सरकारी योजनाओं की बदौलत 13.5 करोड़ लोग गरीबी की बेड़ियां तोड़कर नए मध्यम वर्ग से जुड़ने में सक्षम बने: प्रधानमंत्री

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली ,16अगस्त। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से बोलते हुए याद दिलाया कि भारत की विश्व रैंकिंग 2014 में 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से सुधर कर आज 2023 में 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह वृद्धि भ्रष्टाचार से लड़ने, सरकारी लाभ के हस्तांतरण में लीकेज को रोकने और एक मजबूत अर्थव्यवस्था के निर्माण और गरीबों के कल्याण के लिए सार्वजनिक धन व्यय करने के कारण हुई है। उन्होंने कहा, “मैं आज देशवासियों से कहना चाहता हूं कि जब देश आर्थिक रूप से समृद्ध होता है, तो इससे केवल राजकोष ही नहीं भरता; यह नागरिकों और राष्ट्र की क्षमता का निर्माण भी करता है। यदि ऐसी कोई सरकार है जो अपने नागरिकों के कल्याण के लिए इसे ईमानदारी से व्यय करने का संकल्प लेती है, तभी ऐसे दुर्लभ प्रगतिशील परिणाम अर्जित किये जा सकते हैं।

केंद्र से राज्यों को फंड का हस्तांतरण 30 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 100 लाख करोड़ रुपये हुआ
पिछले 10 साल में हुई प्रगति का लेखा-जोखा देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ये आंकड़े बदलाव की शानदार कहानी कहते हैं। पिछले 10 साल में हुई प्रगति का लेखा-जोखा देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ये आंकड़े बदलाव की शानदार कहानी कहते हैं। इस बात पर जोर देते हुए कि बदलाव बहुत व्यापक है और राष्ट्र की विशाल क्षमता का प्रमाण है, प्रधानमंत्री ने कहा कि 10 साल पहले, भारत सरकार से 30 लाख करोड़ रुपये राज्यों को दिए जाते थे। प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछले 9 साल में ये आंकड़ा 100 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। उन्होंने बताया, “पहले स्थानीय निकायों के विकास के लिए भारत सरकार के राजकोष से 70 हजार करोड़ रुपये व्यय होते थे, आज यह राशि 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।”

गरीबों के लिए आवास में चार गुना वृद्धि, किसानों के लिए 10 लाख करोड़ रुपये की यूरिया सब्सिडी
प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को बताया कि पहले गरीबों के आवास बनाने में 90 हजार करोड़ रुपये खर्च होते थे; आज यह राशि 4 गुना बढ़ गयी है और गरीबों के आवास बनाने के लिए अब 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक व्यय किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने बताया कि कुछ वैश्विक बाजारों में किसानों को यूरिया की जो बोरियां 3,000 रुपये रुपये में बेची जाती हैं उन्हें हम अपने किसानों को 300 रुपये में उपलब्ध कराते हैं और इस प्रकार सरकार हमारे किसानों के लिए यूरिया पर 10 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी प्रदान कर रही है।”

मुद्रा योजना ने लगभग 10 करोड़ नागरिकों को रोजगार सृजनकर्ता बनने में सक्षम बनाया है
प्रधानमंत्री ने बताया कि मुद्रा योजना ने करोड़ों नागरिकों को उद्यमी बनने और इस तरह दूसरों के लिए रोजगार सृजनकर्ता बनने में भी सक्षम बनाया है।प्रधानमंत्री ने कहा, “20 लाख करोड़ रुपये से अधिक के बजट वाली मुद्रा योजना ने हमारे देश के युवाओं के लिए स्वरोजगार, व्यवसाय और उद्यम के अवसर प्रदान किए हैं। लगभग आठ करोड़ लोगों ने नए व्यवसाय आरंभ किए हैं, और ऐसे सिर्फ आठ करोड़ लोग ही नहीं हैं जिन्होंने अपना व्यवसाय शुरू किया है; प्रत्येक उद्यमी ने एक या दो व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध कराया है। मुद्रा योजना का लाभ आठ करोड़ नागरिकों को मिलने से 8-10 करोड़ नए लोगों को रोजगार देने की क्षमता हासिल हुई है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान व्यवसायों को भी सहायता प्रदान की गई, जिसमें एमएसएमई को लगभग 3.5 लाख करोड़ रुपये की सहायता दी गयी, उन्हें डूबने से बचाया गया और उन्हें शक्ति प्रदान की गई।

प्रधानमंत्री ने यह भी स्मरण किया कि कैसे “वन रैंक वन पेंशन” पहल ने हमारे सैनिकों को सम्मान के रूप में भारत के राजकोष से 70,000 करोड़ रुपये का लाभ पहुंचाया। उन्होंने कहा, यह पैसा हमारे सेवानिवृत्त सैनिकों के परिवारजनों को मिला है।

प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि ये महज कुछ उदाहरण हैं तथा कई और पहल भी हैं जिन्होंने देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिससे देश के विभिन्न हिस्सों में रोजगार सृजित हुआ है। प्रधानमंत्री ने देश को स्मरण दिलाया कि पहले के वर्षों की तुलना में, देश का बजट सभी श्रेणियों में कई गुना बढ़ाया गया है।

“13.5 करोड़ लोग गरीबी की बेड़ियों को तोड़कर नए मध्यम वर्ग में प्रवेश कर चुके हैं”
प्रधानमंत्री ने बताया कि इन सभी प्रयासों के परिणामस्वरूप, सरकार के पांच साल के एक कार्यकाल के दौरान 13.5 करोड़ निर्धन लोग गरीबी की बेड़ियों से मुक्त होकर नए मध्यम वर्ग में प्रवेश कर चुके हैं। प्रधानमंत्री ने बताया कि जीवन में इससे बड़ी कोई संतुष्टि नहीं हो सकती। प्रधानमंत्री ने कहा कि आवास योजनाओं से लेकर प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के माध्यम से रेहड़ी-पटरी वालों के लिए 50,000 करोड़ रुपये का प्रावधान और ऐसी कई अन्य योजनाओं ने इन 13.5 करोड़ लोगों को गरीबी की कठिनाइयों से ऊपर उठने में सहायता की है।

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