समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 10नवंबर। दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने जांच शुरू करने के महिला एवं बाल विकास विभाग (WCDD) के एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है और दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग के कामकाज में सरकारी धन के दुरुपयोग के आरोपों की विशेष ऑडिट का आदेश दिया है.
राजभवन के अधिकारियों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2022-23 और 2023-24 के लिए क्रमशः संशोधित अनुमान और बजट अनुमान के लिए डीसीपीसीआर के लिए बजट आवंटन की प्रक्रिया करते समय डब्ल्यूसीडीडी ने देखा कि डीसीपीसीआर की मांग तेजी से बढ़ी है. हाल के वर्षों में 2017-18 में मात्र 2 करोड़ रुपये से बढ़कर चालू वित्तीय वर्ष में 15.20 करोड़ रुपये हो गया है.
अधिकारी ने कहा कि यह भी पाया गया कि डीसीपीसीआर व्यय कर रहा था और यह विशेष रूप से एकीकृत बाल विकास योजनाओं (ICDS), प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना और पोषण अभियान जैसी केंद्र सरकार की योजनाओं के मामले में अपने अधिकार क्षेत्र और कार्य के दायरे से परे गतिविधियों में संलग्न था.
डब्ल्यूसीडीडी ने पाया कि डीसीपीसीआर में वेतन घटक वर्ष 2017-18 में मात्र 17 लाख रुपये से बढ़कर चालू वित्तीय वर्ष में 2 करोड़ रुपये हो गया है, क्योंकि कई सलाहकारों को काम पर रखा गया था और अध्यक्ष और सदस्यों के वेतन में निर्धारित नियमों का पालन किए बिना वृद्धि की गई थी. जबकि किसी भी वृद्धि के लिए एलजी की मंजूरी की जरूरत है.
डीडब्ल्यूसीडी ने तदनुसार प्रस्ताव दिया है कि मामले में एक जांच शुरू की जा सकती है और धन के आवंटन के लिए किसी भी अन्य अनुरोध पर विचार करने से पहले सरकारी धन के दुरुपयोग के बारे में एक विशेष ऑडिट किया जाना चाहिए. इसमें यह भी कहा गया कि डीडब्ल्यूसीडी आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के वेतन में वृद्धि के लिए सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी नहीं ले रहा है, प्रशासनिक विभाग की मंजूरी के बिना कर्मचारियों की भर्ती कर रहा है.
बता दें कि एलजी ने यह भी निर्देश दिया कि जांच और विशेष ऑडिट पूरा होने से पहले डीसीपीसीआर द्वारा धन आवंटन के किसी भी अनुरोध पर विचार नहीं किया जाएगा.