समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 31दिसंबर। संसदीय कार्य मंत्रालय संसद में सरकारी कामकाज के संबंध में संसद के दोनों सदनों और सरकार के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करता है। मई, 1949 में एक विभाग के रूप में सृजित यह विभाग जल्द ही अधिक जिम्मेदारियों और कार्यों के आवंटन के साथ एक पूर्ण मंत्रालय बना दिया गया। यह मंत्रालय संसद और उसके सदस्यों के साथ-साथ भारत सरकार और राज्य सरकारों के मंत्रालयों/विभागों और अन्य संगठनों को शामिल करते हुए नागरिकों के एक निकाय को व्यापक और गुणवत्तापूर्ण सेवाएं प्रदान करने का प्रयास करता है। चालू वित्त वर्ष (अप्रैल से नवंबर, 2022 तक) के दौरान संसदीय कार्य मंत्रालय के प्रदर्शन की एक झलक इस प्रकार है:
विधायी व्यवसाय:
सत्रहवीं लोकसभा के 7वें सत्र और राज्यसभा के 255वें सत्र (शीतकालीन सत्र, 2021) के समापन पर कुल 33 विधेयक (लोकसभा में 9 विधेयक और राज्यसभा में 24 विधेयक) लंबित थे। इस अवधि के दौरान 19 विधेयक पेश किए गए (लोकसभा में 18 और राज्यसभा में 1), विधेयकों की कुल संख्या 52 हो गई। इनमें से 16 विधेयक दोनों सदनों द्वारा पारित किए गए। 1 विधेयक (लोकसभा में) वापस ले लिया गया। सत्रहवीं लोकसभा के 9वें सत्र और राज्यसभा के 257वें सत्र (मानसून सत्र, 2022) के समापन पर कुल 35 विधेयक (लोकसभा में 7 विधेयक और राज्यसभा में 28 विधेयक) संसद के दोनों सदनों में लंबित थे। इस अवधि के दौरान आयोजित सत्रों का विवरण इस प्रकार है:
बजट सत्र 2022:
संसद का बजट सत्र 2022, सोमवार 31 जनवरी, 2022 से गुरुवार 7 अप्रैल, 2022 तक आयोजित किया गया। इस बीच, दोनों सदनों को शुक्रवार, 11 फरवरी, 2022 को अवकाश के लिए स्थगित कर दिया गया ताकि सोमवार, 14 मार्च, 2022 को फिर से एकत्र हो सकें, ताकि विभिन्न मंत्रालयों/विभागों से संबंधित अनुदानों की मांगों की जांच करने और उन पर रिपोर्ट देने के लिए विभागीय रूप से संबंधित स्थायी समिति को सक्षम बनाया जा सके।
बजट सत्र के पहले भाग में लोकसभा और राज्यसभा की कुल 10 बैठकें हुईं। सत्र के दूसरे भाग में लोकसभा और राज्यसभा की 17 बैठकें आयोजित हुईं। पूरे बजट सत्र, 2022 के दौरान लोकसभा और राज्यसभा की कुल 27 बैठकें हुईं। इस सत्र के दौरान, कुल 13 विधेयक (लोकसभा में 12 और राज्यसभा में 01) पेश किए गए। लोकसभा ने 13 विधेयक और राज्यसभा ने 11 विधेयक पारित किए। संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयकों की कुल संख्या 11 थी।
वित्तीय कामकाज:
2022-23 का केंद्रीय बजट मंगलवार 1 फरवरी, 2022 को लोकसभा में पेश किया गया। दोनों सदनों में केंद्रीय बजट पर आम चर्चा हुई। लोकसभा ने 2022-23 की अनुदान मांगों, 2021-22 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों और 2018-19 के लिए अतिरिक्त अनुदान की मांगों पर भी चर्चा की और मतदान कराया गया।
वर्ष 2021-22 के लिए जम्मू और कश्मीर राज्य के संबंध में अनुदान की अनुपूरक मांग, वर्ष 2022-23 के लिए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के संबंध में अनुदान मांगों पर भी चर्चा की गई और लोकसभा द्वारा मतदान किया गया।
राज्यसभा ने सभी संबंधित विनियोग विधेयकों को भी वापस कर दिया और संपूर्ण वित्तीय व्यवसाय 31 मार्च, 2022 से पहले पूरा हो गया।
संसद का मानसून सत्र 2022:
संसद का मानसून सत्र 2022 सोमवार 18 जुलाई, 2022 से सोमवार 8 अगस्त, 2022 तक आयोजित किया गया। इस सत्र में 22 दिनों की अवधि में 16 बैठकें आयोजित की गईं।
