सबका साथ, सबका प्रयास लाल रक्त कोशिका रोग के प्रसार को रोक सकता है: डॉ. मनसुख मांडविया
प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के शहडोल में राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया मुक्ति मिशन का किया शुभारंभ
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 02जुलाई। माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि लाल रक्त कोशिका रोग एक ऐसी बीमारी है, जो समाज के जनजातीय समुदायों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती है। उन्होंने मध्य प्रदेश के शहडोल में राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन (एनएससीईएम) का शुभारंभ करते हुए यह बात कही। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार वर्ष 2047 में भारत के अमृत काल का उत्सव मनाने से पहले इस बीमारी को समाप्त करने के प्रति वचनबद्ध है। इस कार्यक्रम में उद्घाटन अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया, मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रविण पवार, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रो. एस पी सिंह बघेल, केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री रेणुका सिंह सरुता और केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टूडू भी उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि आज शहडोल में एक मील का पत्थर स्थापित हुआ है, क्योंकि राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन की पहल और आयुष्मान भारत कार्ड के वितरण के साथ देश जनजातीय समुदायों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के नजदीक आ गया है। प्रधानमंत्री ने बताया कि वे गुजरात के मुख्यमंत्री बनने से पहले से ही जनजातीय समुदायों के साथ काम कर रहे हैं और इस रोग के मानव शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव को समझते हैं।
प्रधानमंत्री ने इस बीमारी को समाप्त करने के लिए सभी को योगदान देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि चाहे सरकार हो, स्वास्थ्य कार्यकर्ता हो या स्वयं नागरिक हों, हर किसी को प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया मुक्ति मिशन लाल रुधिर कोशिका रक्तहीनता से निपटने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाता है क्योंकि इस बीमारी का असर केवल रोगी पर नहीं, बल्कि पूरे परिवार पर पड़ता है। राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया मुक्ति मिशन इस रोग के बारे में जानकारी को बढ़ावा देने के साथ-साथ प्रारंभिक पहचान और इसका उपचार सुनिश्चित करने के लिए जांच व जागरूकता जैसी रणनीतियों को जोड़ती है। इसकी आवश्यकता इसलिए भी है क्योंकि अधिकांश लोगों को यह पता नहीं होता है, वे इस बीमारी से पीड़ित हैं। ऐसी स्थिति में वे अनजाने में लाल रुधिर कोशिका रक्तहीनता रोग को अगली पीढ़ी में स्थानांतरित कर सकते हैं, इसलिए जांच की भूमिका और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर देश में बीमारियों के प्रभाव को कम करने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयासों पर उल्लेख किया। उन्होंने प्रमुख लक्ष्यों के बारे बताया चाहे वह कालाजार की संख्या को 2013 में 11,000 से घटाकर आज 1000 से कम करना हो, या मलेरिया के मामलों को 2013 में 10 लाख से घटाकर आज 2 लाख करना हो। प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि इसी तरह से कुष्ठ रोग के मामले भी सवा लाख से घटकर 70-75 हजार रह गये हैं। इस दौरान उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे उनकी सरकार 2025 तक तपेदिक के प्रसार को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये सिर्फ संख्याएं नहीं हैं, क्योंकि जब बीमारियों का असर कम होता है, तो लोगों को जो दर्द, संघर्ष, डर और मौत का सामना करना पड़ता है, वह भी कम हो जाता है।
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया मुक्ति मिशन की शुरुआत करने के साथ ही सिकल सेल एनीमिया मुक्ति मिशन के लिए दिशानिर्देश भी जारी किए। उन्होंने चिकित्सा अधिकारियों, स्टाफ नर्सों, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों, सहायक नर्स व प्रसव में सहायता देने वाली दाई एवं मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता कार्यकर्ताओं सहित प्राथमिक, माध्यमिक तथा तृतीयक स्तर पर देखभाल के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल भी लॉन्च किया। उन्होंने गैर-स्वास्थ्य कर्मियों, माता-पिता एवं शिक्षकों के लिए लाल रुधिर कोशिका रक्तहीनता रोग के लिए एक जागरूकता मॉड्यूल और साथ ही रोगियों, देखभाल करने वालों तथा गर्भवती महिलाओं के लिए एक परामर्श मॉड्यूल भी जारी किया।
