समग्र समाचार सेवा
मुंबई, 13 जून।राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सुप्रीमो शरद पवार ने सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाने की घोषणा की है। यह घोषणा ऐसे सयम में हुई है जब अजीत पवार के नेतृत्व वाले एक असंतुष्ट गुट के भाजपा से हाथ मिलाने के लिए पार्टी से अलग होने की तैयारी की अटकलें लग रही हैं। महाराष्ट्र के सियासी हलकों में नए पदों की घोषणा को उनके भतीजे अजित पवार की अनदेखी के तौर पर देखा जा रहा है।
शरद पवार की घोषणा के क्या हैं मायने?
1 मई 2023 को एनसीपी प्रमुख के द्वारा अपने पद से इस्तीफा देने के बाद सियासी सरगर्मी तेज हो चुकी थी। शरद पवार ने स्पष्ट किया कि वह जल्द ही पार्टी की दैनिक दिनचर्या से दूरी बनाने के लिए नए लोगों को जिम्मेदारी सौंपेंगे। शरद पवार ने पार्टी कैडर को स्पष्ट संदेश दिया है कि उनकी बेटी पार्टी की अगली उत्तराधिकारी होंगी। सुप्रिया को महाराष्ट्र, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों की भी जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं।
शरद पवार ने वरिष्ठ नेता और सांसद प्रफुल्ल पटेल और अनिल तटकरे को नई जिम्मेदारी देकर अजीत पवार के नेतृत्व वाले असंतुष्ट गुट के साथ संतुलन बनाने की भी कोशिश की है। हालांकि पहली बार प्रफुल्ल पटेल को मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, गोवा और झारखंड जैसे राज्यों का प्रभारी बनाकर महाराष्ट्र से दूर रखा गया है। तटकरे को ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों का काम सौंपा गया है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सुप्रिया सुले को पार्टी के राष्ट्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है। नियुक्तियों के संबंध में निर्णय लेने और चुनाव के दौरान पार्टी की रणनीति की योजना बनाने की शक्ति उनके पास ही होगी।
पवार की घोषणा से अजित पवार पर क्या असर?
महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा से अजीत पवार की नजदीकी की अटकलें लगाई जाती रहती है। ऐसा माना जाता है कि एनसीपी नेता महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री और प्रदेश का नेतृत्व करने की इच्छा रखते हैं। हालांकि, शरद पवार द्वारा की गई घोषणाओं में शरद पवार के लिए कोई नई या महत्वपूर्ण जगह नहीं थी। 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले अजीत पवार ने सभी को चौंका दिया था। इसके बाद से ही उनके अपने चाचा से अलग होकर भाजपा में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थीं। एनसीपी सूत्रों के मुताबिक शरद पवार द्वारा सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को पार्टी में सेकंड-इन-कमांड नियुक्त करने का फैसला एक मजबूत संदेश देता है कि वह अपने निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं।
सुप्रिया आगे बढ़ पाएंगी?
हालांकि यह माना जाता है कि अजीत पवार को पार्टी के अधिकांश विधायकों का समर्थन प्राप्त है। सुप्रिया सुले की कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति से पार्टी कैडर के बीच स्पष्ट संकेत देने की कोशिश की गई है। भले ही सुप्रिया सुले को मुंबई और दिल्ली के संपन्न वर्गों में पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाली शख्सियत के रूप में देखा जाता है, लेकिन उनकी नई स्थिति उन्हें बारामती के अपने निर्वाचन क्षेत्र से परे राज्य भर में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ जुड़ने का मौका देगी।