भाजपा फिर बहुमत की तरफ, शिवराज सबसे जनप्रिय नेता

दस दिनों में तीन ओपिनियन पोल, तीनो में पार्टी को बहुमत, भरोसेमंद चेहरा अभी भी शिवराज

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नितिनमोहन शर्मा।
जगत मामा यानी शिवराज भैय्या ही मध्यप्रदेश भाजपा के इकलौते खेवनहार साबित हो रहें हैं। उन्ही के दम पर भाजपा मध्यप्रदेश की सत्ता के एक बार फिर लौट रही हैं। वह भी पूर्ण बहुमत के साथ। 140 सीट के आसपास तक। 18 साल की सत्ता के बाद आज भी प्रदेश की राजनीति में शिवराज सिंह चौहान ही जनता के बीच सबसे भरोसेमंद चेहरा बने हुए हैं और पार्टी में भी। महिलाओ और आदिवासियों में शिवराज की लोकप्रियता का कोई सानी नही। शिवराज सिंह की लाड़ली बहना योजना और पैसा एक्ट एक तरह से गेम चेंजर साबित हो रहें हैं। अमित शाह की रणनीति ने भी मामा की राह आसान कर दी।

ये कहना है उन ओपीनियन पोल का जो प्रदेश में दस दिन में तीन हो गए। तीनो पोल में भाजपा को बहुमत और शिवराज को सबसे जनप्रिय नेता करार दिया हैं। उन्हें प्रदेश की पूरी राजनीति का सबसे भरोसेमंद चेहरा भी मुक़र्रर किया हैं। ओपिनियन पोल तो भाजपा को 140 सीट तक दे रहें हैं और ये भी कह रहे है कि 18 साल की सत्ता के बाद भी शिवराज के प्रति व्यवस्था विरोधी माहौल नही हैं।

ताज़ा ओपिनियन पोल ने बदलाव की बातों को एकदम से जमीदोज कर दिया है। यदि आज चुनाव हो जाए तो भाजपा को स्पष्ट बहुमत से ज्यादा ही सीटें मिलेगी। मुख्यमंत्री के लिए अभी भी जनता की पहली पसंद शिवराज ही हैं। साठ फीसदी से ज्यादा मतदाता शिवराज के पक्ष में हैं। तीनों ही सर्वे में लाड़ली बहना और पेसा एक्ट को गेम चेंजर बताया गया है।

पिछले दस दिनों में जो सर्वे आये हैं, उनमे आईएनएस, आईबीसी 24 और पोलस्टर का ओपिनियन पोल हैं। आईएनएस ने भाजपा को 120 सीट दे रहा है। आईबीसी 24 का पोल भाजपा को बहुमत से बहुत आगे ले जा रहा है। पोलस्टर के ओपिनियन पोल में भाजपा को 146 कांग्रेस को 81 सीट का अनुमान हैं।
एक अन्य ओपिनियन पोल भाजपा को 131 से 146 जबकि कांग्रेस को 66 से 81 सीटें मिलने का अनुमान है। पोल में 58.3 फ़ीसदी जनता ने शिवराज सरकार के कामकाज को बेहतर माना जबकि कमलनाथ सरकार को केवल 41.7 फ़ीसदी जनता का समर्थन मिला।

कमलनाथ से बहुत आगे शिवराज
तीनों ही ओपिनियन पोल में मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे पसंदीदा चेहरा शिवराज ही हैं। दो महीने पहले तक चल रही एंटी इंकम्बैंसी और चेहरा बदलने की बात को भी इस पोल ने ख़ारिज किया है। पोल में शिवराज को 60.2 फ़ीसदी जनता का समर्थन जबकि कमलनाथ के पक्ष में महज़ 39.8 फ़ीसदी लोग।

बहनों-आदिवासियों का वोट पक्ष में
शिवराज सरकार की महत्वाकांक्षी लाड़ली लक्ष्मी योजना को 43.8 फ़ीसदी जनता का समर्थन मिला।ओपिनियन पोल के मुताबिक़ 38.4 फ़ीसदी लोगों ने माना कि पेसा क़ानून से आदिवासी समाज को बहुत लाभ हुआ है जबकि 43.2 फ़ीसदी लोगों के मुताबिक़ इस क़ानून से कुछ हद तक लाभ मिला है। 18 साल सत्ता के बावजूद एंटी इंकम्बैंसी न होना राजनीति विज्ञान के छात्रों के लिए शोध का विषय भी हो सकता है।

विधायकों से नाराजगी, शिवराज पसंद
सर्वे में जो सबसे दिलचस्प बात सामने आई वो ये है कि एंटी इंकम्बैंसी है, पर वो शिवराज के खिलाफ नहीं। भाजपा के विधायकों के प्रति है। जनता ये मानती है कि शिवराज तो अच्छे हैं। भाजपा ऐसे अलोकप्रिय विधायकों की सूची बनाकर उनके टिकट पर विचार कर ही रही है। नए चेहरे पार्टी को सत्ता में ला रहें हैं। शिवराज भी अपनी सभाओं में ये कहकर कि -अपने भाई पर भरोसा रखना। जनता के नाराजगी दूर करने की कोशिश कर रहे है। वे न केवल अपने विधायकों, बल्कि सिंधिया गुट से आये नेताओ को भी बखुबी साधकर चल रहे हैं।

शाह की रणनीति ने बदले समीकरण
भाजपा ने प्रदेश में जिस ढंग से अपने विरोधियों को सोचने पर मजबूर किया है, उसके पीछे राजनीति के चाणक्य का दिमाग है। केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने लगातार बैठकें करके प्रदेश के संगठन को खड़ा किया। सारे वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी। उसके बाद भाजपा ने रफ़्तार पकड़ी है। शाह के मध्यप्रदेश में कदम रखते ही विपक्षी खेमे का पस्त होना शुरू हुआ। आज की तारीख में कांग्रेस बैकफुट पर जाती दिख रही है। 39 उम्मीदवारों की पहली सूची मैदान में फेंककर शाह ने कांग्रेस खेमे में सन्नाटा पसरा दिया। महीनाभर होने आया भाजपा की पहली सूची को लेकिन कांग्रेस की अब तक नदारद है जबकि दावा इस बार कांग्रेस ने जल्द टिकट घोषित करने का किया था।

 

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