प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान लाभार्थियों को सिकल सेल जेनेटिक स्टेटस कार्ड भी सौंपे। उन्होंने आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) के लाभार्थियों को लगभग 3.57 करोड़ डिजिटल कार्डों के वितरण कार्य का भी शुभारंभ किया, जिसमें मध्य प्रदेश में लाभार्थियों को 1 करोड़ कार्ड सामने से वितरित किए गए।
डॉ. मनसुख मांडविया कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और जनजातीय कार्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया मुक्ति मिशन यह सुनिश्चित करने के लिए विकसित किया गया था कि हमारे जनजातीय समुदायों के सामने आने वाले स्वास्थ्य जोखिम कम हो जाएं।
डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया मुक्ति मिशन लाल रुधिर कोशिका रक्तहीनता रोगों के प्रसार को खत्म करने के सरकार के इरादे और दृढ़ संकल्प को दर्शाता है। उन्होंने बताया कि भारत के 278 जिलों में, इस बीमारी को और फैलने से रोकने के लिए 0-40 वर्ष के बीच के लोगों की जांच की जाएगी। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि चूंकि लाल रुधिर कोशिका रक्तहीनता रोग का प्रसार प्रकृति में आनुवंशिक है, इसलिए आवश्यक है कि उच्च जोखिम वाले राज्यों के लोगों को विवाह से पूर्व सिकल सेल जेनेटिक स्टेटस कार्ड का मिलान करना चाहिए, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह बीमारी अगली पीढ़ी में स्थानांतरित न होने पाए। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए समाज की भूमिका आवश्यक है और “सबका साथ, सबका प्रयास लाल रुधिर कोशिका रक्तहीनता रोगों के प्रसार को रोक सकता है।“
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने वितरित किए गए आयुष्मान भारत-पीएमजेएवाई कार्डों के बारे में कहा कि पहले केवल अमीर लोग ही गुणवत्तापूर्ण उपचार प्राप्त कर सकते थे, लेकिन अब स्वास्थ्य देखभाल में समानता है और गरीब व्यक्ति भी धनवान लोगों की तरह ही गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य देखभाल बिना खर्च के डर के प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने अपनी टिप्पणी में कहा कि आज 25,000 गांवों में आयुष्मान ग्राम सभा का शुभारंभ गरीबों के लिए सस्ती एवं गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल के बारे में जागरूकता पैदा करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया मुक्ति मिशन के बारे में जानकारी:
केंद्रीय बजट 2023 में पेश किया गया राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया मुक्ति मिशन विशेष रूप से देश की जनजातीय आबादी के बीच लाल रुधिर कोशिका रक्तहीनता रोग से उत्पन्न महत्वपूर्ण स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने पर केंद्रित है। लाल रुधिर कोशिका रक्तहीनता रोग (एससीडी) एक क्रोनिक एकल जीन विकार है जो क्रोनिक एनीमिया, तीव्र दर्दनाक विकार, शरीर के अंदरूनी अंग क्षतिग्रस्त होने तथा जीवन प्रत्याशा में महत्वपूर्ण कमी वाले प्रणालीगत सिंड्रोम का कारण बनता है। देश भर के 17 उच्च-जोखिम वाले राज्यों में कार्यान्वित इस कार्यक्रम का उद्देश्य रोग की व्यापकता को कम करते हुए सभी लाल रुधिर कोशिका रक्तहीनता रोग बीमारों की देखभाल और संभावनाओं में सुधार करना है। ये 17 राज्य गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, असम, उत्तर प्रदेश, केरल, बिहार और उत्तराखंड हैं।
इस कार्यक्रम को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के हिस्से के रूप में एक मिशन मोड में क्रियान्वित किया जा रहा है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2047 तक लाल रुधिर कोशिका रक्तहीनता रोग के आनुवंशिक प्रसार को खत्म करना है, जो इस बीमारी को समाप्त करने के लिए दीर्घकालिक प्रतिबद्धता दर्शाता है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 से 2025-26 तक तीन वर्षों की अवधि में इस कार्यक्रम का लक्ष्य लगभग 7.0 करोड़ लोगों की जांच करना है। यह महत्वाकांक्षी लक्ष्य आबादी के एक बड़े हिस्से तक पहुंचने, शीघ्र निदान और बचाव को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम के समर्पण को उजागर करता है।