समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 27अक्टूबर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज मध्य प्रदेश के चित्रकूट में स्वर्गीय अरविंद भाई मफतलाल के जन्मशती वर्ष के अवसर पर आयोजित समारोहों को संबोधित किया। श्री सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट की स्थापना 1968 में परम पूज्य रणछोड़दासजी महाराज ने की थी। अरविंद भाई मफतलाल परम पूज्य रणछोड़दासजी महाराज से प्रेरित थे और उन्होंने ट्रस्ट की स्थापना में अहम भूमिका निभाई। श्री अरविंद भाई मफतलाल स्वतंत्रता के बाद भारत के अग्रणी उद्यमियों में से एक थे, जिन्होंने देश की विकास गाथा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की कि संतों ने चित्रकूट की दिव्य भूमि को भगवान राम, देवी सीता और भगवान लक्ष्मण का निवास स्थान बताया है। मोदी ने कुछ देर पहले श्री रघुबीर मंदिर और श्री राम जानकी मंदिर में दर्शन और पूजा करने का जिक्र किया। उन्होंने हेलीकॉप्टर से चित्रकूट जाते समय कामदगिरि पर्वत पर श्रद्धा अर्पित करने और परम पूज्य रणछोड़दासजी महाराज की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर श्री राम और जानकी के दर्शन, संतों के मार्गदर्शन और श्री राम संस्कृत महाविद्यालय के छात्रों के उल्लेखनीय प्रदर्शन पर अपार संतोष व्यक्त किया और कहा कि यह अनुभव अभिभूत करने वाला है और शब्दों में इसका वर्णन नहीं किया जा सकता। उन्होंने श्री सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट को स्वर्गीय अरविंद भाई मफतलाल के जन्मशती समारोह के आयोजन के लिए सभी पीड़ितों, वंचितों, आदिवासियों और गरीबों की ओर से धन्यवाद दिया। मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि जानकीकुंड चिकित्सालय की नव उद्घाटन शाखा लाखों गरीबों को नया जीवन देगी और गरीबों की सेवा का कार्य आने वाले समय में और अधिक ऊंचाई तक पहुंचेगा। उन्होंने स्वर्गीय अरविंद भाई मफतलाल के सम्मान में एक स्मारक डाक टिकट जारी करने का भी उल्लेख किया जो बेहद संतुष्टि और गर्व का क्षण है।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि अरविंद मफतलाल का परिवार उनके कार्य को आगे बढ़ा रहा है। प्रधानमंत्री ने विभिन्न विकल्प होने के बावजूद शताब्दी समारोह स्थल के लिए चित्रकोट को चुनने के भाव पर गौर किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि चित्रकूट की महिमा यहाँ के संतों और ऋषियों के माध्यम से ही अक्षुण्ण बनी हुई है। प्रधानमंत्री ने परम पूज्य रणछोड़दासजी महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित की और अपने व्यक्तिगत जीवन में उनकी प्रेरणा को स्वीकार किया। प्रधानमंत्री ने परम पूज्य रणछोड़दासजी महाराज की शानदार यात्रा को भी याद किया। प्रधानमंत्री ने सात दशक पहले समाज सेवा के उनके असाधारण स्वभाव पर टिप्पणी की, जब यह क्षेत्र लगभग पूरी तरह से जंगलों से घिरा हुआ था। प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की कि परम पूज्य रणछोड़दासजी महाराज ने अनेक संस्थान स्थापित किए जो आज भी मानवता की सेवा कर रहे हैं। प्राकृतिक आपदा के दौरान परम पूज्य रणछोड़दासजी महाराज के कार्यों को भी याद किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “यह हमारे देश की विशेषता है जो स्व से ऊपर उठकर सर्वस्व के लिए समर्पित रहने वाले महात्माओं को जन्म देती है।”
मोदी ने अरविंद मफतलाल के जीवन को संतों की संगति की महिमा का उदाहरण बताया क्योंकि उन्होंने परम पूज्य रणछोड़दासजी महाराज के मार्गदर्शन में अपना जीवन समर्पित किया और इसे सेवा के संकल्प में बदल दिया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें अरविंद भाई की प्रेरणाओं को आत्मसात करना चाहिए। उन्होंने अरविंद भाई के समर्पण और प्रतिभा को याद करते हुए कहा कि उन्होंने ही देश की पहली पेट्रोकेमिकल परियोजना की स्थापना की थी। प्रधानमंत्री मोदी ने उद्योग और कृषि में उनके योगदान का विशेष रूप से उल्लेख किया। स्वर्गीय श्री मफतलाल ने पारंपरिक कपड़ा उद्योग की महिमा को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनके योगदान के लिए उन्हें विश्व स्तर पर मान्यता मिली।
