंत पिछड़ी कोरबा जनजाति निवास करती है जिसे महामहिम राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र की मान्यता प्राप्त है। अध्यक्ष महोदय, यह कोरवा जनजाति दो भागों में बंटी हुई है। एक पहाड़ी कोरवा और दूसरी डीहारी कोरवा के नाम से जानी जाती है। अध्यक्ष महोदय पहाड़ी कोरवा को तो आरक्षण की सभी सुविधाएं प्राप्त है किंतु डीहारी कोरवा अभी भी इस लाभ से वंचित है। उन्हे भी आरक्षण का लाभ दिया जाये। मुझे बोलने का अवसर दिये इस हेतु आपके प्रति हृदय से धन्यवाद देते हुए मैं अपना कथन समाप्त करती हूं ।

अंत मे श्रीमती साय ने छत्तीसगढ़ सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि राज्य सरकार की लापरवाही के कारण छत्तीसगढ़ में आदिवासियों का आरक्षण कम हुआ है। जिस पर सदन में बहस भी हुई।

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