IPS संजय सिंह इंसानियत और काबलियत की मिसाल

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इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली पुलिस में स्पेशल कमिश्नर (लाइसेंसिंग और लीगल डिवीजन) संजय सिंह भारतीय पुलिस सेवा में अपनी 33 वर्ष की शानदार पारी सफलतापूर्वक पूर्ण करने के बाद आज सेवानिवृत्त हो गए।
आईपीएस के 1990 बैच के संजय सिंह ने अपनी पुलिस सेवा की शुरुआत उत्तर पश्चिम जिले में रोहिणी सब-डिवीजन के एसीपी के पद से की थी।
दिल्ली पुलिस में संजय सिंह पश्चिम जिले के एडिशनल डीसीपी, उत्तर पश्चिम जिले के डीसीपी,उत्तरी रेंज के संयुक्त आयुक्त, स्पेशल कमिश्नर मुख्यालय और दो बार स्पेशल कमिश्नर कानून एवं व्यवस्था के पद पर रहे है। इसके अलावा वह गोवा और अरुणाचल प्रदेश में भी तैनात रहे।
काबलियत-
पश्चिम जिले में एडिशनल डीसीपी के पद पर रहते हुए संजय सिंह ने तत्कालीन डीसीपी दीपक मिश्रा के नेतृत्व में हत्या और अपहरण के अनेक सनसनीखेज मामलों को सुलझाया।
एनकाउंटर-
पश्चिम उत्तर प्रदेश के कुख्यात बदमाश राजबीर रमाला और उसके साथी यूपी पुलिस के इंस्पेक्टर के दक्षिण दिल्ली के नटराज एंपोरियम में हुए कथित एनकाउंटर में भी संजय सिंह शामिल थे।
कैबरे पर छापा-
आनन्द पर्वत स्थित कुख्यात कमल कैबरे पर एडिशनल डीसीपी संजय सिंह के नेतृत्व में छापा मारा गया। कमल कैबरे का मालिक देवराज दीवान बाद में सोनीपत से विधायक बना‌।
पार्षद की हत्या में पार्षद गिरफ्तार-
उत्तर पश्चिम जिले के डीसीपी संजय सिंह के नेतृत्व में त्रि नगर क्षेत्र के कांग्रेस के निगम पार्षद आत्मा राम गुप्ता की हत्या की गुत्थी सुलझाई गई।
आत्मा राम गुप्ता की हत्या के आरोप में कांग्रेस की ही निगम पार्षद शारदा जैन को गिरफ्तार किया गया। कांग्रेस की ही पार्षद मेमवती बरवाला और आत्मा राम गुप्ता के संबंधों से नाराज शारदा जैन ने यह हत्या कराई थी। आत्मा राम गुप्ता को उत्तर प्रदेश में ले जा कर हत्या की गई।
बलि का बकरा-
साल 2019 में तीस हजारी अदालत परिसर में वकीलों ने पुलिस को पीटा, आगज़नी और तोडफ़ोड़ की।
इस मामले में संजय सिंह को बलि का बकरा बना दिया गया।
संजय सिंह को स्पेशल कमिश्नर कानून एवं व्यवस्था के पद से हटा दिया गया।
तत्कालीन पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक और उत्तर जिले की डीसीपी मोनिका भारद्वाज के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
हालांकि कुछ समय बाद संजय सिंह को स्पेशल कमिश्नर कानून एवं व्यवस्था के पद पर दोबारा तैनात कर दिया गया।
विवाद-
साल 2013 में गोवा में आईजी के पद पर तैनात रहते हुए एक विदेशी महिला को सरकारी कार देने के कारण हुए विवाद के कारण संजय सिंह का तबादला कर दिया गया था।

इंसानियत की मिसाल –
एक बार एक बहुत ही बुजुर्ग व्यक्ति अपनी किसी समस्या के लिए पुलिस मुख्यालय में संजय सिंह के पास आए। वह बुजुर्ग व्यक्ति शारीरिक रूप से बहुत ही कमजोर थे उनका शरीर कांप रहा था और वह ऊंचा सुनते थे।
उस समय यह पत्रकार भी वहां मौजूद था।
संजय सिंह ने उन बुजुर्ग की समस्या सुनी और तुरंत उत्तर पश्चिम जिले के संबंधित थाना के एसएचओ को उनकी समस्या का समाधान करने का निर्देश दिया।
इसके बाद संजय सिंह ने अपने मातहत पुलिसकर्मी को बुलाया और उन बुजुर्ग को उनके घर गाड़ी से भिजवाने की भी व्यवस्था की।

एक बार एक व्यक्ति संजय सिंह से मिलने आया और उन्हें उपहार में कमीज़ का कपड़ा दिया। संजय सिंह ने उस व्यक्ति के जाने के बाद अपने दफ़्तर में तैनात एक पुलिसकर्मी को बुलाया और वह कपड़ा उसे दे दिया।

नौकरी के शुरुआती दौर में पुलिसकर्मियों का बीमा करने के दौरान संपर्क में आए एलआईसी के रिटायर्ड अफसर आर के शर्मा के लकवा ग्रस्त/ गंभीर रूप से बीमार होने का पता चलने पर संजय सिंह उनके घर उनका पता लेने गए।
बच्ची का दाखिला-
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की एक बच्ची का संजय सिंह ने अशोक विहार के लायंस पब्लिक स्कूल में ईडब्ल्यूएस कैटगरी में दाखिला कराया।
यह कुछ मामले है जिनका यह पत्रकार गवाह रहा है।
इन मामलों से संजय सिंह की इंसानियत और उनके संवेदनशील होने का पता चलता है।

दिल्ली पुलिस में स्पेशल कमिश्नर संजय सिंह को भारतीय पुलिस सेवा में अपनी शानदार पारी सफलतापूर्वक पूर्ण करने के लिए बधाई।
संजय सिंह को जीवन की नई पारी के लिए हार्दिक शुभकामनाएं।

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