16 साल बाद जेल से रिहा हुए बाहुबली आनंद मोहन,सक्रिय राजनीति में आने की चर्चा

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समग्र समाचार सेवा
पटना, 27अप्रैल। बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह 16 साल बाद जेल से रिहा हो गया है। सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद वह आज सुबह 4.30 बजे जेल से बाहर आया। बता दें कि गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैय्या की हत्या के मामले में उन्हें उम्रकैद हुई थी। हाल ही में नीतीश सरकार ने जेल नियमों में बदलाव कर उनकी रिहाई का आदेश जारी किया था। जेल से निकलने के बाद आनंद मोहन के सक्रिय राजनीति में आने की चर्चा है। 2024 में उनके चुनाव लड़ने की अटकलें भी लगाई जा रही हैं। हालांकि अभी तक उन्होंने इस बारे में कोई खुलासा नहीं किया है।

शिवहर से पूर्व सांसद आनंद मोहन के बेटे चेतन की 3 मई को शादी है। वह देहरादून में डॉक्टर आयुषी सिंह के साथ सात फेरे लेंगे। चेतन आनंद अभी शिवहर से आरजेडी के विधायक हैं। 24 अप्रैल को चेतन और आयुषी की रिंग सेरेमनी थी। पटना में हुए इस समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी शामिल हुए थे। जेल से रिहाई के बाद आनंद मोहन अपने बेटे की शादी की तैयारियों में जुटेंगे। इसके बाद आगे की रणनीति बनाएंगे।

बाहुबली आनंद मोहन की जेल से रिहाई की टाइमिंग अपने आप में बहुत कुछ कह रही है। वे अब फिर से राजनीति में अपना दमखम दिखाने के लिए तैयार हैं। चर्चा है कि आनंद मोहन ने 2024 में लोकसभा का चुनाव लड़ने की प्लानिंग कर दी है। कोसी क्षेत्र में उनका खासा प्रभाव है। सवर्ण और खासकर राजपूत वोटबैंक पर उनकी अच्छी पकड़ है। ऐसे में वे आगामी आम चुनाव में बड़ा फैक्टर साबित हो सकते हैं।

दो दिन पहले मीडिया से बातचीत में आनंद मोहन से उनकी अगली रणनीति के बारे में सवाल किया गया। इस पर उन्होंने कहा कि वे जेल से छूटकर अपने साथियों से मुलाकात करेंगे। उनकी राय लेने के बाद ही आगे का फैसला करेंगे। हालांकि, इस दौरान उन्होंने चुनावी राजनीति में जाने के संकेत जरूर दिए। कयास लगाए जा रहे हैं कि आनंद मोहन नीतीश कुमार की जेडीयू या लालू यादव की आरजेडी में शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा उनके द्वारा नई पार्टी बनाने की भी चर्चा हो रही है। जब आनंद मोहन से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह अपने साथियों से बात करके इस पर फैसला लेंगे।

बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार की अहम भूमिका है। राज्य सरकार ने कारा नियमों में बदलाव किया, जिसके बाद ही उनकी रिहाई हो पाई है। आनंद मोहन इसे लेकर सीएम नीतीश का आभार भी जता चुके हैं। राजनीतिक जानकारों की मानें तो 2024 में राजपूत वोटरों को महागठबंधन के पक्ष में एकजुट करने पर नीतीश और तेजस्वी की नजर टिकी है। आनंद मोहन की रिहाई इसी रणनीति का हिस्सा है। बिहार में राजपूत आबादी करीब 5.2 फीसदी है। आनंद मोहन की राजपूत समाज में अच्छी पकड़ है। भले ही वे बाहुबली हैं लेकिन उन्हें रिहा करने से राजपूत वोटरों के बीच सहानुभूति फैक्टर काम कर सकता है। ऐसे में अगर आनंद मोहन महागठबंधन में रहकर चुनाव लड़ते हैं तो इसका फायदा जेडीयू-आरजेडी को मिलना लाजमी है।

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