समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली , 10 जनवरी। केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने आज कहा कि भारत का दृष्टिकोण एकता की सार्वभौमिक भावना को बढ़ावा देना और मानव-केंद्रित वैश्वीकरण के एक नए प्रतिमान को आकार देने के लिए मिलकर काम करना है, जहां कोई भी पीछे न छूटे। बिस्वा बांग्ला कन्वेंशन सेंटर में वित्तीय समावेशन के लिए वैश्विक भागीदारी पर जी-20 कार्य समूह की पहली बैठक के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए, श्री मुंडा ने सभी वर्गों के न्यायसंगत और समान विकास की आवश्यकता पर जोर दिया। राज्य के विभिन्न कोनों से 1,800 से अधिक छात्रों की एक सभा को संबोधित करते हुए, केंद्रीय मंत्री ने भारत के ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के दृष्टिकोण के बारे में चर्चा करते हुए कहा, हम एक ऐसे मानव केंद्रित वैश्वीकरण के लिए प्रयास करते हैं, जहां कोई भी पीछे न छूटे। श्री मुंडा ने कहा, वित्तीय समावेशन की प्रक्रिया मुद्रा प्रबंधन का मार्ग प्रशस्त करती है, जो बचत क्षमता को बढ़ाती है, जिससे सामाजिक सुरक्षा और गुणवत्तापूर्ण जीवन सुनिश्चित होता है। उन्होंने छात्रों से उचित तरीके से वित्तीय साक्षरता प्राप्त करने का आग्रह किया, ताकि वे आने वाले समय में किसी प्रकार ठगे न जाएं। उन्होंने वैश्वीकरण की अवधारणा के पक्ष में भी बात की, जहां कोई भी पीछे न छूटे।
जनजातीय कार्य मंत्री ने भारत को ब्रिटिश अत्याचार की बेड़ियों से मुक्त करने और देश को चमकने में मदद करने के लिए हमारे पूर्वजों के बलिदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, जब देश की आजादी के 100 साल (अमृतकाल) हो जाएं, तब कोई मतभेद नहीं होने चाहिए। उन्होंने कहा कि जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करना हमारे देश के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है, जो वैश्विक जीडीपी के लगभग 85 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करने वाले अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है।
इससे पहले, अन्य जी-20 देशों के प्रतिनिधियों और केंद्रीय वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग व भारतीय रिजर्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में जी-20 कार्यकारी समूह की बैठक को संबोधित करते हुए, श्री मुंडा ने कहा कि भारत में उपभोक्ताओं को आकर्षित करने और बदले में बाजारों को पर्यावरण के प्रति सचेत कार्यप्रणालियों को अपनाने के लिए समृद्ध प्राचीन स्थायी परंपराएं हैं। उन्होंने कहा, पिछले कई सालों में हमने अपनी धरती और पर्यावरण को नष्ट कर दिया है। इसका हमारे जलवायु और इकोसिस्टम पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। इकोसिस्टम की सुरक्षा के लिए एक वैश्विक दृष्टिकोण होना चाहिए, नहीं तो हम सभी एक साथ डूब जाएंगे।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के बारे में चर्चा करते हुए और महिला सशक्तिकरण के उज्जवल पक्षों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, श्री मुंडा ने कहा कि यह दुनिया के लिए महिलाओं के विकास से लेकर महिलाओं के नेतृत्व में विकास पर ध्यान केंद्रित करने का समय है।
केंद्रीय मंत्री ने लोगों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए वित्तीय समावेशन की आवश्यकता पर भी जोर देते हुए कहा कि यह हमारी विकास रणनीति का आधार है, तथा अंतिम छोर और गरीब से गरीब व्यक्ति तक वित्तीय सेवाएं प्रदान करना शुरू से ही भारत सरकार की प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक रहा है।