रक्षा क्षेत्र को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने की दिशा में पिछले नौ वर्षों में काफी प्रगति हुई है; सशस्त्र बलों के पास ज्यादातर हथियार भारत में निर्मित हैं: राजनाथ सिंह

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 20अगस्त। पिछले नौ वर्षों में रक्षा क्षेत्र ने आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में काफी प्रगति की है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के प्रयासों के कारण, सशस्त्र बलों द्वारा उपयोग किए जा रहे अधिकांश हथियार भारत में निर्मित हैं । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यह बात नई दिल्ली में एक निजी टीवी समाचार चैनल द्वारा आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान कही ।

राजनाथ सिंह ने ‘आत्मनिर्भरता’ के महत्व को बताते हुए कहा, ”आत्मनिर्भरता प्राप्त किए बगैर हम अपने राष्ट्रीय हितों के अनुरूप वैश्विक मुद्दों पर स्वतंत्र निर्णय नहीं ले सकते। रक्षा उपकरणों के आयात पर निर्भरता भारत की सामरिक/ रणनीतिक स्वायत्तता में बाधक है । आयात व्यापार संतुलन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है जो हमारी अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक है । आत्मनिर्भरता न केवल हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूत करती है, बल्कि रोजगार के अवसरों को भी काफी बढ़ाती है ।”

रक्षा मंत्री ने ‘आत्मनिर्भरता’ प्राप्ति की दिशा में रक्षा मंत्रालय द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों का हवाला भी दिया । इनमें आठ सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियां जारी करना शामिल है – चार सूचियां सैन्य मामलों के विभाग जिनमें सशस्त्र बलों के लिए 410 हथियार और प्लेटफॉर्म शामिल हैं, साथ ही रक्षा उत्पादन विभाग द्वारा रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (डीपीएसयू) के लिए 4,666 रक्षा उपकरणों वाली चार अन्य सूचियां भी शामिल हैं। सरकार ने इन वस्तुओं के आयात पर रोक लगाने के साथ ही भारत में ही इनके निर्माण पर जोर दिया है । राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि ‘न्यू इंडिया’ स्वदेशी तौर पर आईएनएस विक्रांत, हल्के लड़ाकू विमान तेजस जैसे विमानवाहक पोत बना रहा है और देश अब हर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है।

भारत की जी-20 की अध्यक्षता पर राजनाथ सिंह ने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भारत के बढ़ते कद को दर्शाता है । उन्होंने विदेश नीति में भारत के दृष्टिकोण को गुट-निरपेक्ष से बहुपक्षीयता में बदलाव के बारे में बात की । उन्होंने कहा, “हम गुटनिरपेक्षता में विश्वास नहीं करते हैं। हम मुद्दों पर आधारित बहुपक्षीयता में विश्वास करते हैं । आज हमारी सोच पलायनवादी नहीं, बल्कि इसके स्थान पर सक्रिय और व्यावहारिक है । निर्णय लेते समय अब ​​हम राष्ट्रहित से निर्देशित होते हैं । हम बिना किसी दबाव के फैसले ले रहे हैं ।”

रक्षा मंत्री ने बताया कि सरकार के प्रयासों के कारण, भारत अब शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और आने वाले वर्षों में यह शीर्ष तीन में शामिल होकर पांच ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा। उन्होंने कहा, “60 और 70 के दशक में भारत की कम आर्थिक विकास दर का मज़ाक उड़ाया जाता था । आज, हम दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था हैं। ”

राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार ने दृढ़ता से गरीबी का मुकाबला किया है, जिसके कारण नीति आयोग के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में 13.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर आ गए हैं । उन्होंने कहा कि विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष सहित विश्व निकायों ने गरीबी उन्मूलन की दिशा में सरकार के प्रयासों की सराहना की है । उन्होंने कहा कि निवेश फर्म मॉर्गन स्टेनली ने फ्रैजाइल फाइव की श्रेणी से अब भारत को फैबुलस फाइव के समूह में रखा है।

रक्षा मंत्री ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र पर जोर देकर कहा कि सरकार ने देश के दो सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों पर पर्याप्त ध्यान दिया है । उन्होंने कहा, “हमने देश भर में लगभग 400 नए विश्वविद्यालय स्थापित करने के अलावा सात नए आईआईटी और सात नए आईआईएम स्थापित किए हैं । हमने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लाकर शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन सुनिश्चित किया है । जहां देश में एम्स की संख्या 2014 की तुलना में तीन गुना हो गई है, वहीं आयुष्मान भारत योजना ने देश के 10 करोड़ परिवारों को सालाना 5 लाख रुपये तक का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया है ।”

पिछले नौ वर्षों में भारत में डिजिटल परिवर्तन पर प्रकाश डालते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, “दुनिया भर में सबसे अधिक डिजिटल लेनदेन हमारे देश में हो रहा है ।” वर्ष 2013-14 में लगभग 127 करोड़ डिजिटल लेनदेन हुए थे, जो 2022-23 में लगभग 100 गुना बढ़कर 12,735 करोड़ हो गए हैं ।

रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार की भ्रष्टाचार के प्रति सहनशीलता शून्य है तथा मनी लॉन्ड्रिंग एवं आम जनता के संसाधनों को लूटने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है ।

सरकार के दृष्टिकोण के बारे में विस्तार से बताते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘न्यू इंडिया’ आकांक्षी है जो अपने लिए बड़े लक्ष्य निर्धारित करता है । “देश अब यह स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है कि यह कमजोरों का देश है । नया भारत न गुलामी की मानसिकता रखता है, न गुलामी और कायरता की झूठी कहानी स्वीकार करता है । यह बहादुरी और देशभक्ति की सच्ची कहानी में विश्वास करता है । हम जिस नये भारत का निर्माण कर रहे हैं, उसमें सांस्कृतिक स्तर पर कोई हीन भावना नहीं है । इसे अपनी जड़ों पर गर्व है ।”

राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन का सारांश यह कहकर दिया कि ‘न्यू इंडिया’ का ढांचा तैयार हो चुका है और सरकार इसे एक मजबूत और दृढ़ इमारत में तब्दील करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा, “अगले 25 साल बहुत महत्वपूर्ण होंगे क्योंकि यही तय करेगा कि यह इमारत कितनी सुंदर और भव्य होगी । हम 2047 तक भारत को न केवल एक विकसित राष्ट्र बनाना चाहते हैं, बल्कि इसे सशक्त बनाकर इस यात्रा को पूरा भी करना चाहते हैं ।”

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