अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना, “‘स्व’, स्वतंत्रता और प्रतिरोधः अतीत से वर्तमान तक” का आयोजन

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समग्र समाचार सेवा
सासाराम, 26दिसंबर। अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना द्वारा‘स्व’, स्वतंत्रता और प्रतिरोधः अतीत से वर्तमान तक का आयोजन
26-28 दिसम्बर 2022 तक किया जा रहा है। कार्यक्रम का आय़ोजन गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय, जमुहार, सासाराम, बिहार
में किया गया है।
उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय, GNS विश्वविद्यालय के कुलाधिपति गोपाल नारायण सिंह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता सुरेश सोनी व अन्य मौजुद रहे।
उद्घाटन भाषण —गोपाल न सिंह ने सबको साधुवाद दिया इस सम्मेलन के लिए . शिक्षा . संस्कार व शिक्षक की भूमिका पर प्रकाश डाला . अपने इलाहाबाद विश्वविद्यालय का ज़िक्र किया .. शिक्षक की स्थिति पर भी बोले .. निजी संस्थाओं को लोग पैसा कमाने का ज़रिया मानते है।
डिग्री व शिक्षा दोनो अलग अलग की भूमिका अलग अलग है। शिक्षा का मतलब नौकरी या राष्ट्रभक्ति

भारत के इतिहास को लेकर कई प्रकार की भ्रम की स्थिति बनायी गयी। ncert के किताबों में भी भारत के इतिहास को ग़लत तरीक़े से लिखवाया गया ऐसा NCERT के अधिकारियों ने कई संसदीय समितियों के समक्ष स्वीकार किया। पर अब ऐसा नहीं है
। तमाम स्थितियों से अब ऐसा लगने लगा है कि 80 % देश को पता चल चुका हैं कि हमारे इतिहास को ग़लत लिखा गया .ग़लत बताया गया।

गोपाल नारायण सिंह जी -श्री सुरेश सोनी जी का सम्मान करते हुए। डॉक्टर राजीव रंजन ने स्व से स्वतंत्रता विषय पर विशेष टिप्पणी की
। अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के स्थानीय सचिव डॉक्टर राजीव रंजन।

अब डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय, केंद्रीय मंत्री .मुख्य अतिथि

महेंद्र जी —इतिहास पुनर्लेखन क्यों ? क्योंकि पुनःजागरण ज़रूरी महर्षि अरविंद के सिद्धांतों पर बीयोस एक भविष्य वाणी थी एक महापुरुष आएगा
भारत का
पुनर्निर्माण करेगा
राष्ट्र का कुछ लोगों ने बहुत नुक़सान किया है। वो धर्म निरपेक्षता को लेकर
समग्र चिंतन ज़रूरी है। आज़ में इतिहास में अटल जी बाद नरेंद्र मोदी ने पाश्चात्य चिंतन से हम क्यों प्रभावित है।

पर वे सब तथ्यों से उलट किया जा रहा है। इतिहास के अनुसंधान में ICHR की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। विज्ञान, तथ्य परक.आध्यात्मिक होना
चाहिए। हम कैसे मिथ्या विचार को अवहेलना करे उस पर और भी कार्य ज़रूरी है। जनजातीय संघर्ष को भी highlight करना ज़रूरी है। सभी विमोचित पुस्तको से देश को कई नए सत्य कथ्य मिलेंगे।

RSS के वरिष्ठ नेता सुरेश सोनी जी श्री सोनी जी में 2047 के नए भारत की चर्चा की
संस्कृति को लेकर चिंतन हुआ है और हो रहा है। कई नए शोध आए है। कई नए आ रहे है। ऋषि अगस्त्य के कृतित्व की चर्चा की। हमारा अतीत क्या था तो हमारे स्व . जीवन मूल्य का पता चलता है। दुनिया की कई संस्कृतिया लुप्त हुयी। परंतु हमारी हिंदू संस्कृति आज़ भी सनातन काल से है। और रहेगी। कब तक वामपंथियों की आलोचना करेंगे
। अब हम अपना इतिहास लिखेंगे। ग़लत को सही बताने में बहुत वक्त लगता है। परंतु सत्य को सत्य बताने में ज़्यादा समय नहीं लगता है। तभी स्व का भाव आया
। इसी स्व से स्वतंत्रता की हम चर्चा कर रहे है
। ब्रिटिश आक्रमण के पीछे जाना ठीक नहीं। इसलिए स्व का साक्षात्कार ज़रूरी हैं। क्योंकि ब्रिटिश आक्रमण कई वेरीयंट्स समाज में है। इसलिए उसको दूर करने का उपाय अपना उत्थान व राष्ट्र विकास सम्भव है।

देवी प्रसाद सिंह .कार्यकारी अध्यक्ष ।अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना

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