समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,14नवंबर। हिंदू धर्म में छठ पर्व को विशेष महत्व दिया गया है. यह मुख्य रूप से भगवान सूर्य और माता छठी की उपासना के लिए समर्पित है. चार दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व में सूर्य देव और छठी माता की उपासना करने से सभी दुख और दर्द दूर हो जाते हैं और परिवार में सुख-समृद्धि आती है. बता दें कि छठ महापर्व नहाय खाय से शुरू होता है और चौथे दिन उदित होते सूर्य अर्घ्य देने के बाद इस पर्व का समापन होता है. आइए जानते हैं, कब से शुरू हो रहा है छठ 2023 महापर्व तिथि और मुहूर्त?
छठ पर्व के पहले दिन को नहाय खाय के नाम से जाना जाता है. इस दिन व्रती महिलाएं पवित्र नदी में स्नान करती हैं और दिन में केवल एक बार ही भोजन ग्रहण करती हैं. बता दें कि इस वर्ष नहाय खाय 17 नवंबर के दिन है.
छठ पर्व के दूसरे दिन को खरना के नाम से जाना जाता है. इस दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक व्रती महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं और पूजा-पाठ में लीन रहती हैं. बता दें कि इस वर्ष खरना 18 नवंबर के दिन है.
छठ पर्व के तीसरे दिन सूर्य देव की मुख्य पूजा की जाती है. इस दिन अस्त हो रहे सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जिसे संध्या अर्घ्य के नाम से भी जाना जाता है. बता दें की संध्या अर्घ्य 19 नवंबर के दिन दिया जाएगा.
संध्या अर्घ्य के अगले दिन उदय होते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ पूजा व्रत का पारण किया जाता है. बता दें कि छठ व्रत का पारण 20 नवंबर 2023 को किया जाएगा.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छठ महापर्व में छठी माता और सूर्य देव की उपासना करने से विशेष लाभ मिलता है. मान्यता यह भी है की देवी छठी सूर्य देव की बहन हैं. इस दिन स्वच्छता और शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है. वेद एवं पुराणों में माता कात्यायनी को भी छठ माता के रूप में जाना जाता है. मान्यता है कि छठ मैया की उपासना करने से और विधिवत व्रत का पालन करने से संतान प्राप्ति और संतान के उज्जवल भविष्य की प्रार्थना पूर्ण होती है.