सत्र के दौरान, 6 विधेयक (लोकसभा में 6) पेश किए गए। लोकसभा ने 7 विधेयक और राज्यसभा ने 5 विधेयक पास किए। संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयकों की कुल संख्या 5 थी। लोकसभा में एक विधेयक वापस लिया गया।
नेशनल ई-विधान एप्लीकेशन (नेवा) के माध्यम से विधानसभाओं का डिजिटलीकरण:
नेशनल ई-विधान एप्लिकेशन (नेवा) संसद के 2 सदनों सहित देश भर के सभी 39 विधानमंडलों (लोकसभा + राज्यसभा + 31 विधानसभाओं + 6 परिषदों) को एक मंच पर लाने के लिए एंड-टू-एंड क्लाउड आधारित डिजिटल समाधान है। इसे ‘वन नेशन- वन एप्लीकेशन’ की थीम पर विकसित किया गया है। संसदीय कार्य मंत्रालय को पूरे देश की सभी विधानसभाओं में नेवा को लागू करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
सदस्यों, मंत्रियों, सदन सचिवालय कर्मियों, बड़े पैमाने पर सरकारी विभाग के कर्मचारियों और नागरिकों जैसे विभिन्न हितधारकों की सहायता करने के लिए नेवा एप्लिकेशन विकसित किया गया है। यह सदस्यों को अपने हाथ में पकड़े जाने वाले उपकरणों/टैबलेट में उनके द्वारा अपेक्षित संपूर्ण जानकारी डालकर विविध सदन कामकाज को अच्छी तरह से संभालने में सक्षम बनाता है। यह मंत्रियों को सदन की सभी सूचनाओं जैसे प्रश्नों के उत्तर, विधेयक, रखे गए अन्य कागजात आदि तक पहुंच बनाने में भी मदद करता है। यह विधानमंडलों/विभागों की सभी शाखाओं को कुशलतापूर्वक संभालने और एक कुशल समावेशी डेटाबेस बनाने में सक्षम बनाता है, जिसके कारण विधानमंडलों के कार्यों के तरीके में आमूल-चूल परिवर्तन होता है, ताकि वे लाइव वेबकास्टिंग के लिए सुविधाओं के साथ काम कर सकें। इसके अलावा, नेवा का उद्देश्य न केवल नागरिकों को विधेयकों, प्रश्नों और उनके उत्तरों, दोनों सदनों में पेश किए गए दस्तावेज़ों तक आसान तरीके से पहुंच प्रदान करके लोकतंत्र को नागरिकों के और अधिक नजदीक लाना ही नहीं, बल्कि उन्हें लोकतंत्र के साथ एक सार्थक जुड़ाव के लिए एक अवसर प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाना भी है, जिसे ई-निर्वाचन प्रबंधन मॉड्यूल शिकायत मॉड्यूल के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है
इस इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म के संचालन से कागजों की भारी बचत होगी (लगभग 340 करोड़ रुपये प्रति वर्ष), जिससे कार्बन फुटप्रिंट्स में कमी आएगी और संयुक्त राष्ट्र के एसडीजी (15) – ‘लाइफ ऑन अर्थ’ की उपलब्धि में एक कदम आगे बढ़ाया जा सकेगा।
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने वर्तमान परिदृश्य में डिजिटल विधानमंडलों के लाभों को प्राप्त करने के लिए नेवा को अपनाकर देश की सभी विधान सभाओं के डिजिटलीकरण के लिए पीठासीन अधिकारियों से भी आग्रह किया है।
मंत्रालय ने अभी हाल में सदस्यों और नागरिकों को समान रूप से लाभ पहुंचाने के लिए संबंधित सदन के विरासत डेटा के प्रबंधन के लिए नया मॉड्यूल ‘डिजिटल आर्काइव’ विकसित किया है। रिपोर्टर के मॉड्यूल को भी फिर से विकसित किया गया है। विभिन्न विधानसभाओं की जरूरतों के अनुसार डिजिटल हाउस मॉड्यूल, प्रश्न प्रसंस्करण मॉड्यूल, समिति मॉड्यूल, सदस्य का मॉड्यूल, मास्टर सामग्री प्रबंधन मॉड्यूल, उपयोगकर्ता प्रबंधन मॉड्यूल आदि का भी उन्नयन किया गया है। नेवा वेबसाइट का विभिन्न नई सुविधाओं और नवीनतम डिजाइनों के साथ भी उन्नयन किया गया है।