प्रधानमंत्री ने कहा, “बलिदान किसी की सफलता या धन को संरक्षित करने का सबसे प्रभावी तरीका है”, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अरविंद भाई मफतलाल ने इसे एक मिशन बनाया और जीवन भर काम किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि श्री सद्गुरु सेवा ट्रस्ट, मफतलाल फाउंडेशन, रघुबीर मंदिर ट्रस्ट, श्री रामदास हनुमान जी ट्रस्ट, जे जे ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स, ब्लाइंड पीपल एसोसिएशन और चारु तारा आरोग्य मंडल जैसे कई संस्थान एक ही सिद्धांत के साथ काम कर रहे हैं और ‘सेवा’ के आदर्शों को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने श्री रघुबीर मंदिर का उल्लेख किया जो लाखों लोगों को भोजन कराता है और लाखों संतों के लिए मासिक राशन की व्यवस्था करता है। उन्होंने हजारों बच्चों को शिक्षा देने और जानकी चिकित्सालय में लाखों मरीजों के इलाज में गुरुकुल के योगदान की भी जानकारी दी। श्री मोदी ने कहा, “यह भारत की शक्ति का प्रमाण है जो अथक परिश्रम करने की ऊर्जा देता है।” उन्होंने ग्रामीण उद्योग क्षेत्र में महिलाओं को दिये जाने वाले प्रशिक्षण पर भी प्रकाश डाला।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय देश और विदेश के शीर्ष नेत्र अस्पतालों में शामिल है और उन्होंने 12 बिस्तरों वाले अस्पताल से हर साल 15 लाख रोगियों के इलाज तक की अस्पताल की प्रगति की चर्चा की। काशी में संगठन द्वारा चलाए जा रहे स्वस्थ दृष्टि समृद्ध काशी अभियान के बारे में, प्रधानमंत्री ने कहा कि सर्जरी और नेत्र शिविर के दौरे सहित वाराणसी और उसके आसपास 6 लाख से अधिक लोगों की घर-घर जाकर जांच की गई। मोदी ने इस अवसर पर उपचार का लाभ उठाने वाले सभी लोगों की ओर से सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय को धन्यवाद दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सेवा के लिए संसाधन महत्वपूर्ण हैं लेकिन समर्पण सर्वोपरि है। उन्होंने श्री अरविंद की ज़मीनी स्तर पर काम करने की विशेषता को याद किया और भिलोदा और दहोद के जनजातीय क्षेत्र के उनके कार्यों को याद किया। मोदी ने सेवा और विनम्रता के प्रति उनके उत्साह का भी वर्णन किया। मोदी ने कहा, “जब मुझे उनके काम और व्यक्तित्व के बारे में पता चला, मेरे अंदर उनके मिशन के प्रति भावनात्मक जुड़ाव पैदा हो गया।”
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि चित्रकूट की धरती हमारे नानाजी देशमुख की भी कर्मस्थली है और जनजातीय समाज की सेवा में उनके प्रयास भी हम सब के लिए बड़ी प्रेरणा हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश उन आदर्शों पर चलते हुए जनजातीय समाज के कल्याण के लिए पहली बार इतने व्यापक प्रयास कर रहा है और भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिन पर देश ने जनजातीय गौरव दिवस की परम्परा शुरू की है। उन्होंने जनजातीय समाज के योगदान और विरासत को गौरवान्वित करने के लिए जनजातीय संग्रहालयों के विकास, जनजातीय बच्चों की शिक्षा के लिए एकलव्य आवासीय विद्यालयों और वन संपदा कानून जैसे नीतिगत निर्णयों के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा, “जनजातीय समाज को गले लगाने वाले भगवान राम का आशीर्वाद भी हमारे इन प्रयासों से जुड़ा है। यह आशीर्वाद हमारा एक सामंजस्यपूर्ण और विकसित भारत के लक्ष्य की ओर मार्गदर्शन करेगा।”
इस अवसर पर मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट के अध्यक्ष विशद पी. मफतलाल और रघुबीर मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी रूपल मफतलाल उपस्थित थे।