नेताओं की आपत्तिजनक बयानों से भड़के सचिन पायलट, बोले- अपना संयम नहीं खोए..

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समग्र समाचार सेवा
जयपुर, 25नवंबर। कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए नेताओं को अपने प्रतिद्वंद्वियों की आलोचना भी संयमित भाषा में करनी चाहिए. सचिन पायलट ने कहा कि उनके खिलाफ बहुत कुछ कहा गया है लेकिन उन्होंने अपना संयम नहीं खोने की कोशिश की. सचिन पायलट की यह टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान के एक दिन बाद आई है जिसमें उन्होंने परोक्ष रूप से पायलट की ओर इशारा करते हुए कहा था, ‘‘गुर्जर समाज का एक बेटा राजनीति में जगह बनाने के लिए संघर्ष करता है. पार्टी के लिए जान लगाता है और सत्ता मिलने के बाद ‘शाही परिवार’ की शह पर उसे दूध में से मक्खी की तरह निकाल करके फेंक दिया जाता है.’’

इससे पहले दिन में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पायलट का एक वीडियो संदेश अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर साझा किया जिसमें वह लोगों से वोट देने की अपील कर रहे हैं. गौरतलब है कि गहलोत 2020 के राजनीतिक संकट के दौरान पायलट के लिए ‘नकारा’ व ‘निकम्मा’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर चुके हैं.

टोंक में मीडिया से बातचीत के दौरान एक पत्रकार ने कहा कि जैसे-जैसे मतदान नजदीक आ रहा है, सचिन पायलट प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री गहलोत के ‘‘लाडले’’ बन गए हैं. इस पर पायलट ने कहा कि जनता का लाडला बनना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘लाडला अगर किसी को बनना है तो जनता का बनना चाहिए. त्याग, तपस्या, समर्पण सेवा और लगातार जनता के बीच में रहकर जो रिश्ता कायम होता है वो ही सबसे बडी पूंजी नेता की होती है. पायलट ने कहा, ‘‘और मैं उसी दिशा में काम करा हूं. इसी प्रकार के मेरे संस्कार बचपन से हैं.’’

कांग्रेस नेता ने बिना किसी का नाम लिए कहा, ‘‘बहुत कुछ कहा गया. बहुत से आरोप लगाए गए लेकिन मैंने अपना संयम ना खोने की…हमेशा जनता के बीच एक मर्यादित भाषा का प्रयोग करने की कोशिश की है.’ उन्होंने कहा, ‘‘लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए…विरोधियों की भी अगर आलोचना करनी है तो संयमित भाषा से करनी चाहिए.’’

मोदी की टिप्पणी पर उन्होंने कहा कि किसी भी नेता को उनकी चिंता करने की जरूरत नहीं है. पायलट ने कहा, ‘‘मेरी चिंता करने की जरूरत नहीं है, मेरी चिंता मेरी पार्टी, जनता करेगी और हम उसके प्रति समर्पित हैं.’’ पायलट ने भरोसा जताया कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की जीत होगी.

उल्लेखनीय है कि गुर्जर समुदाय से आने वाले पायलट 2018 में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे. विधानसभा चुनवा में पार्टी को बहुमत मिलने के बाद ही पायलट और गहलोत में मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान शुरू हो गई. पार्टी आलाकमान ने गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया जबकि पायलट को उपमुख्यमंत्री पद दिया गया. जुलाई 2020 में गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ बगावत करने के बाद पायलट को उपमुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया. विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी ने कहा कि ‘सबकुछ ठीक’ हो गया है. दोनों नेताओं ने भी यह कहा कि अतीत की बातों को भूल जाना चाहिए.

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