जहां तक नेवा के कार्यान्वयन की वर्तमान स्थिति का संबंध है, कुल 21 विधानमंडल (19 राज्य) यानि- पंजाब, ओडिशा, बिहार {दोनों सदन}, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर, गुजरात, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, पुडुचेरी, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, सिक्किम, हरियाणा, उत्तर प्रदेश {दोनों सदनों} झारखंड, जम्मू और कश्मीर ने संसदीय कार्य मंत्रालय के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं, इनमें से 17 विधानमंडल (15 राज्य) अर्थात- पंजाब, ओडिशा, बिहार (दोनों सदनों) नगालैंड, मणिपुर, सिक्किम, तमिलनाडु, मेघालय, हरियाणा, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश (दोनों सदनों), मिजोरम, गुजरात, झारखंड, पुडुचेरी को आवश्यक धनराशि जारी करने के साथ परियोजना की मंजूरी दे दी गई है। वर्तमान में, 8 विधानमंडल, अर्थात- बिहार परिषद, नगालैंड विधानसभा, उत्तर प्रदेश विधानसभा, हरियाणा विधानसभा, मिजोरम विधानसभा, मेघालय विधानसभा, उत्तर प्रदेश परिषद और तमिलनाडु पहले ही नेवा के माध्यम से डिजिटल हाउस में परिवर्तित हो चुके हैं। अन्य सदन भी जल्द ही पेपरलेस होने की मार्ग पर हैं।
युवा संसद कार्यक्रम
युवा संसद कार्यक्रम लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत बनाने, अनुशासन की अच्छी आदतें विकसित करने, अलग-अलग विचारों के प्रति सहिष्णुता विकसित करने और छात्र समुदाय को संसद के कामकाज से परिचित कराने के उद्देश्य से चलाया जाता है। युवा संसद कार्यक्रम 2 मोड में आयोजित किया जाता है:-
1. युवा संसद प्रतियोगिता (वाईपीसी):
इस वर्ष निम्नलिखित वाईपीसी का आयोजन किया गया:-
विश्वविद्यालयों / कॉलेजों के लिए 16वीं राष्ट्रीय युवा संसद प्रतियोगिता (एनवाईपीसी), 2019-20 की समूह स्तरीय प्रतियोगिता जिसमें 35 संस्थानों ने भाग लिया
केंद्रीय विद्यालयों के लिए आयोजित 33वां एनवाईपीसी, 2022-23 में 150 संस्थानों ने भाग लिया
जवाहर नवोदय विद्यालयों के लिए आयोजित 24वीं एनवाईपीसी, 2022-23 की क्षेत्रीय स्तर की प्रतियोगिता में 80 संस्थानों ने भाग लिया
शिक्षा निदेशालय, दिल्ली सरकार और एनडीएमसी के तहत स्कूलों के लिए आयोजित 55वीं वाईपीसी में 39 संस्थानों ने भाग लिया
2) राष्ट्रीय युवा संसद योजना (एनवाईपीएस) का वेब-पोर्टल:
देश के कोने-कोने में युवा संसद कार्यक्रम की पहुंच बढ़ाने के लिए 26 नवंबर, 2019 को एनवाईपीएस का वेब-पोर्टल लॉन्च किया गया था। एनवाईपीएस के पहले संस्करण का पंजीकरण 31 जुलाई, 2022 को बंद कर दिया गया था। पोर्टल पर 8317 पंजीकरण और 373 कार्यक्रम समापन रिपोर्ट प्राप्त हुई थीं। एनवाईपीएस के दूसरे संस्करण के लिए पंजीकरण 1 अगस्त, 2022 को शुरू किया गया था। 30 नवंबर, 2022 तक, पोर्टल पर 1702 सफल पंजीकरण और 367 कार्यक्रम समापन रिपोर्ट प्राप्त हुई हैं। दूसरे संस्करण के लिए पंजीकरण की अंतिम तिथि 31 दिसंबर, 2022 है।
सलाहकार समितियां:
मंत्रालय संसद सदस्यों की परामर्शदात्री समितियों का गठन करता है और सत्र और अंतर सत्र अवधि के दौरान उनकी बैठकें आयोजित करने की व्यवस्था भी करता है। 17वीं लोकसभा के गठन के बाद विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के लिए 37 सलाहकार समितियों का गठन किया गया था। श्रम और अधिकारिता मंत्रालय के संबंध में 38वीं परामर्शदात्री समिति का गठन 28 जुलाई, 2020 को किया गया था।
वर्ष 2022 के दौरान निम्नलिखित गतिविधियां आयोजित की गईं:-
कानून और न्याय मंत्रालय के लिए एक सलाहकार समिति (39वीं) का गठन 20 अप्रैल, 2022 को किया गया था
सलाहकार समितियों की नवंबर, 2022 तक 60 बैठकें आयोजित की गईं
भारत सरकार द्वारा गठित विभिन्न समितियों/परिषदों/बोर्डों आदि में 73 संसद सदस्यों (लोकसभा और राज्यसभा) को नामित किया गया था
विभिन्न सलाहकार समितियों से 69 सांसदों की सदस्यता उनके त्यागपत्र/ सेवानिवृत्ति/ निधन आदि के कारण विलोपित हो गई थी
मंत्रालय ने लंबित मामलों के निपटान और कार्यालयों में स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए विशेष अभियान 2.0 चलाया:
संसदीय कार्य मंत्रालय ने 2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर, 2022 तक लंबित मामलों के निपटान (एससीपीडीएम) पर एक विशेष अभियान 2.0 शुरू किया, जो लोक शिकायतों के निपटान, संसद सदस्यों के संदर्भ, संसद के आश्वासन, स्वच्छता अभियान, स्क्रैप निपटान और फाइलों की छंटाई/रिकॉर्ड प्रबंधन आदि पर केंद्रित है।
अभियान के दौरान, संसदीय कार्य मंत्रालय ने निम्नलिखित उपलब्धियां हासिल की हैं:
373 भौतिक फाइलों की समीक्षा का लक्ष्य हासिल किया गया
461 ई-फाइलों की समीक्षा का लक्ष्य हासिल किया गया
विशेष अभियान 2.0 के दौरान 226 फाइलों की छंटाई की गई
रद्दी की बिक्री से 1,23,810/- रुपये का राजस्व जुटाया गया
संसदीय कार्य मंत्रालय प्राथमिकता के आधार पर लोक शिकायतों और पीएमओ के संदर्भों को देखता है तथा अभियान के दौरान त्वरित और तत्काल कार्रवाई के कारण लंबित मामले शून्य थे।
विशेष अभियान 2.0 के दौरान डिजिटल पहल नेशनल ई-विधान एप्लीकेशन (नेवा) और ऑनलाइन एश्योरेंस मॉनिटरिंग सिस्टम (ओएएमएस) सर्वश्रेष्ठ प्रक्रिया बने रहे।
26 नवंबर, 2022 को संविधान दिवस समारोह की शुरुआत सभी कर्मचारियों द्वारा सुबह 11 बजे संविधान की प्रस्तावना के वाचन के साथ की गई। मंत्रालय ने अपने दो वेब-पोर्टल को भी नया रूप देकर उन्नयन किया गया, 22 आधिकारिक भाषाओं और अंग्रेजी में संविधान की प्रस्तावना का पहला ऑनलाइन पठन (https:// readpreamble.nic.in/) और दूसरा भारतीय संविधान पर ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी (https://constitutionquiz.nic.in/) का आयोजन हुआ। इन पोर्टलों को 25 नवंबर, 2022 को संसदीय कार्य मंत्री श्री प्रह्लाद जोशी द्वारा लॉन्च किया गया था।
पिछले वर्ष 6.45 लाख लोगों की भागीदारी की तुलना में इस वर्ष इन दोनों पोर्टलों पर दुनिया भर से 13 लाख से अधिक लोगों ने भाग लिया।
संसद के सदनों को दिए गए आश्वासनों की ऑनलाइन निगरानी:
संसदीय कार्य मंत्रालय ने 9 अक्टूबर, 2018 को सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन ओएएमएस (ऑनलाइन एश्योरेंस मॉनिटरिंग सिस्टम) लॉन्च किया।
इस प्रणाली के माध्यम से मंत्रालय बड़ी संख्या में कार्यान्वयन रिपोर्ट प्राप्त कर रहा है। लंबित आश्वासनों के त्वरित निस्तारण के संबंध में मंत्री, सचिव, अपर सचिव स्तर पर सभी मंत्रालयों/विभागों को समय-समय पर अनुस्मारक जारी किए जाते हैं। इसके अलावा, इस संबंध में विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के मौखिक साक्ष्यों को सरकारी आश्वासनों पर समिति द्वारा लंबित आश्वासनों का शीघ्र निपटान करने के लिए भी ध्यान में रखा जाता है। वर्ष 2021 में राज्यसभा के आश्वासनों की संख्या 774 और वर्ष 2022 में 624 थी, जबकि लोकसभा में वर्ष 2021 में यह संख्या 1613 तथा वर्ष 2022 में 1028 थी।
इस तरह, लम्बित मामलों में काफी कमी आई है जो यह दर्शाता है कि लागू की गई निगरानी प्रणाली बहुत प्रभावी है। वर्ष 2022 में लोकसभा में कुल 799 कार्यान्वयन रिपोर्ट सभा पटल पर रखी गई (आज तक लंबित आश्वासनों की कुल संख्या 760 है)। वर्ष 2022 में, राज्यसभा में कुल 317 कार्यान्वयन रिपोर्टें रखी गईं (आज तक लंबित आश्वासनों की कुल संख्या 520 है)।